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आज की आधुनिका शिक्षा घरों को वेश्यालय बना रही है।

    आज के घर वेश्यालय क्यों बन रहें है? आपने सुना होगा की हर बड़े छोटे महानगर में वेश्यालय बने हैं, जहां पर लोग अपने काम ईच्छा की तृप्ती करते हैं, लेकिन आपको यह जान कर आश्चर्य होगा, की आज की तथा कथित शिक्षा लोगों को अपने घरों में ही वेश्यालय बनाने के लिए विवश कर रही है। यह एक बहुत खतरनाक और ज्वलनशील विषय है, इस विषय पर कोई भी बात करने वाला नहीं मिलेगा ना ही इसका क्या कारण है, इसको को भी कोई बताने वाला कोई नहीं है। वास्तव में यह दुनीया एक प्रकार का वेश्यालय बन कर रह गई है, जहां पर हर तरफ लोग अपनी इज्जत को लुटा रहें हैं, और कोई उनकी इज्जत लुट रहा है, और भारत सरकार लोगों के घरों में शौचालय बनाकर उसकोनाम इज्जत घर दे रही है। अब इज्जत घर घर नहीं है, वास्तव में अब इज्जत घर लोगों के घरों में बने शौचालय को कहा जाता है,  अर्थात आज लोग अपनी इज्जत को बचाने के लिए लोग अपने घरों में सरकारी शौचालय में शौच करके बढ़ा रहें है। यह कितना बड़ा मजाक है, इससे हमारी सरकार की बौद्धिक्ता का ज्ञान होता है। 

    मेरे सामने एक सच्ची घटना आई जिससे यह बात सिद्ध हो रहीहै,  मैं केवल एक उदाहरण देता हूं, जो मेरे प्रकाश में आया है, ऐसा ही लगभग प्रायः घरों में हो रहा है, यह बात थोड़ी कड़वी जरुर है, यद्यपि सौ प्रतिशत सत्य है, आज स्त्री पुरुष अपने पत्नी या पुरुष से तृप्त नहीं हो रहें हैं, इसलिए वह दूसरे गैरों से सैक्स संबंध स्थापित करते हैं, यहीं नहीं नाजायज बच्चो को भी पैदा किया जा रहा है, और ऐसा करने वाले को किसी प्रकार से आत्माग्लानी नहीं होती है, क्योंकि उनकी आत्मा तो मर चुकी है, आत्मा का बिषय बहुत गंभीर और सूक्ष्म है, आज का मानव इस विषय में बिल्कुल ही रूची नहीं रखता है।


   पहले लोग राजा महाराजा होते थे, और वह अपने काम तृप्ती के लिए वेश्याओं का पालन पोषण और औरतों को वेश्या बनाते थे, उसके बाद जीमदारी की प्रथा चली जब जीमदार अपने प्रजाओं में वेश्यालय या और को वेश्यावृत्ति के कार्य में लगा कर रखते थे, ऐसे ही एक पिता का पुत्र जो अपनी कामतृप्ति को पूर्ण करने के लिए, अपनेे पड़ोस की औरतों से कामक्रिड़ा करता था, क्योंकि सामनेे वाले जिनके घरों की औरतों के साथ वह आदमी काम क्रिड़ा करता था, जब उसकी पुत्र बहु आई तो  वह उसके साथ भी काम क्रिड़ा करने का प्रयाश किया जिसमें उसकी बड़ी बहु घर छोड़ कर भाग गई, और उसने कहा यदि तुम अपने पिता की हत्या करोगे तभी मैं तुम्हारे साथ रहूंगी। लेकिन जब उस जीमदार की दूसरी बहु आई तो वह पहले से ही बदचलन थी इसलिए लिए उसने अपने पती के साथ अपने शशुर और कितने अपने प्रेमियों से शरीर संबंध बनाने का कार्य शुरु कर दिया, जिससे उसने कइ नाजायज बच्चों को भी जन्म दिया है। मैं एक ऐसेगांव को जानता हूं जहां की 50 प्रतिशत औरते अपने दह व्यापार से अपने खर्च चलाती है, इसमेंसे कितनी युवतीयां, ऐसा ही शहरो में हो रहा है, इस तरह से हम कह सकते हैं, देह व्यापर सिर्फ रेडलाईट एरीया में नहींहो रहा है. यद्यपि अब इसने अपनापैर प्रतिष्ठित घरों के अंदर तक फैला रखा है, जो एक मर्यादित समाज के लिए किसी प्रकार से अच्छा सिद्ध नहीं हो सकता है, इसी संबंध में रघुनंदन शर्मा ने अपनी किताब वैदिक संपत्ती में कुछ संकेत किया है आप स्वयं पढ़े, यह सैकड़ों साल पहले का लेख है, लेकिन आज स्थिति बद से बदतर मानव स्त्री पुरुष की होचुकी है। 












   

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