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ज्ञीनियों का अंत

ज्ञीनियों का अंत



     जीवन का अपना नियम और बहुत मजबुत अकाट्य वशुल है रुप शर्त केवल वही यहां के दुःख पिड़ा कष्ट परेशानी मृत्यु से बच सकते हैं, जिनके पास यथार्थ ज्ञान है जो तिनो कालो को समझने का सामर्थ रखते हैं। और ऐसे व्यक्तियों को उंगलियों पर गीन सकते हैं, अर्थात उनकी संख्या ना के समान है । विज्ञान का नियम है विलय और विलायक का जिनकी मात्रा कम है वह विलय हो जायेंगे, और जिनकी संख्या अधिक है वह विलायक है, वह कम मात्रा वाले को अपने अन्दर पचा जायेगें। मतलब यह है की जो कुक्ष थोड़े से ज्ञान वान हैं उनका अस्तित्त्व अत्यधिक खतरे में है। वह अपने अस्तित्त्व को बचाये रखने के लिये अत्यधिक संघर्ष कर रहे हैं।अज्ञानियों संख्या बहुत अधिक है जो यह सिद्ध करता है, की अज्ञान ही सत्य है जो लोग दुःख भोग रहे है मर रहे हैं, सड़ कर वह उनके कर्मों का फल है, यह उनके भाग्य में उनका ग्रह नक्षत्र खराब है। तरह तरह का अज्ञान भ्रमात्मक विचार फैल रहा है जिसके कारण मृत्यु रुप सड़न गलन वेबशी मजबुरी मान कर, लोग जिने के लिये मजबुर हैं। ज्ञान का मतलब ही है, त्रीकाल दर्शी अर्थात ईश्वर जीव प्रकृति के मुल ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान को जानने वाला। ऐसे ज्ञानवान लोगों को बढ़ाने के लिये हमें कार्य करना होगा। अन्यथा वह होगा, जिसकी कल्पना करना कठीन है।

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