👉 भगवान तो परोपकार से प्रसन्न होते हैं
🔷 एक बार एकनाथ जी अन्य सन्तों के साथ प्रयाग
से गंगाजी का जल काँवर में लेकर रामेश्वर जा रहे थे। रास्ते में एक रेतीला मैदान
आया। गधा प्यास के मारे छटपटा रहा था। एकनाथ जी ने तुरन्त काँवर से लेकर गंगा जल
गधे के मुख में डाला। गधा प्यास से तृप्त, स्वस्थ होकर वहाँ से चल
दिया। एकनाथ के साथी संत प्रयाग के गंगाजल का इस प्रकार उपयोग होते देख क्रुद्ध
हुए। एकनाथ ने उन्हें समझाया, “अरे सज्जनवृन्द! आप लोगों ने
तो बार-बार सुना है कि भगवान् घट-घट-वासी है। तब भी ऐसे भोले बनते हो। जो वस्तु या
ज्ञान समय पर काम न आवे वह व्यर्थ है। काँवर का जो जल गधे ने पिया, वह सीधे श्रीरामेश्वर पर चढ़ गया।
👉 क्षमा करने वाला सुख की नींद सोता है
🔷 क्षमा उठाती है ऊँचा आप को: व्यक्ति बदला लेकर
दूसरे को नीचा दिखाना चाहता है, पर इस प्रयास में वो खुद बहुत नीचे उतर
जाता है।
🔶 एक बार एक धोबी नदी किनारे की सिला पर रोज
की तरह कपडे धोने आया। उसी सिला पर कोई महाराज भी ध्यानस्थ थे। धोबी ने आवाज़ लगायी, उसने
नहीं सुनी। धोबी को जल्दी थी, दूसरी आवाज़ लगायी वो भी नहीं
सुनी तो धक्का मार दिया।
🔷 ध्यानस्थ की आँखें खुली, क्रोध
की जवाला उठी दोनों के बीच में खूब मार -पिट और हाथा पायी हुयी। लूट पिट कर दोनों
अलग अलग दिशा में बेठ गए। एक व्यक्ति दूर से ये सब बेठ कर देख रहा था। साधु के
नजदीक आकर पूछा, महाराज आपको ज्यादा चोट तो नहीं लगी,
उसने मारा बहुत आपको। महाराज ने कहा, उस समय
आप छुडाने क्यों नहीं आए? व्यक्ति ने कहा, आप दोनों के बीच मे जब युद्ध हो रहा
था उस समय में यह निर्णय नहीं कर पाया की धोबी कोन है और साधू कौन है?
🔶 प्रतिशोध और बदला साधू को भी धोबी के स्तर
पर उतार लाता है। इसीलिए कहा जाता है की, बुरे के साथ बुरे मत बनो,
नहीं तो साधू और शठ की क्या पहचान। दूसरी तरफ, क्षमा करके व्यक्ति अपने स्तर से काफी ऊँचा उठ जाता है। इस प्रकिर्या में
वो सामने वाले को भी ऊँचा उठने और बदलने की गुप्त प्रेरणा या मार्गदर्शन देता है।
🔷 “प्रतिशोध और गुस्से से हम कभी कभार खुद को
नुक्सान पहुचां बैठते हैं जिस से हमें बाद में खुद बहुत पछतावा होता है।
🔶 आईये हम कुछ बातें बताते हैं इस से जुडी हुयी।”
👉 1। दोस्तों गुस्से में लिया गया फैसला अक्सर
करके गलत ही साबित होता है, तो इसीलिए हमें खुद पर काबू रखना बहुत जरुरी
है।
👉 2। क्षमा करने से सामने वाले व्यक्ति के नजर
में हमारी इज्जत, सम्मान और बढ़ जाती है।
👉 3। गुस्सा करने वाला व्यक्ति हमेशा खुद का
ही नुक्सान पंहुचाता है।
👉 4। गुस्से में हमेशा अक्सर करके वो काम हो
जाता है जिस से हम दूसरों को और खुद को भी नुक्सान पहुचाने के साथ साथ लोगों के
दिलों में नफरत पैदा कर देते हैं।
👉 5। दोस्तों आपको जब भी गुस्सा आये या किसी
के ऊपर गुस्सा हो तो हमें चाहिए की उस समय
हम अपने दिमाग और मन को शांत रखें (नियंत्रण करना सीखें) या फिर हम वहां से
कहीं दूसरी जगह पर चले जाएँ।
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