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मैकबेथ (नाटक कहानी के रूप में) : विलियम शेक्सपियर

 मैकबेथ (नाटक कहानी के रूप में) : विलियम शेक्सपियर

    मैकबेथ स्कॉटलैंड के सम्राट का वफादार मंत्री था। वह बड़ा वीर, साहसी, पराक्रमी और बुद्धिमान था। वह कई बार युद्ध में अपनी वीरता और पराक्रम के जौहर दिखा चुका था। जिस युद्ध में वह सेना का नेतृत्व करता, उसमें स्कॉटलैंड की विजय निश्चित होती। उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर सम्राट ने उसे 'ग्लेमिस' का प्रधानमंत्री बना दिया था। इसके बाद वह 'ग्लेमिस के अमात्य' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कुछ लोग उसे प्रधानमंत्री मैकबेथ कहकर भी बुलाते थे।


एक बार स्कॉटलैंड का अपने पड़ोसी देश के साथ भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में मैकबेथ ने अपनी बुद्धिमत्ता, कूटनीति और साहस के बल पर शत्रु के दाँत खट्टे कर दिए। अंतत: विजय प्राप्त कर मैकबेथ सेना सहित लौट पड़ा।


मार्ग में एक घना जंगल था। रात्रि होने वाली थी, अत: मैकबेथ ने सेना को आदेश दिया कि रात्रि होने से पहले जंगल को पार कर लें। सभी तेजी से कदम उठाते हुए वहाँ से चल पड़े। मैकबेथ स्वयं भी सेनापति के साथ मैदान पार करने लगा। उस सेनापति का नाम बैंको था, जो मैकबेथ के समान ही वीर और साहसी था।


सूर्य तेजी से पश्चिम की ओट में छिपता जा रहा था; परछाइयाँ धीरे-धीरे लंबी होते हुए अंधकार में विलीन होने लगीं। कुछ ही देर में सूर्य पूरी तरह से अस्त हो गया, लेकिन अभी भी चारों ओर उसका थोड़ा सा प्रकाश फैला हुआ था।


चलते-चलते सहसा मैकबेथ को अपने आगे कुछ लोगों के फुसफुसाने का स्वर सुनाई दिया। उसने जैसे ही सिर उठाया, उसका चेहरा पसीने से नहा उठा; भय से आँखें बाहर निकलने को आतुर हो गई ; साँसें जहाँ-की-तहाँ थम गई।


उसके सामने तीन काली परछाइयाँ खड़ी थीं। झुर्रियोंदार चेहरा, जिसका रंग हलदी के समान पीला था; आँखें अंदर की ओर धंसी हुईं; गाल पिचके हुए और मांसविहीन। इसके कारण सामने के दाँत कुछ अधिक लंबे लग रहे थे। मांसविहीन अस्थि-पंजर के समान शरीर और उस पर झूलते हुए कफन के समान विशाल काले लबादे। निस्देह वे इस दुनिया के प्राणी नहीं लग रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो तीनों अभी-अभी कब्र फाड़कर बाहर निकले हों। उनका वेश डरावना और चाल-ढाल स्त्रियों जैसी थी। लेकिन चेहरे पर लटकती लंबी दाढ़ी पुरुष होने का संकेत दे रही थी।


ऐसा भयानक रूप किसी की भी धड़कनें रोकने के लिए पर्याप्त था। परंतु यह मैकबेथ था, जो अभी तक उनके सामने खड़ा हुआ था। जैसे ही चीखने के लिए उसने मुँह खोला, वैसे ही एक छाया ने लकड़ी के समान सूखी उँगली अपने होंठों पर रखकर उसे चुप रहने का संकेत किया।


मैकबेथ का मुँह खुला-का-खुला रह गया, लेकिन आवाज नहीं निकली। वह आश्चर्य से भर उन्हें देखने लगा।


तभी दूसरी छाया बोली, "हे स्कॉटलैंड के वीर अमात्य मैकबेथ! डरो मत। हम तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाएँगे।"


अपना नाम सुनकर मैकबेथ चौंक गया। वह डरते-डरते बोला,"आप मेरा नाम कैसे जानते हैं, जबकि हम इससे पहले कभी नहीं मिले?"


"मैकबेथ, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। हम पहले से ही तुम्हारा नाम और तुम्हारे बारे में अच्छी तरह से जानते हैं।"छाया ने प्रत्युत्तर दिया।


मैकबेथ हैरान होकर बोला,"पहले से! लेकिन तुम कौन हो और मेरे बारे में कैसे जानते हो?"


"हम कौन हैं, तुम्हारे बारे में कैसे जानते हैं इन बातों का कोई महत्त्व नहीं है। केवल इतना जान लो कि तुम्हारे भूत, वर्तमान और भविष्य का हमें पूरा ज्ञान है। हम यहाँ तुम्हें उस घटना के बारे में बताने आए हैं जिसके बाद तुम्हारा पूरा जीवन बदल जाएगा। कल से तुम्हारा नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।" तीसरी छाया ने रहस्यमय ढंग से कहा।


मैकबेथ को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह हकलाते हुए बोला,"तुम कहना क्या चाहते हो? कल ऐसा क्या होने वाला है, जो मेरे जीवन को बदल देगा? जो कहना है, साफ-साफ कहो।"


"काडौर जागीर का अमात्य शीघ्र ही स्कॉटलैंड के राजसिंहासन का अधिकारी होगा। कुछ ही दिनों बाद तुम स्कॉटलैंड के राजा घोषित हो जाओगे।"छाया ने मुसकराते हुए कहा।


"क्या? मैं और स्कॉटलैंड के सिंहासन का अधिकारी! तुम मेरे साथ मजाक कर रहे हो?"मैकबेथ ने बुरी तरह से चौंकते हुए कहा।


"यह कोई मजाक नहीं है। हमारी बात पर विश्वास करो। क्या तुम उन्नति करना नहीं चाहते? क्या तुम नहीं चाहते कि दुनिया तुम्हारे कदम चूमे?"


"संसार में ऐसा कौन है, जो उन्नति नहीं करना चाहता? कौन नहीं चाहता कि ऐश्वर्य और वैभव उसके दास बनकर रहें। मैं स्वयं भी उन्नति के शिखर को छूना चाहता हूँ।"


"निश्चिन्त रहो, मैकबेथ! तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरा होगी।"छाया ने प्रत्युत्तर दिया।


"लेकिन मैं इस पर कैसे विश्वास कर लूँ? ऐसा कौन सा चमत्कार होगा कि मैं एक देश का राजा बन जाऊँगा?''मैकबेथ संशय प्रकट करते हुए बोला।


"मैकबेथ, तुम्हारे अविश्वास का कारण क्या है?"


अविश्वास का कारण स्पष्ट करते हुए मैकबेथ बोला,"इस समय सम्राट दंकन के दो पुत्र जीवित हैं। उनके रहते हुए भला मैं कैसे सिंहासन पर आसीन हो सकता हूँ?"


"कोई नहीं जानता कि भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है? समय का चक्र पल भर में सबकुछ बदलकर रख देता है। इसलिए हमारी बात पर विश्वास करो। लेकिन..." यह कहकर छाया चुप हो गई।


अब तक मैकबेथ को छाया की बातों पर विश्वास हो गया था; प्रसन्नता से उसका चेहरा दमकने लगा। परंतु छाया की बात अधूरी रहते देख वह उत्सुकतावश बोला,"लेकिन क्या? अपनी बात पूरी करो।"


तीसरी छाया बात पूरी करते हुए बोली,"लेकिन याद रखना, तुम्हारे बाद स्कॉटलैंड के सिंहासन पर बैंको की संतान का अधिकार हो जाएगा।"


"बैंको की संतान का! यह क्या कह रहे हैं आप?" मैकबेथ का दमकता चेहरा एकदम काला पड़ गया।


तभी तीनों छायाओं ने जोरदार ठहाका लगाया और यह गीत गाते हुए वहाँ से अदृश्य हो गई -


"राज्य करोगे, नहीं करोगे; शाह बनोगे, नहीं बनोगे।

निश्चय ही संतान तुम्हारी, नहीं राज्य की है अधिकारी।"


मैकबेथ को इस गीत का अर्थ बिलकुल भी समझ में नहीं आया। उसने आश्चर्य से भरकर बैंको की ओर देखा और हकलाते हुए बोला, "बैंको, यह सब क्या था? क्या तुमने भी छायाओं की बात सुनी है? यह कोई स्वप्न तो नहीं था?"


"नहीं मैकबेथ! यह स्वप्न नहीं, हकीकत थी। मैंने भी छायाओं की सारी बात स्पष्ट सुनी है। मुझे इसमें कोई भी संदेह अथवा अविश्वास की बात नजर नहीं आती।''बैंको ने सरल शब्दों में कहा।


"परंतु ये छायाएँ कौन थीं? इन्होंने हमें ये सब बातें किसलिए बताईं?"


बैंको बोला,"अवश्य ये भविष्य की छायाएँ थीं, जो हमें सत्य दिखाने आई थीं।"


"तो क्या कल मैं काडौर की जागीर का अमात्य बनूँगा?"उसने पुनः हैरानी से पूछा।


"इसका निर्णय आनेवाला वक्त करेगा। परंतु इतना अवश्य जान लो कि छायाओं ने जो कुछ भी कहा है, वह अवश्य होकर रहेगा।"बैंको ने उसे समझाया।


अँधेरा पूरी तरह से उतर आया था। तारों भरे आकाश में चंद्रमा अपनी चाँदनी की किरणें बिखेर रहा था। सारा दिन चलते-चलते सेना थक गई थी। अतः मैकबेथ ने विश्राम करने के लिए वहीं डेरा डाल लिया।


जब वह अपने बिस्तर पर लेटा तो उसकी आँखों में भविष्य के सपने तैर रहे थे। नींद उससे कोसों दूर थी। उसका मन विचारों की उथल-पुथल में हिचकोले खा रहा था। छायाओं द्वारा कही गई एक-एक बात उसके मन-मस्तिष्क में उभर रही थी। वह कुछ ही दिनों में स्कॉटलैंड का राजा होगा, इस विचार ने उसके अंदर उत्साह, विश्वास और प्रसन्नता का संचार कर दिया था। उसे अपना भविष्य उज्ज्वल दिखाई देने लगा। इसी प्रकार जागते हुए उसने सारी रात काट दी।


प्रात:काल जैसे ही वह सेना सहित प्रस्थान करने के लिए तैयार हुआ, वैसे ही एक शाही दूत उसके नाम सम्राट् दंकन का संदेश लेकर आ पहुँचा। मैकबेथ का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने काँपते हाथों से संदेश-पत्र खोला। उसमें से नीले का रंग कागज निकला, जिस पर स्वर्ण अक्षरों में एक संदेश लिखा हुआ था। मैकबेथ संदेश पढ़ने लगा-


'वीर अमात्य मैकबेथ!


आपने अपनी बुद्धिमत्ता और युद्ध-कौशल के बल पर जिस प्रकार शत्रुओं को पराजित किया है, उससे आपकी राजभक्ति की पराकाष्ठा सिद्ध होती है। इससे प्रसन्न होकर मैंने आपको विशेष सम्मान देने का निर्णय लिया है। इस सम्मान के अंतर्गत मैं आपको काडौर की जागीर सौंपता हूँ और आपको वहाँ का अमात्य घोषित करता हूँ। इस संदेश-पत्र को सम्मान का प्रतिरूप समझें और इसे स्वीकार करके मुझे अनुगृहीत करें।


आपका प्रशंसक


दंकन'


पत्र पढ़कर मैकबेथ के चेहरे का रंग बदल गया। उसने पत्र बैंको की ओर बढ़ा दिया।


बैंको एक ही साँस में सारा पत्र पढ़ गया। सहसा उसने मैकबेथ के हाथ पकड़े और खुश होकर बोला, "बधाई हो, अमात्य! आपको काडौर की जागीर मुबारक हो! यह आपकी वफादारी का उचित सम्मान है। इसी के साथ छायाओं द्वारा की गई भविष्यवाणी का पहला भाग पूरा हो गया। अब आपको उनकी बातों पर पूरी तरह से विश्वास कर लेना चाहिए।"


मैकबेथ गर्व में भरकर बोला, "यह मेरी वफादारी का एक छोटा सा प्रतिफल है। अभी तो लंबा सफर बाकी है। और जब तक भविष्यवाणी का दूसरा भाग पूरा नहीं होता तब तक मेरे मन को शांति नहीं मिल सकती।"


इधर मैकबेथ भविष्य के सपने सँजो रहा था, वहीं बैंको मन-ही-मन बोला, 'परंतु मेरे मन को तो तब शांति मिलेगी, जब तीसरी भविष्यवाणी पूरी होगी। मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतजार है, जब मेरी संतान स्कॉटलैंड के सिंहासन पर आसीन होगी।'


इस प्रकार दोनों अपने-अपने मन में विचारों की अनेक श्रृंखलाएँ लिये आगे चल पड़े। नगर में उनका भव्य स्वागत हुआ। उनके सम्मान में मंगल गीत गाए गए।


अंततः मैकबेथ अपने घर पहुँचा। तत्पश्चात् छायाओं के प्रकट होने, उनकी भविष्यवाणियों और सम्राट् द्वारा काडौर का अमात्य बनाए जाने की सारी घटना उसने अपनी पत्नी को विस्तार से बता दी।


उसकी पत्नी बड़ी अंधविश्वासी थी; जादू-टोने में उसका विशेष रुझान था। उसने जब मैकबेथ के शीघ ही सम्राट बनने की बात सुनी तो उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। उसके सम्राट बनते ही वह सम्राज्ञी बनने वाली थी। इससे उसकी खुशी में बढ़ोतरी हो गई। लेकिन अभी सम्राट् दंकन और उनके पुत्र जीवित थे। उनके रहते स्कॉटलैंड का सिंहासन कोसों दूर था। अतः वह मैकबेथ को उत्तेजित करते हुए बोली, "छायाओं की भविष्यवाणी तभी पूरी होगी, जब आप सम्राट दंकन को अपने मार्ग से हटा देंगे। इसलिए जल्दी-से-जल्दी इस कार्य को संपन्न कर लें।"


मैकबेथ सख्ती से विरोध करते हुए बोला, "कैसी बातें कर रही हो तुम? मैंने सम्राट दंकन का नमक खाया है। उनके प्रति मेरी वफादारी जग-जाहिर है। मैं एक सिंहासन के लिए उनकी हत्या कदापि नहीं कर सकता। खबरदार, आज के बाद अपनी जुबान पर ऐसी बात फिर कभी मत लाना!"


अभी दोनों के बीच वार्तालाप चल ही रहा था कि तभी सम्राट् दंकन स्वयं उसके घर आ पहुँचे। वे मैकबेथ को उसकी विजय के लिए बधाई देना चाहते थे। मैकबेथ और उसकी पत्नी ने सम्राट का यथोचित सत्कार किया और सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी। भोजन में सम्राट् और उनके अंगरक्षकों को शराब परोसी गई, जिसे पीकर सभी बेहोश-से हो गए।


आधी रात बीत चुकी थी। शराब के असर के कारण सभी गहरी नींद में डूबे हुए थे। किसी को भी अपने आसपास का कोई होश नहीं था। लेकिन एक व्यक्ति ऐसा था, जिसकी आँखों में आज नींद का नामोनिशान तक नहीं था; जिसके दिमाग में एक षड़यंत्र उठ रहा था। वह कोई और नहीं, मैकबेथ की पत्नी थी। उसने तलवार निकाल ली और पति से बोली, "उठो और अपने भविष्य को उज्ज्वल कर लो। सभी गहरी नींद में हैं। जाओ और सम्राट का सिर काट डालो। तुम्हें सम्राट बनाने के लिए ही ईश्वर ने यह सुनहरा अवसर दिया है।"


मैकबेथ के हाथ काँप गए। वह विरोध करते हुए बोला, "नहीं, मैं ऐसा कदापि नहीं कर सकता। जिस राजा ने हमेशा मुझपर विश्वास किया है, मुझे भाई से बढ़कर माना है, राज्य के लालच में अंधा होकर मैं उसके साथ विश्वासघात नहीं कर सकता।"


"ठीक है। आप कायरों की तरह यहीं बैठे उनके उपकारों और अपनी वफादारी को याद करते रहो। यह कार्य मैं स्वयं संपन्न करूँगी। आपको सम्राट बनने की इच्छा हो या न हो, लेकिन मैं सम्राज्ञी अवश्य बनकर रहूँगी। उन छायाओं की भविष्यवाणी मैं पूरा करूँगी।"उसकी पत्नी ने कठोरतापूर्वक कहा।


पत्नी की बातों ने मैकबेथ को झकझोरकर रख दिया। उसने उसके हाथ से तलवार ले ली और सम्राट के कक्ष की ओर बढ़ा। पत्नी ने उसे पहले ही बता दिया था कि सम्राट के सभी अंगरक्षक शराब से बेसुध होकर पड़े हुए हैं, इसलिए उसके मन में किसी प्रकार का भय नहीं था।


कक्ष में घुसते ही मैकबेथ को सामने खून से लथपथ एक तलवार लटकती हुई दिखाई दी। उसकी नोक उसकी ओर तनी हुई थी। ऐसा लग रहा था मानो अभी वह तलवार उसका मस्तक काट डालेगी। वह बुरी तरह से चौंक गया। उसने तेजी से आगे बढ़कर उसे पकड़ना चाहा, लेकिन उसका हाथ हवा में लहराकर रह गया। तलवार का कहीं कोई अस्तित्व नहीं था। यह केवल उसका भ्रम था।


आज तक उसका साहस कभी इतना कमजोर नहीं हुआ था। उसकी तलवार बिजली की तेजी से उठती थी और शत्रु का मस्तक काट डालती थी। उसे अपनी कायरता पर क्रोध आने लगा। इसी क्रोध के आवेग में वह आगे बढ़ा और तलवार के एक ही वार से सम्राट दंकन का मस्तक काट डाला।


पल भर में खून के फव्वारे फूट पड़े। और फिर देखते-ही-देखते चारों ओर रक्त का एक छोटा सा तालाब बन गया। भयभीत मैकबेथ जैसे ही वहाँ से भागने लगा, उसे एक आवाज गूंजती सुनाई दी; ऐसा लगा जैसे कक्ष की एक-एक ईंट पुकार रही थी-


जागो सोनेवालो जागो, भागो-भागो, भागो-भागो।

खूनी तलवारें हैं जागी, अपने आज बने हैं बागी।

लुटी जा रही निंदिया अभागी

निंदिया त्यागो, निंदिया त्यागो, भागो-भागो, भागो-भागो।


वस्तुतः प्रत्यक्ष में ऐसा कुछ भी था। यह उसकी अंतरात्मा की पुकार थी जो उसे अपने अंदर ही सुनाई पड़ रही थी। उसकी आत्मा उसे धिक्कार रही थी।


धीरे-धीरे उसकी अंतरात्मा की आवाज तेज होती गई। मैकबेथ ने घबराकर अपने दोनों हाथ कानों पर रख लिये। फिर तेजी से कदम उठाते हुए वह कक्ष से बाहर निकल गया और अपने बिस्तर में जाकर छिप गया।


लेकिन उसकी पत्नी अधिक चालाक और बुद्धिमती थी। उसने मैकबेथ के कार्य की प्रशंसा की और उसकी खून सनी तलवार एक अंगरक्षक के पास रख आई। फिर उसने उस अंगरक्षक के हाथों और कपड़ों पर भी कुछ खून लगा दिया। इस प्रकार दोनों ने मिलकर एक भयंकर षड़यंत्र कर डाला।


सुबह दंकन की सिर कटी लाश देखकर चारों ओर हड़कंप मच गया। जिसने भी सुना, वह विश्वास नहीं कर सका। इस हत्या को लेकर लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। चूँकि हत्या मैकबेथ के घर पर हुई थी, इसलिए सभी की जुबान पर केवल उसी का नाम था। सभी का यही मत था कि मैकबेथ ने ही राजा की हत्या कर दी है। लेकिन उसके सामने भला कौन अपनी जुबान खोलता! सबकुछ समझते हुए भी लोगों ने मुँह पर ताले डाल लिये।


इधर मैकबेथ और उसकी पत्नी सम्राट् की मृत्यु पर शोक प्रदर्शित कर रहे थे, उधर दोनों राजकुमार भयभीत हो गए। उन्हें अपने प्राण भी संकट में दिखाई देने लगे। एक-न-एक दिन मैकबेथ उनकी भी हत्या कर देगा, यह सोचकर वे सूखे पत्तों की तरह काँपने लगे। अंतत: वे चुपचाप नगर छोड़कर भाग गए।


मैकबेथ का मार्ग पूरी तरह से साफ हो चुका था। चूँकि वह सम्राट् दंकन का निकटतम संबंधी और विश्वासपात्र था, इसलिए दरबारियों ने एकमत होकर उसे अपना राजा चुन लिया। और फिर शुभ दिन देखकर स्कॉटलैंड के सिंहासन पर उसका राज्याभिषेक कर दिया गया।


इसके साथ छायाओं की दूसरी भविष्यवाणी भी सत्य सिद्ध हो गई।


परंतु अब मैकबेथ के मस्तिष्क में तीसरी भविष्यवाणी गूंजने लगी। 'तुम्हारे बाद बैंको की संतान इस सिंहासन की अधिकारी होगी।' यह वाक्य रह-रहकर उसके दिलो-दिमाग को झकझोरकर रख देता था। उसने स्वयं को खतरे में डालकर सम्राट की हत्या की थी; राजकुमारों को भागने के लिए विवश किया था; लोगों की घृणा और ईर्ष्या का पात्र बना था। तो क्या यह सब उसने बैंको की संतानों के लिए किया है? नहीं, कदापि नहीं।


उसने अपनी पत्नी को छायाओं की तीसरी भविष्यवाणी के बारे में बताया तो वह उसे समझाते हुए बोली, "यह सिंहासन बड़ी कठिनाई से तुम्हारे हाथों में आया है। क्या इसे यों ही किसी दूसरे के लिए छोड़ दोगे? उचित यही है कि तुम अपने रास्ते के दूसरे काँटे को भी हमेशा के लिए हटा दो।"


"नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता। बैंको मेरा मित्र है। एक खून के बाद मुझमें दूसरा खून करने का साहस नहीं है।"मैकबेथ विरोध करते हुए बोला।


"तुमने पहला खून अपने लिए किया था; परंतु यह दूसरा खून तुम अपनी संतान के लिए करोगे। लोग अपनी संतान के लिए जान तक दे सकते हैं, तुम्हें तो सिर्फ किसी की जान लेनी है। क्या तुम्हें यह स्वीकार होगा कि तुम्हारे बाद तुम्हारी संतानें भिखारियों की तरह जीवन व्यतीत करें, लोग उन्हें दुत्कारें, अपमानित करें।"


और एक बार फिर मैकबेथ अपनी पत्नी के वाग्जाल में फँस गया। उसने बैंको को मारने का निश्चय कर लिया था।


कुछ दिनों के बाद उसने एक रात्रिभोज का आयोजन किया। इसमें उसने बैंको सहित कई दरबारियों और मित्रों को भी आमंत्रित किया था। भोजन के उपरांत जैसे ही बैंको कुछ देर के लिए कक्ष से बाहर गया, मैकबेथ ने अपने विश्वस्त सैनिकों को गुप्त संकेत कर दिया। सैनिकों ने बाहर ही उसे घेर लिया और गला घोंटकर उसे मौत के घाट उतार दिया।


देखते-ही-देखते रात्रिभोज का उत्सव शोकसभा में बदल गया। हँसते-मुसकराते चेहरे भय और शोक से भर गए। मैकबेथ ऊँचे स्वर में रोते हुए बोला, "मित्र बैंको! सम्राट् दंकन के बाद मुझे तुम्हारा ही सहारा था; परंतु तुम भी आज मेरा साथ छोड़ गए। अब मैं अकेला कैसे इतने बड़े साम्राज्य को सँभालूँगा?"


विलाप सुनकर और बैंको के प्रति उसका प्रेम देखकर उपस्थित लोगों की आँखों में आँसू उमड़ आए। तत्पश्चात् उन्होंने उसे समझा-बुझाकर शांत किया और अपने सिंहासन पर बैठने के लिए कहा। जैसे ही मैकबेथ सिंहासन की ओर मुड़ा, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई; चेहरा भय से पीला पड़ गया; माथे से पसीना चू पड़ा; आँखें बाहर निकलने के लिए आतुर हो गई । बैंको की आत्मा उसके सिंहासन पर बैठी अट्टहास कर रही थी। वह केवल उसे ही दिखाई दे रही थी। आस-पास के लोग आत्मा की उपस्थिति से अनजान थे। वे बैंको की मृत्यु को मैकबेथ की खराब हालत का जिम्मेदार मान रहे थे।


परंतु मैकबेथ की पत्नी उसकी बुरी हालत देखकर समझ गई कि अवश्य दाल में कुछ काला है। उसने शीघता से कहा,"जैसाकि आप लोग देख रहे हैं, ये बैंकों से कितना प्रेम करते थे। इस समय उनकी मृत्यु ने इन्हें अंदर तक हिला दिया है। इनकी हालत बिगड़ रही है। इन्हें आराम की सख्त जरूरत है। इसलिए आप इन्हें कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दें।"


इसके बाद सभा समाप्त हो गई और सभी लोग अपने-अपने घर चले गए। उन्हीं लोगों के बीच बैंको का पुत्र भी था। अवसर देखकर वह भी वहाँ से चुपचाप निकल गया।


मैकबेथ ने सारी बात बताई तो उसकी पत्नी भी भय से थर-थर काँपने लगी। अब बैंको का भूत उन्हें परेशान करने लगा। उसके कारण न तो वे ठीक से सो पाते थे और न ही किसी काम में उनका मन लगता था।


यद्यपि मैकबेथ को स्कॉटलैंड का साम्राज्य मिल गया था, तथापि दो हत्याओं के बोझ से उसकी आत्मा बुरी तरह दब गई थी। दिन-रात उसे अपने पाप सामने नजर आते थे। सुख-शांति ने उसका साथ छोड़ दिया था। उसके दिल-दिमाग हमेशा बेचैन रहते। उसका चेहरा डरा हुआ, चिंतित और व्याकुल दिखाई देता। वह इन सबसे छुटकारा चाहता था; परंतु वह पाप के ऐसे दलदल में फँस चुका था, जहाँ से निकलना असंभव था।


अंततः पत्नी के परामर्श पर उसने उन्हीं तीनों छायाओं से मिलने का निश्चय कर लिया, जिन्होंने भविष्यवाणियाँ की थीं। अगले ही दिन वह उस जंगल में जा पहुँचा।


इधर, छायाओं को उसके आने का पता चल चुका था। मैकबेथ के साथ घटी घटनाओं के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी। वह उनसे मिलने क्यों आ रहा है, यह भी वे भली-भाँति जानती थीं। अत: वे ऐसे जादू-टोनों की तैयारियों में लग गई , जिनसे भविष्य की घटनाओं के बारे में जाना जा सके। इसके लिए उन्होंने साँप का फन, चमगादड़ के पंख, कुत्ते की जीभ, छिपकली की पूँछ, बिल्ली की आँखें, भेडिए के दाँत, इनसानी खून आदि अनेक वस्तुएँ एकत्रित कर लीं। इन्हीं के माध्यम से वे प्रेतात्माओं का आवाहन करती थीं और उनसे तीनों कालों की घटनाओं की जानकारी प्राप्त करती थीं।


(परेशान मैकबेथ एक बार फिर तीनों डायनों से मिलता है। वे तीन अतिरिक्त चेतावनियों और भविष्यवाणियों के साथ अपने जादू से तीन आत्माओं को प्रकट करती हैं जो उसे "मैकडफ से सावधान" रहने के लिए कहती हैं लेकिन साथ ही यह भी कहती हैं कि "किसी भी महिला से पैदा हुआ व्यक्ति मैकबेथ को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा" और वह "कभी पराजित नहीं होगा जब तक कि ऊंची डनसिनेन हिल का ग्रेट बिर्नम वुड उसके खिलाफ नहीं आ जाएगा. चूंकि मैकडफ इंग्लैंड में निर्वासन में है, मैकबेथ मानता है कि वह सुरक्षित है; इसलिए वह मैकडफ की पत्नी और उनके छोटे बच्चों सहित मैकडफ के महल में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को मार देता है।


लेडी मैकबेथ अपने और अपने पति द्वारा किये गए अपराधों के बोझ से विक्षिप्त सी हो जाती है। वह हर समय उन भयानक बातों को दोहराती रहती है, नींद में चलने लगती है और अपने हाथों से काल्पनिक खून के धब्बों को धोने की कोशिश करती है।


इंग्लैंड में मैकडफ को रॉस द्वारा सूचित किया जाता है कि "आपका महल आश्चर्यचकित है; आपकी पत्नी और बच्चों की क्रूरतापूर्वक ह्त्या कर दी गयी है।" मैकबेथ अब एक तानाशाह के रूप में देखा जाता है और उसके कई सरदार उसे छोड़कर चले जाते हैं। मैल्कम मैकडफ और अंग्रेज सिवार्ड (द एल्डर), नॉर्थम्बरलैंड के अर्ल के साथ डनसिनेन कैसल के खिलाफ एक सेना का नेतृत्व करता है। जबकि बर्नम वुड में डेरा डालकर बैठे सैनिकों को पेड़ों की टहनियों को काटकर और उन्हें साथ लेकर अपनी संख्या को छिपाने का आदेश दिया जाता है, इस प्रकार डायनों की तीसरी भविष्यवाणी पूरी होती है। इस बीच मैकबेथ लेडी मैकबेथ की मौत की अपनी सीख पर एक आत्मचिंतन ("कल, कल और कल") करता है (कारण नहीं बताया जाता है और कुछ लोगों को लगता है कि उन्होंने आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि उनके बारे में माल्कॉम के आख़िरी संदर्भ से पता चलता है "यह विचार, अपने और हिंसक हाथों ने / उनकी जान ली थी")।


लड़ाई युवा सिवार्ड की ह्त्या और मैकबेथ के साथ मैकडफ के टकराव के रूप में खत्म होती है। मैकबेथ अहंकार के साथ दावा करता है कि उसे डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह किसी भी औरत से पैदा हुए व्यक्ति से मारा नहीं जा सकता है। मैकडफ यह घोषणा करता है कि वह "अपनी माँ की कोख से / समय से पहले चीरा लगाकर पैदा हुआ था" (यानी, सीजेरियन सेक्शन से पैदा हुआ) और इस तरह "किसी महिला से पैदा नहीं हुआ था" (यह साहित्यिक घमंड का एक उदाहरण है)। बहुत देर बाद मैकबेथ को एहसास होता है कि उसने डायनों की बातों का गलत अर्थ निकाल लिया है। मैकडफ नेपथ्य से मैकबेथ का सिर काट देता है और इस तरह अंतिम भविष्यवाणी को पूरा करता है।


हालांकि फ्लींस नहीं बल्कि माल्कॉम सिंहासन पर बैठता है, बैंको के संदर्भ में डायनों की भविष्यवाणी, "तुम राजाओं को बनाने में मदद करोगे" के बारे में शेक्सपियर के समय के दर्शकों को सच मालूम होता है, क्योंकि स्कॉटलैंड के जेम्स VI (बाद में इंग्लैंड के जेम्स I भी) को भी बैंको का एक वंशज माना गया था।)


(रूपांतर - महेश शर्मा)


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