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दुनिया के चौंकाने वाले अनसुलझे रहस्य Unsolved Mysteries of the World:

 

दुनिया के चौंकाने वाले अनसुलझे रहस्य

 

 Unsolved Mysteries World: आज के समय में विज्ञान ने बहुत तरक्की की है। विज्ञान ने हमें कई सारे दुनिया के रहस्य बताएं है, लेकिन कुछ रहस्य ऐसे है जो अभी तक रहस्य ही बने हुए हैं और इन रहस्यों का जवाब विज्ञान के पास भी नहीं हैं।

 



दुनिया के अनसुलझे रहस्य (Unsolved Mysteries of the World)

आज हम आपको अनसुलझे रोचक रहस्य (Ansuljhe Rahasya in Hindi) बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे Unsolved Mysteries के बारे में जो आज भी हमारे लिए अबूझ बनी हुई हैं।

 

 

 

दुनिया के चौकाने वाले और अनसुलझे रहस्य | Unsolved Mysteries World in Hindi

तैरते पत्थरों का रहस्य (रामेश्वरम)

हिन्दू पौराणिक कथाओं में बताया गया हैं कि श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता को रावण से बचाने के लिए श्री लंका पहुंचने के लिए एक फ्लोटिंग पुल का निर्माण करवाया था। यह Floating Bridge रामसेतु या एडम ब्रिज के नाम से जाना जाता है।

यह पुल पूरी तरह से फ्लोटिंग पत्थरों से बना हुआ है, लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि इस क्षेत्र के आसपास मौजूद सभी पत्थरों में कुछ पत्थर सामान्य स्थिति में हैं। लेकिन जब इन्हें पानी में डालते हैं तो यह तैरते हैं। इसका बहुत वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन किया जा चुका है। लेकिन वैज्ञानिक इसके पीछे के रहस्य को अभी तक सब के सामने नहीं ला पा सके।

 

बेलेंसिंग चट्टान (तमिलनाडु)

Balancing Rock तमिलनाडु के महाबलीपुरम में स्थित है। महाबलीपुरम में एक विशाल चट्टान की तीव्र ढलान पर एक पत्थर रखा हुआ है, जिसे देखने पर यह लगता है कि यह पत्थर कभी भी लुढ़क सकता है। इस चट्टान के 20 फुट ऊपर होने का अनुमान है। यहां के लोगों का यह मानना हैं कि यह भगवान श्री कृष्ण का मखन का मटका था, जो आसमान से गिरा है।

 

यह देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। पर्यटक ये देखकर आश्चर्यचकित हैं कि यह चट्टान इतनी तीव्र ढलान पर स्थिर कैसे रह सकती हैं? 1908 में अंग्रेज़ी सरकार ने इसे हटाने की कोशिश भी थी। लेकिन उनकी ये कोशिश काम नहीं आई।

 

अश्वत्थामा

जिसने महाभारत पढ़ी या देखी होगी, उन्हें अश्वत्थामा के बारे में बिल्कुल पता होगा। अश्वत्थामा कौरव और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे, जो महाभारत के युद्ध में कौरवों की तरफ से लड़े थे। इनकी एक गलती के कारण श्री कृष्ण भगवान ने इन्हें श्राप दे दिया कि दुनिया के अंत होने तक इनकी आत्मा भटकती रहेगी।

 

आज भी माना जाता है कि अश्वत्थामा की आत्मा भटक रही है। हालांकि इसका कोई प्रमाणित सच नहीं मिलता फिर भी कई लोगों द्वारा कई जगह पर अश्वत्थामा के देखे जाने का दावा किया गया है। ऐसा ही मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर असीरगढ़ का किला है, जिसके अंदर भगवान शिव का मंदिर है।

 

वहां पर अश्वत्थामा को देखे जाने का दावा किया गया है। वहां की स्थानीय लोग कहते हैं कि अश्वत्थामा यहां पर आज भी भगवान शिव की पूजा करने के लिए आते हैं। लोगों का यह भी कहना है कि किले के अंदर एक तालाब भी स्थित है, जहां पर अश्वत्थामा पूजा करने से पहले नहाते हैं।

 

वहां की स्थानीय लोग कहते हैं कि जिसने भी अश्वत्थामा को अपनी आंखों से देखा, उसकी मानसिक स्थिति हमेशा के लिए खराब हो गई।

 

केवल यही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के गोरीघाट के किनारे भी अश्वत्थामा के भटकने का दावा लोगों के द्वारा किया गया है। वहां की स्थानीय लोग कहते हैं कि अश्वत्थामा अपने सिर पर लगे गांव से निकलने वाले खून को बंद करने के लिए हल्दी और तेल यहां के लोगों से मांगते हैं।

 

 

 

हालांकि उनके बात में कितनी सच्चाई है उसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई। अश्वत्थामा के भटकने की कहानी आज भी रहस्यमई बन के रह गया है।

 

भानगढ़ किला (राजस्थान)

यदि अपने अपने दिमाग से भूत-प्रेत और आत्माओं के विचरों को हटा दिया है तो आपको Bhangarh Fort सोचने को मजबूर कर देगा। यह राजस्थान के अलवर में स्थित है। यहां के लोगों और पर्यटकों द्वारा यह भी बताया गया हैं कि यहां पर कुछ संदिग्ध घटनाएं हुई है। यह किला सुंदर वास्तुकला, हवेली, मंदिर, खंडहर, उद्यान से सज्जित है।

ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान

यह लोगों के लिए देखने के लिए भी खुला है और कई पर्यटको ने यह भी स्वीकारा कि उन्हें आत्माओं की आहट सुनने को मिली है। यह भी यहां पर माना गया है कि जो भी रात में वहां गया है वो कभी वापस नहीं आया है।

 

इसे लोग Kile ka Rahasya मान रहे हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यहां पर एक चेतावनी का बोर्ड भी लगाया है, जिस पर लिखा है कि सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले इस किले में जाने पर प्रतिबन्ध है।

 

द डांसिंग प्लेग ऑफ 1518

स्ट्रासबर्ग शहर में 1518 में गर्मियों के दिनों में एक महिला ने सड़क पर भयानक तरीके से नाचना शुरू कर दिया और रूकने का नाम ही नहीं लिया। कब दिन से रात हो जाती और कब रात से दिन लेकिन महिला नाचती ही रहती। इस महिला के साथ एक सप्ताह में 34 अन्य महिलाओं ने भी नाचना शुरू कर दिया।

 

यह संख्या एक महीने में 400 तक पहुंच गई, लेकिन महिलाएं नहीं रूकी। इन महिलाओं को देखकर यही लगता था कि इनमें किसी आत्माओं ने वास कर लिया है। नाचने का न ही कोई मौका था और न ही कोई वजह। महिलाओं कि नाचते नाचते हालत खराब होने लगी। कई महिलाओं की तो मौत भी हो चुकी थी।

 

इन्हें रोकने के लिए धर्मिक पुरोहितों को बुलाया गया और साथ में स्थिति को नियन्त्रण में करने के लिए डॉक्टरों और वैज्ञानिकों भी बुलाया गया। इस घटना पर सभी लोगों का अलग-अलग मानना है। कोई कहता हैं कि यह Epilepsy है तो कोई इसे मानसिक रोगी कहने लगा। इसके पीछे कई वजह और कारण बताएं गए। लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है।

 

 

 

समुद्र के नीचे द्वारिका

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी जहां पर उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय बिताए थे, वह थी द्वारिका। जो गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में अरब सागर के द्वीप पर स्थित है। द्वारकापुरी का अपना एक धार्मिक, पौराणिक और ऐतहासिक महत्व है। लेकिन इससे भी ज्यादा यह रहस्य से भरा हुआ है।

 

आज भी लाखों की संख्या में लोग यहां पर पूजा करने के लिए आते हैं लेकिन आज जो मंदिर द्वारिका में स्थित है, वह असल में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बसाई द्वारिका नहीं है।

 

कहा जाता है श्री कृष्ण द्वारा बसाई गई द्वारिका उनकी मृत्यु के बाद समुद्र में विलीन हो गई। आज भी वैज्ञानिक इस मंदिर को महाभारत कालीन निर्माण नहीं मानते हैं। उनका भी यही मानना है कि श्री कृष्ण द्वारा बसाई गई द्वारिका समुद्र में डूब गई होगी और शायद उसका अवशेष आज भी मौजूद होगा।

 

इसी वजह से काफी शोधकर्ताओं ने पुराणों में वर्णित द्वारिका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया। उन्होंने इन तथ्यों के आधार पर साल 2005 में एक अभियान शुरू किया, जिसमें भारत के नौसेना की मदद से समुद्र की गहराई में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बसाए गए द्वारिका के अवशेष का खोज शुरू हुआ।

 

 

 

हालांकि समुद्र के गहराई में जाने के बाद कुछ छंटे-कटे पत्थर, लगभग 200 अन्य प्रकार के नमूने मिले लेकिन इससे यह तय नहीं हो पाया कि वह वही नगरी है जिसे श्री कृष्ण भगवान ने बसाया था।

 

आज भी यहां पर कई स्कूबा डाइविंग द्वारिका के रहस्य का पता लगाने के लिए समुद्र की गहराई में जाते रहते हैं। आज भी भगवान श्री कृष्ण द्वारा बसाई गई असल द्वारिका लोगों के लिए एक रहस्य ही बनकर रह गया है।

 

 

Nazca Lines, Nazca Desert, Southern Peru

नाजका लाइन्स, नाजका रेगिस्तान, दक्षिणी पेरू – पेरू में स्थित इस रेगिस्तान में कुछ इस तरह की आकृतियां बनी हुई है, जो चौकाने वाली हैं। यह मनुष्यों, पौधों और जानवरों की लगती हैं। इसके अलावा यहां पर कुछ सीधी रेखाएं भी देखने को मिली हैं। माना जाता है कि ये रेखाएं 200 ईसा पूर्व से इसी तरह मौजूद हैं।

 

ये लाइनें करीब 500 वर्ग किलोमीटर में फैली हैं। हेलीकॉप्टर की मदद से इन्हें और साफ‍-साफ देखा जा सकता है। इसके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यहां दूसरे ग्रह से आईं UFO उतरे थे, जिसके चलते सतह पर इतनी संरचनाएं बनी थीं।

 

खिसकते हुए पत्थर, डेथ वैली, कैलिफोर्निया

डेथ वैली के नाम से कुख्यात इस जगह पर सैकड़ों पत्थर मौजूद हैं। इस सूखे मरूस्थल पर अलग-अलग वजन के ये पत्थर बड़े रहस्यमयी ढंग से मौजूद हैं। कुछ पत्थर ऐसे लगते हैं जैसे वे घिसटते हुए आगे बढ़ रहे हैं। उनके पीछे लंबी लकीर मौजूद है।

 

यहां मौजूद नजारा कुछ ऐसा है कि आप देखकर हैरान हो जाएंगे। किसी इंसान या जानवर के जरिए इन पत्थरों को घसीटने के सबूत नजर नहीं आते क्योंकि वहां मौजूद मिट्टी बिना छेड़छाड़ दिखाई देती है। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि भौगोलिक बदलाव या तूफान के चलते पत्थर कुछ इस तरह मौजूद हैं।

 

एटर्नली बर्निंग लैंप

इस लैंप की खोज मध्ययुग में हुई। ये लैंप हजारों साल तक लगातार जलते रहे थे। ये लैंप अभी तक सभी के लिए रहस्य बने हुए हैं कि ये इतने लम्बे समय तक कैसे जलते रह सकते हैं। इस प्रकार के लैंप सिर्फ मिश्र में ही नहीं चाइना, उतर अमेरिका और इंगलैंड में भी मिले हैं।

 

 

 

क्लियोपेट्रा रानी की मौत का रहस्य

मिश्र की रानी क्लियोपेट्रा की मौत सिर्फ 38 साल की उम्र में ही हो गई थी। यह रानी बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक महिला थी। इस रानी की मौत कैसे हुई? इसका अभी तक किसी को सही तरीके से नहीं पता है। कई लोगों का मानना है कि रानी ने अपने खुद को सांपों से डसवा लिया तो किसी का मानना है कि ऑगस्टस ने क्लियोपेट्रा की हत्या कर दी थी।

 

जैक द रिपर

लंदन में रहने वाले इस व्यक्ति के बारे में अभी तक कोई सही से नहीं बता पाया है। इसे लंदन में सीरियल किलर के रूप में जाना जाता है। ये एक रहस्यमयी शख्सियत है। जैक ने पूर्वी लंदन में पांच महिलाओं की निर्ममता से हत्या कर दी थी।

 

हैरत करने वाली बात यह है कि इसकी शक्ल कोई नहीं बता पाया है। यह अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। Jack the Ripper से प्रेरित होकर कई फिल्मे बन चुकी है और किताबें भी लिखी जा चुकी है। लेकिन यह अभी तक रहस्य ही है कि जैक द रिपर कौन था।

 

द डेविल फूट प्रिंट्स

दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड के डेवोन में 19वीं सदी में करीब 40 मील तक जमे बर्फ पर एक अजीबोगरीब निशान देखे गए थे। यह अब तक रहस्य है। विशेषज्ञ कहते हैं कि या तो ये निशान कंगारुओं के पैरों के हैं या फिर दानव यहां से गुजरे होंगे। कारण चाहे जो भी हो, यह अब तक रहस्य है।

 

 

 

तिब्बत का यमद्वार

यह दुनिया कई सारी रहस्य से भरी हुई है। यहां ना जाने कितने ही सारे जगह ऐसे हैं जिन से कई सारी रहस्य जुड़े हैं। ऐसा ही एक रहस्य तिब्बत से भी जुड़ा हुआ है। तिब्बत प्राचीन काल में अखंड भारत का हिस्सा हुआ करता था लेकिन बाद में इसे चीन के द्वारा कब्जे में कर लिया गया।

 

माना जाता है कि तिब्बत में भगवान यमराज का यमद्वार है। मंदिर में बने इस द्वार को मृत्यु के देवता यमराज के घर का प्रवेश द्वार मारा जाता है। तिब्बत में दारचेन से 30 मिनट की दूरी पर यह जगह है, जो पवित्र कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ता है। तिब्बत में रहने वाले लोग इस स्थान को चोरटेन कांग नग्यी के नाम से जानते हैं, जिसका मतलब दो पैर वाले स्तूप है।

 

 

वहां के लोगों के द्वारा कहा जाता है कि इस जगह पर कोई भी व्यक्ति रात में ठहर कर जीवित नहीं रह सकता। ऐसी कई सारी घटना हो चुकी है। इसके पीछे कितनी वास्तविकता है इसका पता आज तक नहीं लग पाया।

 

मंदिर का यह द्वार जिसे लोग यमद्वार कहते हैं वह कब और किसने बनाया, इसका आज तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसके बारे में कई शोध किए गए लेकिन पुष्टि करने वाला कोई नतीजा नहीं निकला।

 

 

जुड़वा बच्चे वाला गांव

इस दुनिया में आपने अनेक प्रकार के रहस्य के बारे में जाना होगा। लेकिन क्या आपने ऐसे गांव के बारे में सुना है, जहाँ ज्यादातर परिवार में जुडवे बच्चे पैदा होते हैं? यह गांव विलेज ऑफ़ ट्विंस के नाम से जाना जाता है। गांव में एक या दो परिवार के यहां जुड़वां बच्चे पैदा हो तो सामान्य बात हो सकती है लेकिन जब गांव के हर एक परिवार में ज्यादातर जुड़वां बच्चे हो तो काफी रहस्य का मंजर उत्पन्न हो जाता है।

 

 

 

50 वर्षों में इस गांव में लगभग 300 से भी ज्यादा अधिक जुड़वा बच्चे ने जन्म लिया है। यह गांव कहीं और नहीं बल्कि भारत के केरल राज्य के मललाप्पुरम जिले के तिरूंरंगाडी के पास है स्थित है। इस गांव का नाम कोडिन्हीं है। इस गांव में जो भी जाता है, हर कोई दंग रह जाता है। क्योंकि उनके आसपास दो समान शक्ल वाले इंसान नजर आते हैं।

 

यहां के रहने वाले लोगों द्वारा कहा जाता है कि उनके गांव पर ईश्वर की एक अजीबोगरीब कृपा है। उसी के कारण यहां जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। इस गांव की मिट्टी, यहां का खानपान, वातावरण सभी के ऊपर कई शोध किए गए लेकिन कोई उचित कारण निकल कर नहीं आया।

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यहां के डॉक्टर भी इस चीज से हैरान है। उनका मानना है कि यहां की मिट्टी में शायद कुछ अलग बात है। अलग-अलग लोगों द्वारा अलग-अलग प्रकार के तर्क दिए जाते हैं। इस गांव में इतना अधिक संख्या में जुड़वा बच्चे होने के कारण यह गांव विश्वप्रसिद्ध बन गया है, जिसके कारण देश-विदेश के लोग इस गांव को देखने के लिए आते हैं।

 

इस गांव के बाहर भी बोर्ड लगा है, जिसमें लिखा है कि भगवान का अपना जुड़वाँ गाँव कोडिन्हीं में आपका स्वागत है।

 

ताजमहल का गुप्त द्वार

भारत में जितने भी पौराणिक ऐतिहासिक इमारतें हैं, उन सभी से कुछ ना कुछ रहस्य की चीजें जुड़ी हुई है। विश्व के सात अजूबों में एक ताजमहल से भी ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा हुआ है।

 

कहा जाता है कि ताजमहल का जितना ऊपरी हिस्सा हम देखते हैं, असल में वह पूरा हिस्सा नहीं है। ताजमहल का केवल आधा हिस्सा ही ऊपर है। ताजमहल का बाकी का आधा हिस्सा जमीन के अंदर तहखाने के रूप में है।

 

कहा जाता है इस तहखाने में जाने के लिए एक दरवाजा है, जो हमेशा से बंद कर दिया गया है। मुगल सम्राट शाहजहां के द्वारा इस दरवाजे को उपयोग में लाया जाता था। लेकिन उनके मृत्यु के बाद ये दरवाजा सदियों से बंद ही है।

 

अंदर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। आखिर ऐसा क्या कारण है, जो आज तक इस दरवाजे को बंद रखा गया है। यह पूरी तरीके से रहस्य से भरा हुआ है।

 

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इंग्लैंड का स्टोनहेन्ज

इंग्लैंड के विल्टशायर में स्थित स्टोनहेन्ज अब तक रहस्य है। ग्रेनाइट के इन विशाल पत्थरों पर आठ भाषाओं अंग्रेजी, स्पेनिश, स्वाहिली, हिन्दी, हिब्रू, अरबी, चाइनीज और रशियन में लिखी लाइनें अनसुलझी पहेली हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि हो सकता है कि इन पत्थरों की कोई खगोलीय विशेषता हो। इन पत्थरों पर लिखी लाइनों का मतलब अब तक कोई जान नहीं सका है।

 

दुनिया में सबसे बड़ा रहस्य क्या है?

दुनिया में एक से बढ़कर एक रहस्यमई चीजें हैं, जिनका खुलासा आज तक नहीं हो पाया और आज भी लोगों के लिए वह सबसे बड़ा रहस्य है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि दुनिया में सबसे बड़ा अनसुलझा रहस्य गीजा का पिरामिड है, जो यहां 4000 साल पहले देने वाले मिश्रवासियों के द्वारा बनाया गया एक सुंदर कलाकृति है। यह स्थान पूरी तरीके से रहस्य से भरा है। क्योंकि पिरामिड से जुड़े कई सारे प्रश्नों को आज तक कोई सुलझा नहीं पाया।

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भारत के इतिहास की सबसे रहस्यमय घटना कौन सी है?

भारत के इतिहास की सबसे रहस्यमई घटना सिंधु घाटी सभ्यता को बताया जाता है, जो भारत की सबसे प्राचीन संस्कृति है। परंतु सिंधु घाटी सभ्यता से कई सारे रहस्यमय और अनसुलझे सवाल हैं, जिनका जवाब आज तक नहीं मिल पाया। यहां तक कि उनके द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला 4000 साल पुराना सिंधु चित्रमय लिपि को भी आज तक कोई समझ नहीं पाया है। इतना ही नहीं सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित कई सारे रहस्य हैं, जो हमेशा के लिए धरती में समा चुके हैं।

 

भारत का सबसे बड़ा रहस्य क्या है?

भारत में कई सारे प्राचीन, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थान है और उन सभी स्थानों से कुछ ना कुछ रहस्यमई चीजें जुड़ी हुई है, जिनके शोध में आज भी वैज्ञानिक लगे हुए हैं। लेकिन उसका जवाब आज तक नहीं मिल पाया। ऐसे में यह निश्चित करना बहुत मुश्किल है कि सबसे बड़ा रहस्य क्या है?

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पृथ्वी का केंद्र का क्या रहस्य है?

अनेक विद्वानों के द्वारा कहा जाता है कि कैलाश पर्वत की जो भौगोलिक स्थिति है, वह धरती का केंद्र बिंदु है। कैलाश पर्वत जिस स्थान पर स्थित है, उसी स्थान में पृथ्वी को संचालित करने वाले तमाम शक्तियां प्रवाहित होती है।

 

कैलाश पर्वत की बनावट कैसा है?

कैलाश पर्वत का बनावट पिरामिडनुमा आकार का है। लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर उपस्थित अन्य पर्वतों की तुलना में बिल्कुल अलग है और समय-समय पर कैलाश पर्वत से जुड़े कई सारे रहस्यमय प्रश्नों का उजागरन होते रहते हैं।

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आज तक क्यों कोई कैलाश पर्वत पर नहीं पहुंच पाया?

कैलाश पर्वत भी रहस्य से घिरा हुआ है। आज तक कैलाश पर्वत पर न पहुंच पाने का प्रश्न भी एक रहस्य से भरा हुआ है। कुछ भौगोलिक जानकारों के अनुसार कैलाश पर्वत का स्थान हमेशा बदलते रहता है, जिसके कारण वहां पर आज तक कोई नहीं जा पाया। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कैलाश पर्वत अपने स्थान पर घूमते रहता है, जिसके कारण जो भी लोग वहां जाना चाहता है वे दिशा भ्रमित हो जाते हैं, जिसके कारण उन्हें कैलाश पर्वत पर जाने का सही मार्ग नहीं पता चल पाता।

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