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अपनी रोटी को बदलें -

 अपनी रोटी को बदलें -


 और इन मोटे अनाजों को गेहूं में शामिल करें! बाजरा, ज्वार, मक्का आदि!

👇स्वाद के साथ ही अब सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ रही है .शहरी समाज अब गेंहू के आटा के साथ मक्का, ज्वार ,और बाजरा के आटें पर भी जोर देने लगा है .पर आटा बनाने और बेचने वाली कंपनियां इसमें जो घालमेल कर रही हैं उसे जरुर समझना चाहिए .

बाजार का पैकेट वाला मल्टीग्रेन आटा आपको वह सब भी खिला दे रहा है जिसकी आपको कोई जरुरत नहीं है .दूसरे इसमें गेंहू का आटा और दूसरे आटा का अनुपात क्या हो यह भी ध्यान नहीं रखा जाता .गेंहू के आटा में दूसरे अन्न का आटा चौथाई हिस्से से ज्यादा न मिलाएं .दूसरे सोयाबीन जैसे हाई प्रोटीन से बचे इसका आटा सभी को रास आ जाए यह जरुरी नहीं .

यूपी बिहार में लोग जौ और चने का आटा इस्तेमाल करते आ रहें है .पर पंजाब से जबसे सरसों का साग और मक्के की रोटी का प्रचलन बढ़ा है इससे मक्का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है .पंजाब के किसानो के लिए यह सबसे ठीक है. और अपनी तरफ बाजरे का इस्तेमाल अब ज्यादा से ज्यादा होना शुरु हुआ है ?? आपको भी बाजरे की रोटी रोज नही तो कभी कभी तो पसंद आती जरूर होगी. मक्का का इस्तेमाल शुगर वालों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है . जो बाजरा बहुत कम खाते, तो इस जाड़े में बाजरा की रोटी खाकर जरूर देखें .यह गेंहू की तुलना में ज्यादा सुपाच्य है .यह गर्मी भी देगा और मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैग्नीज, ट्रिप्टोफेन, फास्फोरस, फाइबर आदि भी .मोटे अनाज में यह बेहतर होगा .राजस्थान में यह काफी लोकप्रिय है .इसका आटा सानने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें .यह हाथ से बनाई जाने वाली रोटी है पर बेल सके तो जरुर बेल कर बनाएं . रोटी के साथ शुद्ध देशी घी का इस्तेमाल करें. उड़द /चने की दाल और सरसों का साग या फिर अन्य सागों के साथ मन भरके स्वाद लें !

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