दो व्यापारी और राजा
एक बार एक बहुत बड़ा पुराना व्यापारी
था, जिसके पास एक बहुत बड़ा मोती था जो बड़ी मुश्किल से किसी के हाथ में आता
था। जो समन्दर के झाग के समान चमकिली था। जिसको समन्दर के अन्दर के एक गुफें में
से बड़ी मुश्किल से चाँदनी रात में स्वाती नक्षत्र के समय में, इसके खोल से इसको निकाल कर एकत्रित किया गया था। जो किसी बड़ें गेंद के
समान था। जिसके कारण इस मोती की प्रसिद्धि उस राज्य में चारों तरफ सर्व व्याप्त
था। फिर वह व्यापारी एक यात्रा पर जाने वाला था। इसलिए वह अपने भाई व्यापारी के
पास गया, और उस व्यापारी को वह मोती देते हुए, उससे कहा इसको अपने पास बहुत अच्छी तरह से सुरक्षित रखना। जब तक मैं अपनी
यात्रा से वापिस नहीं आ जाता, और इस प्रकार से मैं बिना किसी
भय के निर्विघ्न रूप से बिना चिंता के अपनी यात्रा को कर सकता हूँ और मैं अपनी
यात्रा से आने के बाद अपना मोती तुमसे वापस ले लूंगा। और इस प्रकार से वह व्यापारी
अपनी यात्रा पर चला गया। यद्यपि दूसरे व्यापारी ने उस मोती को जमीन के अंदर गाड़
दिया। और फिर उसके बाद उस राज्य का राजा उस व्यापारी के पास आया। और उस व्यापारी
से कहा कि वह मोती मुझको दे दो। जिसको तुमने अपने पास सुरक्षित रखा है। और इसके
बदले में मैं तुमको बहुत अधिक धन दूंगा। अंयथा मैं जबरदस्ती अपने ताकत के दम पर
तुमसे छिन लूंगा। फिर व्यापारी ने कहा एक हफ्ते का इंतजार करने के लिए, और इसके बदले में आप क्या चाहते हैं, क्योंकि मुझे
इसे देखना अच्छा लगता है? राजा ने कहा इसके लिए, मैं तुमसे एक करोड़ रुपये लूंगा और तब मैं एक सप्ताह तक इंतजार करूंगा। तो
व्यापारी ने उन्हें एक करोड़ दिया। और अपने पास इस प्रकार से उस मोती को सुरक्षित
रखा, लेकिन एक सप्ताह के बीतने के बाद राजा फिर से आया। और
कहा मुझे अब मोती दे दो, और व्यापारी ने उस मोती को देखने के
लिए एक करोड़ देकर, एक और सप्ताह के देरी के लिए खरीद लिया।
और इस प्रकार से उस व्यापारी ने कुछ समय बाद अपनी सारी संपत्ति समाप्त कर दी।
जिससे वह व्यापारी भिखारी बन गया । तब राजा ने कहा मुझे अब मोती दे दो। फिर
व्यापारी ने कहा मेरी एक पुत्री है, जो बहुत सुन्दर है। और
आपकी सभी रानियों में सबसे अधिक सुंदर है, इसको आप अपने साथ ले
जाइये। और मुझको एक सप्ताह और इस मोती को रखने के लिए समय दीजिये। राजा ने वैसा ही
किया जैसा कि व्यापारी ने कहा था। जब एक सप्ताह बीत गया। तो वह राजा फिर व्यापारी
के पास आया, और व्यापारी से कहा कि मुझे वह मोती दे दो। तब
व्यापारी ने कहा आप मेरी जान को ले लीजिये, और एक सप्ताह के
समाप्त होने पर आप मुझको फांसी पर चढ़ा देना। जिससे यह मोती आपका स्वयमेंव प्राप्त
हो जायेगा। राजा फिर व्यापारी की बात को मान लिया और कहा ठीक है। और वहाँ से चला
गया।
इसके ठीक तीन दिन बीतने के बाद ही वह व्यापारी अपनी यात्रा से वापिस आ गया।
वास्तव में जिसका वह मोती था। अर्थात जो मोती का असली मालिक था। और वह अपने
व्यापारी भाई के पास गया। अपने मोती को मांगने के लिए और उस मोती को दूसरे
व्यापारी ने उसके मालिक अर्थात अपने भाई को देते हुए, कहा
कि तुम बिल्कुल सही समय पर अपनी यात्रा से वापिस आगये हो। यह रहा तुम्हारा सुरक्षित
मोती और अभी तक सब कुछ ठीक है।
और फिर वह व्यापारी राजा के पास गया। और उससे कहा कि मोती का असली मालिक
अपनी यात्रा से वापिस आ चुका है। और मैंने उसका मोती उसको दे दिया। जिसने मेरे पास
मोती को सुरक्षित रखने के लिए दिया था। और जैसा कि मैंने अपने आपको आपके पास बेच
दिया है। इसलिए मैं आपके पास आगया हूँ। तब राजा ने कहा क्या तू मोती है? जिसके
लिए मैं इंतजार कर रहा हूँ। व्यापारी ने कहा अब तुम मेरी बेटी से शादी करोगे,
और अपने आप को शुद्ध करोगे, जैसा कि मैंने
उसके सामान को लिया था और उसको शुद्ध रूप से वापिस दिया है। क्योंकि वह तेरे हाथों
में जमा थी और मेरा साम्राज्य और मेरे सारे मामलों की तुलना में और अधिक होगा उसको
उसी रूप में तुमको वापिस करना होगा। जैसा करने में तुम असमर्थ हो।
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