इतिहासकारों
के मध्य में प्राचीन लोगों की कहानीयों को इस प्रकार से सुनाया जाता रहा है, भारत
और चीनी द्वीपों पर एक ससानियन नाम का राजा था, जिसके पास बहुत बड़ी सेना के साथ,
रक्षक, और बहुत से सेवक थे, जिसके दो पुत्र थे, एक छोटा और एक बड़ा था। यद्यपि दोनों
घुड़सवारी में अच्छी तरह से कुशल थे, बड़ा लड़का अपने छोटे भाई से काफी अच्छा था, जिसके
अधिकार में लगभग पुरी जमीन थी, वह अपनी प्रजा का बहुत अच्छी तरह से पालन पोषण करता
था, और आनंद पूर्वक अपने जीवन को व्यतीत करता था, उसकी प्रजा उससे बहुत अधिक प्रेम
करती थी। जिसका नाम राजा शहरीयार था, जबकि उसका छोटा भाई जो फारस के समरकंद पर शासन
करता था, जिसका नाम शाहजमन था। यह दोनों भाई दस साल तक अपने – अपने राज्य में
न्यायपूर्वक अच्छी प्रकार से आनंद के साथ राज्य करते रहे, जिसके बाद इनमें से
शहरयार ने अपने भाई शाहजमन से मिलने मन बनाया, जिसके बाद उसने एक दिन अपने वजीर को
अपने भाई को से बुलाने के लिए की बात कि। जिसके बाद उसका वजीर उसके भाई के पास शमरकंद
उसके संदेश को लेकर गया।
शाहजमन को जब यह सुचना मिली तो वह भी अपने भाई
से मिलने के लिए तैयारी करने लगा, जिसके लिए उसने अपने साथ बहुत सारे ऊँट, ख़च्चर
के साथ सेवक और रक्षकों ले कर चलने को तैयार हुआ, जबकि अपने राज्य की देखभाल करने
के लिए अपने वजीर को नियुक्त कर दिया। जब वह अपने भाई के देश जाने के लिए उत्सुक
हुआ। तभी मध्य रात्रि उसको याद आया, कि वह कुछ आवश्यक सामन अपने महल से लाना भूल
गया है, जिसके कारण वह रास्ते से वापिस होकर महल की तरफ चल पड़ा, लेकिन जब वह अपने महल में प्रवेश
किया, तो उसने देखा की उसकी पत्नी किसी दूसरे मर्द अर्थात वजीर के साथ बिस्तर पर
आराम कर रही थी। जिससे उसका जीवन रूपी संसार में पुरी तरह से अँधेरा व्याप्त हो गया।
इसलिए उसने अपने मन में कहा यदि यह मेरी पत्नी
इसी प्रकार से हमेशा ऐसा ही करती है, जब भी मैं अपने राज्य को छोड़ कर इससे बाहर
जाता हूं, फिर यह पत्नी के रूप में राक्षसी है, जब मैं अपने भाई के साथ रहुंगा तो
यह क्या करेगी? इसलिए उसने अपनी तलवार को अपनी म्यान से बाहर निकाला और अपनी पत्नी के
साथ उसके प्रेमी वजीर का भी सर काट कर अलग कर दिया। और वहां अपने महल से वापिस से
चलने से पहले उसने अपने आदमी को कहा इनके लास को बाहर फेंक दे, जिसके बाद वह
सुरक्षित यात्रा करके अपने भाई शहरयार के देश पहुंच गया, और उसने कुछ उपहारों के
साथ अपने आदमी को शाहरयार के पास भेजा और उससे कहलवाया कि उसका भाई उससे मिलने के
लिए आ रहा है, जिससे मिलने के लिए शहरयार तैयार हो गया, और वह उससे मिलने के लिए
अपने महल से बाहर आया, और प्रसन्नता के साथ उससे मिला। पूरे शहर को अच्छी तरह से
सजाया गया और शहरयार अपने भाई के साथ बैठ कर प्रेम से बातें करने लगा, यद्यपि
शाहजमन को अपनी पत्नी के द्वारा किया गया धोखा उसको अभी तक याद आ रहा था, जिसके
कारण वह बहुत अधिक दुःखी था, और इसकी वजह से उसकी शरीर पिली पड़ने लगा और उसके
शरीर में बीमारियों के लक्षण दिखने लगे।
उसके
भाई ने शहरयार ने विचार किया कि उसका भाई अपने राज्य को छोड़ने के कारण दुःखी हो
रहा है, इसलिए उसके अपने भाई से किसी प्रकार का प्रश्न नहीं किया, कुछ दिनों के
बाद उसने अपने भाई से उसकी बीमारी के बारे में बात करा, लेकिन इस पर शाहजमन ने कहा
कि उसके मन को घाव लग गया है, लेकिन उसने अपनी कृत्यों के बारे में उससे कुछ नहीं
कह सका। जिस पर उसके भाई शहरयार ने अपने भाई के मन को बहलाने के लिए एक योजना बनाई,
कि उसको अपने भाई को लेकर शिकार करने के लिए जाना चाहिए, इसके लिए उसने अपने भाई
को आमंत्रित किया, लेकिन शाहजमन ने शिकार पर जाने से इनकार कर दिया, जिस पर शहरयार
अकेले ही शिकार करने के लिए वहां से चला गया। शाहजमन जिस शाही महल में रहता था उस
महल की एक खिड़की बाहर बग़ीचे की तरफ खुलती थी जिसमें बैठ कर महल के बाहर शाहजमन
देखा करता था, एक बार ऐसे ही खिड़की पर बैठा हुआ था।
जब उसने देखा कि एक गुप्त दरवाजा राजा के महल
में खुला और उसमें से 10 दासी औरतें और 10 दास बाहर निकले उनके बाद में स्वयं
शहरयार कि सुन्दर पत्नी जो महल की रानी थी वह भी बगीचा में आई, और उसने अपने एक
दास को बुलाया जो वहीं पेड़ पर छीप कर बैठा हुआ था, वह भी आ गया, इसके बाद उन सब
ने फ़ौवारा के पास जा कर अपने कपड़े को उतार दिया। इसके बाद रानी ने अपने दास को
उसका नाम लेकर अपने पास बुलाया जिसका नाम मसौद था, वह उसके पास आया, जिसके बाद वह
दोनों आपस में गले लगे, और एक -एक दास ने एक –दासी को अपने साथ ले कर शराब पी कर
रास रंग प्रेम लीला करने लगे, और कार्य उन सब ने शाम तक किया।
जब शाहजमन ने यह सब देखा तो उसने अपने मन में
कहा की उसकी पत्नी ने जो उसके साथ किया वह तो बहुत कम हैं दुनिया में औरतें उससे
भी अधिक घृड़ीत कार्य करने वाली हैं। जिसके साथ उसका अपने पत्नी के प्रति ईर्ष्या
का भाव खत्म हो गया, इसके बाद उसका अपना दुर्भाग्य उसको और अधिक दुःखी नहीं कर
सका, वह अच्छी तरह से खाने पीने लगा। और इसके बाद शहरयार जब अपना शिकार खेल कर
वापिस आया तो दोनों भाई एक दूसरे के साथ प्रसन्नता से मिल कर गले लगाया, शहरयार ने
देखा उसके भाई का रंग अब पहले से बहुत अधिक बदल चुका था वह पहले से कहीं अधिक
प्रसन्न दिखाई देता था। और वह सामान्य तरह से खाता और पिता था, जिस पर शहरयार ने
अपने भाई से कहा पहले तुम्हारा चेहरा पिला पड़ गया था, लेकिन अब मैं देखता हूं कि
तुम्हारे चेहरे की रौनक पुनः वापिस आ चुकी है, इसलिए अब तुम मुझको यह बताओ कि ऐसा
किसी प्रकार से हुआ?
इस पर
उसके भाई शाहजमन ने कहा मैं तुम को बताउं, कि मैं पहले क्यों बीमार हो गया था? लेकिन मुझ पर दबाव
मत डालों यह बताने के लिए कि मैं कैसे स्वस्थ हो गया? शहरयार
ने कहा ठीक है तो तुम पहले यह बताओ, कि तुम्हारे बीमार होने का कारण क्या था? और उसके भाई ने उससे बताया कि जब तुमने अपने मंत्री को मेरे पास मुझको
बुलाने के लिए भेजा था, जिसके लिए मैं अपने शहर को जब छोड़ने के लिए तैयार हुआ,
तभी मुझको उस आभूषण के बारे में याद आया जिस को मैं आपको उपहार देने के लिए अपने
साथ लाने वाला था उसको मैं अपने महल में ही भूल गया था। जिस को लेने के लिए जब मैं
अपने महल में वापिस गया तो मैंने देखा की मेरी पत्नी के साथ एक आदमी मेरे ही
बिस्तर पर सो रहा था, जिसके बाद मैंने उन दोनों का वहीं पर कत्ल कर दिया, और उसके बाद मैं आपके पास आ गया।
उस समय
अपनी पत्नी के प्रेम प्रसंग के कारण बहुत अधिक चिंतित था जिसकी वजह से मैं पिला
पड़ गया था और मेरी शरीर बीमार हो चुकी थी, लेकिन मुझ से यह मत पुछना की मैं
स्वस्थ कैसे हो गया? यद्यपि शहरयार ने उसके उपर दबाव डाला कि वह बताए कि वह स्वस्थ कैसे हुए,
जिसके बाद शाहजमन ने जो भी उसकी पत्नी को करते हुए अपनी आँखों से देखा था उसको
उससे कह दिया। जिस को सुन कर शहरयार को अपने भाई पर विश्वास नहीं हुआ, उसने कहा यह
सब मैं स्वयं अपनी आँखों से देखना चाहता हूं, इस पर शाहजमन ने कहा कि तुम एक बार
फिर से शिकार पर मेरे साथ जाने की तैयारी कर, यद्यपि हम शिकार पर जाने के बाद
रात्रि में वापिस आजायेगें और फिर इस महल की खिड़की पर बैठ कर तुम स्वयं अपनी
पत्नी का करतूत को अपनी आँखों से देख लेना।
शहरयार
ने ऐसा ही किया अर्थात उसने नगर में अपने शिकार पर जाने की सूचना का समाचार फैला
दिया, इसके साथ उसने अपने सेवकों से कहा कि कोई भी उसके पीछे नहीं जायेगा। और वह
शिकार पर जाने के बाद अपने तंबू में जा कर बैठ गया और रात्रि में अपने भाई के साथ वापिस
अपने महल में आ कर गुप्त रूप से छीप गया, जहां से उसने स्वयं अपनी आँखों से अपनी
पत्नी के साथ दस दास और दस दासी को महल के गुप्त दरवाजे से बाहर निकलते हुए देखा,
जिसके बाद उसकी पत्नी ने अपने दास मसौद को पुकारा और उन सब ने वहीं पहले वाला
कुकर्म दुबारा किया। यह सब तक किया जब तक कि दोपहर के नमाज के लिए उन को बुलाया
नहीं गया था।
जिसके बाद शहरयार की एक भी बात अपने भाई की
नहीं सुनी, उसने कहा इन को तत्काल इनके कुकर्मों की सज़ा देनी होगी, जिससे कोई
इनके समान दुबारा इस प्रकार का कृत्य करने की हिम्मत ना कर सके।
जिसके बाद शहरयार भी शाहजमान के समान बहुत अधिक दुःखी हो गया, और उसने अपने
भाई से कहा कि अब हमें किसी प्रकार की कोई साम्राज्य की जरूरत नहीं है, इस जीवन से
अच्छा हमारा मर जाना ही अच्छा है, इस प्रकार से वह दोनों अपने महल को छोड़ कर
तत्काल चल दिया रात दिन यूं ही चलते- चलते वह दोनों एक बड़े मैदान में पहुँचे,
जहां पर एक बड़ा सा वृक्ष खड़ा था जिससे पास से ही समंदर में जाने वाली एक छोटी
नदी भी बह रही थी। उन्होंने नदी से पानी को पिया, और उस बड़े वृक्ष की छाया में
कुछ देर आराम करने के लिए बैठ गये, लेकिन ही कुछ समय में उन्होंने देखा की समंदर
से एक बड़ा ज्वार उठा और वह नदी के पानी के मध्य में से अचानक उफनने लगा, और उसमें
से एक बड़ा काला खंभा प्रकट हुआ, और वह काला खंभा आकाश में बढ़ते हुए, उनकी तरफ
आने लगा, जिस को देख कर वह दोनों भाई भय से आतंकित हो कर अपने आप को बचाने के लिए
वह उस वृक्ष के उपर चढ़ गये। यह देखने के लिए अब आगे क्या होने वाला है? तभी उन्होंने देखा
वह जो काला खंभा जैसे दिखाई दे रहा था, वह एक बड़ा लंबा जिन्न था, जिसकी बहुत भारी
खोपड़ी के साथ बहुत चौड़ा सीना था। जिसने अपने शिर पर एक बड़े बक्से को पकड़ रखा
था, जिसमे कई सारे सोने के मजबूत ताले लगे थे। वह किनारे से निकल कर उसी वृक्ष के
नीचे आकर बैठ गया, जिस वृक्ष के उपर वह दोनों भाई छीप कर बैठे थे। फिर जिन्न ने
अपने साथ लाए हूये संदूक का ताला खोल कर
उस संदूक को खोला, जिसमें से एक अति सुन्दर स्त्री बाहर आई, जो सूर्य के प्रकाश के
समान चमक रही थी। जैसा किसी कवि ने उसका सौन्दर्य का वर्णन कुछ इस प्रकार से किया
है, जो उस पर बिल्कुल सत्य सिद्ध होता है।
वह
अंधेरे में चमकती थी।
जिस को
देख कर दिन प्रकट होता था।।
जैसा
कि वृक्ष उसकी चमक को छाया देते थे।
उसकी
चमक को देख कर सूर्य उदित होकर चमकता था।।
जबकि
चाँद उसकी दमक को देख कर शर्मा कर छीप जाता था।
जब वह
अपने मुँह पर घूँघट को हटाती थी।।
तब
कायनात की हर वस्तु उसके सामने झुकती थी।
जैसे
उसके आश्रय को पा कर बिजली चमक रही हो।।
जिसके
आंसू की वारिस से जमीन पर बाढ़ आ जाती थी।
जिन्न
उसकी तरफ देख कर कहा, देवता के यहां जन्म लेने वाली सौन्दर्य की देवी, मैं तुम को
तुम्हारे विवाह की रात्रि को उठा कर लाया था, मैं यहां कुछ देर तक सोना चाहती हूं।
इसलिए उसने उस सुन्दर औरत के घुटनों पर अपने शिर को रख कर गहरी निंद में सो गया,
जब कि उस औरत ने उस वृक्ष के उपर देखा, जिस वृक्ष के उपर दोनों राजा बैठे हुए थे।
उस औरत ने अपने घुटनों पर से जिन्न के शिर को उठा कर जमीन पर रख दिया। और उसने उन
दोनों राजा को इशारा करके वृक्ष से नीचे उतरनें के लिए कहा साथ में यह भी संकेत
दिया की उन को जिन्न से भयभीत होने की जरूरत नहीं है। इसके बाद उन दोनों ने उससे
कहा कि तुम ईश्वर के लिए हमें ऐसा करने को मत को कहो, इस पर उस औरत ने कहा अपनी
जान को बचाना चाहते हो, तुरंत वृक्ष से नीचे आ जाओ, यदि तुमने ऐसा नहीं किया, तो
मैं जिन्न को जगा दूंगी, जो जागते ही तुम दोनों को निर्दयता पूर्वक मार कर खा
जायेगा। इस बात को सुन कर वह दोनों सतर्कता के साथ वृक्ष से नीचे उतर आए, जिस पर
उस औरत ने कहा मेरे साथ जबरदस्ती जितना अधिक संभोग कर सकते हो करो, नहीं तो मैं
जिन्न को जगा दुंगी। इस पर शहरयार ने भयभीत हो कर अपने भाई से कहा जैसा वह करती है
वह करो। लेकिन शाहजमन ने ऐसा करने से मना करते हुए कह पहले तुम करो। इस पर वह एक
दूसरे को घूरना शुरु कर दिया, जिस को देख कर उस लड़की ने कहा तुम दोनों क्या बार –
बार दोहरा रहे हो, अगर तुम लोग मेरे पास नहीं आये, और जैसा मैं कहती हूं नहीं
किया, तो मैं जिन्न को जगा तुम्हारे विरुद्ध कर दूंगी। क्योंकि वह दोनों जिन्न से
अत्यधिक भयभीत हो रहे थे इसलिए वह उसको अपने साथ ले कर गए और उसके साथ संभोग किया,
जब उन्होंने यह कार्य कर लिया, तो उसने उनसे कहा खड़े हो जाओ। और इसके बाद उसने
अपने पास से एक बटुवा को निकाला जिसमें उसने एक तागा को निकाला जिसमें उसने चमकती
570 अँगूठी को माला की तरह से बना कर रखा था। उसने उनसे पूछा क्या तुम जानते हो यह
क्या है, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा मुझे नहीं पता है, जिसके जवाब में उसने
कहा कि यह सारी अँगूठी मेरे प्रेमिकों की हैं, और मुझको यह जिन्न इस संदूक में बंद
करके रखता है, इसलिए तुम दोनों भी अपनी अँगूठी को दो। जब उन दोनों ने भी अपनी
अँगूठी को अपनी उँगली से निकाल कर उसको दे दिया, तो उसने कहा की यह जिन्न मुझ को
मेरे विवाह की रात्रि को जबरदस्ती उठा कर लाया था, और अपने पास संदूक में बंद करके
रखता है, और इस संदूक में मजबूत सात ताला को लगा कर रखता है, और इसके बाद भी वह
मुझको सुरक्षित रखने के लिए, खतरनाक समुद्र की सतह में लहरों से भी छिपा कर रखता
है। क्या यह किसी औरत को अच्छी तरह से नहीं जानता है? क्योंकि जिस वस्तु
को प्राप्त करने कि कोई औरत इच्छा करती है, उस वस्तु प्राप्त कर लेती है। जैसा कि
किसी कवि ने कहा है-
औरत पर कभी भी विश्वास मत करना।
अथवा उसकी आज्ञा को मत मानना।।
उनकी प्रसन्नता और उनका क्रोध दोनों।
उनके गुप्त अंग पर ही निर्भर करते हैं।।
वह झूठे प्रेम का प्रदर्शन करती है।
यद्यपि उनके कपड़े से विश्वासघात छिपा होता है।।
जोसफ के जीवन से कुछ सीखते हैं।
और तुम कुछ नई निति को समझोगे।।
क्या तुम अपने पिता नहीं देखते हो,
क्या उन को नहीं निकाल दिया गया था एडन के बग़ीचे से,
उन को धन्यवाद?
दूसरे कवि ने भी कुछ इसी प्रकार का कहा है-
आरोप हमेशा आरोपी के उपर भारी पड़ता है,
मैं बड़ा तो हो गया, लेकिन मेरा रक्षा कवच नहीं बढ़ा,
मैं एक प्रेमी हूं, लेकिन मैंने क्या किया,
क्या वह वहीं नहीं है जैसा कि लोगों ने पुराने समय में
किया था,
मनुष्य के आश्चर्य का कारण क्या है,
जबकि औरत अपने कामुकता के जाल में नहीं फंसती है।
जब दोनों
राजा ने यह सुना, तो वे आश्चर्य से भर गए, और एक दूसरे से कहा, जिन्न तो जिन्न ही
है, लेकिन उसके साथ हम से भी बहुत बुरा हुआ है, और इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है,
जिसका अनुभव सिर्फ हमने ही पहली बार किया है। इस प्रकार से वह उस लड़की को वहीं
छोड़ कर वहां सीधा शहरयार के शहर के तरफ चल पड़े, जिसके बाद वह अपने महल में गया
और अपनी पत्नी के साथ दस दासी के साथ उन दस दासों का तत्काल कत्ल कर दिया।
इसके बाद
शहरयार ने हर रात को एक कुंआरी कन्या को अपने पास रात्रि में बुलाता, और उसके साथ
रात्रि बिताने के बाद, सुबह उसका कत्ल करा देता था, ऐसा ही वह तीन साल तक करता रहा
। जिसके कारण उसने अपने राज्य के सभी नागरिकों को बुरी तरह से परेशान कर दिया, सभी
में उसको ले कर बहुत अधिक बेचैनी फैल गई, जिसके कारण उसके राज्य से श्रेष्ठ लोग
अपनी पुत्री को ले कर भागने लगे। कुछ समय के बाद कोई भी लड़की उसके राज्य में नहीं
बची, जिस को वह अपने पास रात्रि में सोने के लिए बुला सके, जब राज्य के वजीर को
आदेश दिया गया, कि वह राजा के लिए लड़की को राज्य से ले कर आए, जैसा कि वह प्रायः
करता था, उसने सभी जगह लड़की कि तलाश की, लेकिन उसको एक भी लड़की नहीं मिली, जिसके
बाद वह खाली हाथ निराश अपने घर पर गया, क्योंकि वह अपने राजा से बहुत अधिक भयभीत
था कि राजा को ऐसा पता चला तो वह उसके साथ क्या करेगा?
इस वजीर
की दो पुत्री थी, जिसकी बड़ी पुत्री का नाम शहरजाद था, और दूसरी छोटी लड़की का नाम
दुनियाजाद था। शहरजाद ने बहुत सी किताब और इतिहास को पढ़ा था, इसके साथ उसने बहुत
से राजा की कहानी और दूसरे बहुत से पहले के लोगों की कहानी को भी पढ़ा था, जिस को
पहले के समय में सुरक्षित रखा गया था, जिसके बार में कहा जाता है कि वह किताब
हज़ारों की संख्या में थी, जिन में बहुत से लोगों के साथ राजा, और कवि के बारे में
थी। उसने अपने पिता से पूछा मेरी देखभाल करने वाले के पास ऐसी कौन सी परेशानी आ गई
है, जिसकी वजह से बहुत अधिक परेशान और निराश हैं?
जैसा कि
किसी कवि ने उसकी बातों को अपनी भाषा में कुछ इस प्रकार से कहा है।
उसने अपना देखभाल करने वाले पिता से कहा,
देखभाल का अभी अंत नहीं आया है,
अब जैसे ही आनंद और प्रसन्नता का समय व्यतीत हुआ,
अभी और देखभाल करनी है।
जब उसके
पिता ने इसको सुना तो उसने वह सब कुछ उसको बताया, जो उसके साथ होने वाला था, इसके
साथ उसके और राजा के मध्य में जो भी प्रारंभ से अब तक हुआ था, इसको सुनने के बाद
उसने अपने पिता से कहा मेरा विवाह इस आदमी से कर दे, या तो मैं जीवित रहूंगी, या
फिर मैं मुस्लिम के बच्चों की उससे रक्षा करुंगी। इस पर उसके पिता ने चिल्लाते हुए
कहा, तुम अपने जीवन को खतरा में मत डालो, लेकिन उसकी पुत्री ने जोर दे कर कहा कि
वह ऐसा ही करे जैसा कि वह कहती है, लेकिन उसके पिता ने मना करते हुए कहा मुझे भय
है, कि तुम अनुभव कर सकती हो कि व्यापारी के बैल और गधे के साथ जो हुआ था। इस पर
उसकी पुत्री ने कहा उनके साथ क्या हुआ था? उसके पिता ने उससे कहा मेरी पुत्री तुम अवश्य जानती होगी, कि एक व्यापारी
था जिसके पास धन के साथ जानवर भी थे, और वह व्यापारी ईश्वर प्रदत्त ऐसा ज्ञान रखता
था, जिससे वह आसानी से जानवर और पक्षी की भाषा को समझ सकता था। जो एक गांव में
रहता था, और उसके घर में एक बैल के साथ एक गधा भी रहता था।
एक दिन
बैल गधे के रहने के कमरे में गया, जहां पर उसने गधे के कमरे को साफ सुथरा और पानी
छिड़का हुआ पाया, और गधे की नाद में उसके लिए जौ का भूषा भरा था, स्वयं गधा वहां
आराम कर रहा था। जिस को देख कर, उसने गधे से कहा, हमारा मालिक तुम्हारा उपयोग कभी
–कभी करता है, कभी काम पर ले भी जाता है, तो थोड़े समय में ही तुम को वापिस ले कर
आ जाता है, जबकि मैं हमेशा खेत को जोतता हूं, और अनाज की दवरी करता रहता हूं, (पहले अनाज
निकालने के लिए बैलों को फसल पक जाने पर उनके पर घूमाया जाता था) करता रहता हूं।
इस को सुन कर गधे ने उत्तर देते हुए कहा, जब मालिक तुम्हें खेत जोतने के लिए
तुम्हारे गले में जुए को डालने आये, तो तुम अपने स्थान पर से मारे जाने पर भी खड़ा
मत होना, अगर वह तुम को खड़ा भी कर दे तो फिर तुम बैठ जाना। और जब वापिस चारा लेकर
तुम्हारे खाने के लिए ले आये, तो तुम बिल्कुल चारा को मत खाना, यद्यपि तुम स्वयं
के बीमार होने के बहाना करना। चारा पानी का बिल्कुल उपयोग दो तीन दिनों तक बिल्कुल
मत करना, और इस समय तुम बिल्कुल आराम से अपनी थकान को मिटाना।
अगल दिन जब
पशु पालक ने बैल को रात्रि में खाने के लिए चारा ले कर आया, जिसमें से बैल ने
बिल्कुल थोड़ा सा ही चारा खाया, जिसके बाद अगले दिन सुबह जब बैल को खेत में जुताई
करने के लिए, ले जाने के लिए वह आया, तो उसने देखा की बैल बीमार है, उसने दुःखी हो
कर स्वयं से कहा इसलिए ही यह कल अपना कार्य अच्छी तरह से नहीं कर रहा था। वह पशु
पालक अपने मालिक के पास गया और, उससे कहा स्वामी बैल अस्वस्थ है, उसने कल साम से
कुछ चारा नहीं खाया है। बैल और गधे के बिच में जो भी हुआ था, उसका मालिक सब कुछ
समझ गया, उसने कहा आज बैल के स्थान पर गधे के ले जा कर उससे दिन भर जुताई करो। पशु
पालक ने ऐसा ही किया, जब साम को गधा दिन भर खेत की जोताई करके साम को आया, बैल ने
गधे की दयालुता के लिए उसको धन्यवाद दिया, क्योंकि उसके कारण ही आज दिन भर उसको
आराम करने का मौका मिला था, जिसके लिए गधा बहुत अधिक दुःखी और प्रायश्चित्त कर रहा
था, उस समय उसने बैल को कोई उत्तर नहीं दिया। अगल दिन सुबह भी पशु पालक आया और गधे
को ही लेकर खेत को जोतने के लिए ले गया और दिन भर उससे खेत की जोताई कर के साम को
वापिस लाया। गधे की गरदन जुए के कारण घिस गई थी, और वह जोताई की थकान के कारण लगभग
आधा मर चुका था। जब बैल ने उसको देखा, तो उसने फिर धन्यवाद के साथ उसकी प्रशंसा
की। इस पर गधे ने कहा कि तुम को कुछ सुझाव देना चाहता हूं, क्योंकि जब मैं अपने
काम से थोड़ा समय पा कर, आराम कर रहा था तभी मैं अपने मालिक को तुम्हारे बार में
बात करते हुए सुना था, वह कह रहा था कि अगर बैल स्वस्थ नहीं हुआ, तो मैं उसको कसाई
को हत्या करने के लिए दे दूंगा। इस तरह से तुम्हारा कार्य नहीं करने से तुम कई
टुकड़े में काट दिए जाओगे। जिस को सुन कर मैं बहुत अधिक भयभीत हो गया, इसलिए ही
मैंने तुम को अपना प्रिय समझ कर सुझाव दिया है। जब बैल ने गधे की पुरी बात को सुना
तो उसने कहा तुम्हारा बहुत – बहुत धन्यवाद, कल सुबह मैं उस आदमी के साथ अपने कार्य
को करने के लिए जाउंगा। अगले दिन सुबह बैल ने अपने चारा को खा कर तैयार हो गया, और
जब पशु पालक उसके पास आया तो वह उसको अपनी जीभ से चाटा। जब गधा और बैल आपस में बात
कर रहे थे, तो वह व्यापारी उनकी बातों को सुन रहा था।
कुछ समय
के बाद जब पशु पालक बैल को अपने साथ लेकर खेत में जोतने के लिए जा रहा था, तब उसको
मालिक अपनी पत्नी के सा अपने घर के बाहर बैठ कर उसको देख रहा था, जब बैल ने अपने
मालिक को देखा तो उसने पागुर करते हुए अपनी पूंछ को हिलाना शुरु कर दिया, जिस को
देख कर उसका मालिक बहुत तेज से हँसने लगा, लगभग वह जमीन पर गीर गया। उसकी पत्नी जब
अपने पति को ऐसी स्थिती में देखा तो उसने पूछा तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? इस पर व्यापारी ने
उत्तर में कहा की मैंने कुछ राज की बात को देखा और सुना है। लेकिन मैं उसके बारे
में तुम को कुछ भी नहीं बता सकता, क्योंकि मैंने यदि ऐसा किया तो मैं मर जाउंगा।
उसकी पत्नी ने जोर देकर कहा भले ही तुम मर जाओ, फिर भी तुम मुझको वह राज की बात को
बताओ, जिस पर व्यापारी ने फिर कहा वह इसके बारे में कुछ भी नहीं बता सकता है, उसे
अपनी मृत्यु का भय है। लेकिन इस पर उसकी पत्नी ने कहा तुम मुझ पर हंस रहे थे, और
इस बात को लेकर वह बहुत अधिक क्रोधित और नाराज हो गई। जिसके कारण व्यापारी भी बहुत
परेशान हो गया, इसलिए उसने अपने बच्चों को अपने पास बुलाया, जिसमें से एक लड़के को
वकील को बुलाने के लिए कहा, और दूसरे को परिवार और पड़ोसिनों को बुलाने के लिए
भेजा। क्योंकि वह मरने से पहले जो जरूरी कार्य है उसको कर लेना चाहता था, क्योंकि
राज की बात अपनी पत्नी को बताने के बाद ही मर जाएगा। वह अपनी पत्नी से बहुत अधिक
प्रेम करता था, वह उसके मित्र की पुत्री और उसके बच्चों की मां थी, जब कि वह स्वयं
120 वर्ष का हो चुका था। जब पुरा परिवार और पड़ोसी आकर उसको पास एक साथ एकत्रित हो
गए, तब उसने उन सब को बताया, कि उसके पास कुछ ऐसी राज की बात है जिस को किस को
बताने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। लेकिन उसकी पत्नी उसको बाताने के लिए उससे जिद कर
रही है। इसको सुन कर सब लोगों ने उसकी पत्नी से आग्रह किया, कि ऐसा तुम क्यों कर
रहीं हो, तुम इसके बच्चों की मां हो ऐसा मत करो, वह तुम्हारा पति है, लेकिन उसकी
पत्नी ने कहा मैं तब तक शांत नहीं हो सकती हूं, जब तक कि यह मुझको वह राज की बात
नहीं बता देते हैं, मैं चाहती हूं कि यह मर जाए। इस बात को सुनने के बाद वह सभी
लोग मौन हो गए। धीरे- धीरे वहां से सब अपने – अपने स्थान पर जाने लगे। जबकि अपने व्यापारी
मरने के लिए तैयारी करने लगा, और अपने अंतिम संस्कार के लिए सारी व्यवस्था में लग
गया। उसके पास जो अपने कुछ जरूरी कार्य थे उसको करने के बाद वह राज की बात को अपनी
पत्नी को बता कर मर जाएगा।
उस
व्यापारी के पास अपना एक मुर्गा और पन्द्रह मुर्ग़ी के साथ एक कुत्ता भी था, और
उसने अपने कुत्ते को सुना जो मुर्ग़े को गाली देने के साथ कह रहा था, कि तुम आनंद
मना रहे हो, जबकि हमारी स्वामी अपने मरने की तैयारी करने में लगा है, तब मुर्ग़े
ने पूछा ऐसा क्यों कर रहा है? जिस पर कुत्ते ने पुरी कहानी को मुर्ग़े को बताया। जिस पर मुर्ग़े ने जोर
से कहा हे भगवान वह कितना अधिक बुद्धिहीन है? मेरे पास
पन्द्रह पत्नी हैं, और मैं इनके साथ संतुष्ट रखता हूं, जबकि वह अपनी एक पत्नी को
भी संतुष्ट नहीं कर सकता है, उसको उसके आदेश को मानने के लिए मजबूर होना पड़ रहा
है। वह उसको कमरे में बंद करके लट्ठ से क्यों नहीं पिटता है?
तब तक पिटता जब तक वह मर ना जाये, या फिर वह अपनी जिद को हमेशा को लिए छोड़ दे।
वजीर ने
अपनी पुत्री शहरजाद से फिर कहा, मैं भी तुम्हारे से वैसा ही व्यवहार करुंगा, जैसा
व्यवहार व्यापारी ने अपनी पत्नी के साथ किया था। उसकी पुत्री ने पूछा व्यापारी ने
किया, जिस पर वजीर ने आगे कहा कि जब व्यापारी ने अपने कुत्ते और मुर्ग़े की बात को
सुना तो उसने एक मोटा लकड़ी का लट्ठ लिया और उसको कमरे में ले जा कर छिपा दिया, और
अपनी पत्नी को उस कमरे में बुलाया, कि आवो मैं राज की बात बताना चाहता हूं, वह
उसके साथ कमरे के अंदर गई, जिसके बाद कमरे के दरवाजे को व्यापारी ने बंद कर लिया,
और लट्ठ से पिटना शुरु कर दिया,
तब तक पिटता रहा जब तक कि वह बेहोश नहीं होने लगी, जिससे उसकी पत्नी
ने, अपनी जिद को छोड़ दिया, और हाथ पैर
जोड़ कर अपने को क्षमा करने के लिए, व्यापारी से कहने लगी।
और इसके बाद उसने प्रायश्चित्त किया, बाद वह अपने पति और बच्चों के साथ आनंद से
रहने लगी, और वह तब तक प्रसन्नता के साथ रहे जब तक उनकी मृत्यु नहीं हो गई।
शहरजाद ने
अपने पिता की सभी बातों को सुना, लेकिन उसने उसकी बात को नहीं माना, उसने कहा की
वह राजा से विवाह अवश्य करेगी, जिससे वह राजा शहरयार को इस निकृष्ट कर्म करने से
रोक सकती है, इसके लिए उसने एक योजना बनाई है। उसने अपनी छोटी बहन दुनियाजाद को
अपनी योजना को बताया, कि जब मैं राजा के पास जाउगी, मैं तुम को अपने पास बुलाने के
लिए आदमी भेजुगी, और तुम मेरे पास आ जाना, और जब तुम देखना राजा ने वह सब कुछ कर
लिया है, मेरे साथ वह जो भी करना चाहता होगा, तुम मुझ से कहना बहन कहानी सुना, जिससे
बची हुई रात्रि व्यतीत अच्छी तरह से होगी, फिर मैं तुम को कहानी कहुगी, ईश्वर की
इच्छा हुई तो वह हमारी रक्षा करेगा।
शहरजाद को
लेकर उसका पिता राजा के पास गया, राजा उसको देख कर बहुत अधिक प्रसन्न हुआ, और कहा
आज तुमने उसको मेरे पास लाया है जिसकी मुझे इच्छा थी। तब वजीर ने कहा हाँ, राजा
शहरजाद के साथ सोने के लिए तैयार था, यद्यपि वह अपनी आँखों आंसू भर कर रो रही थी,
जिस पर उसने उससे पूछा तुम क्यों रो रही हो?
जिस पर उसने कहा मेरी एक छोटी बहन है जिसे मैं अंतिम बार मिलना
चाहती हूं, जिस पर राजा दुनियाजाद को अपने पास बुलाया, और तब वह आई, और शहरजाद के
गले लगी, जिस पर शहरजाद ने अपने विस्तर के नीचे बैठने के लिए स्थान दिया, जब राजा
ने उसकी बहन से संभोग के कार्य को संपन्न कर लिया। फिर वह बैठ कर दुनियाजाद से
बातचीत करने लगे, और दुनियाजाद ने अपनी बहन से कहा बहन एक कहानी सुना जिससे रात्रि
व्यतीत हो जाये। बहुत अधिक प्रसन्नता के साथ शहरजाद ने उत्तर दिया, क्या हमारे
सभ्य राजा मुझे ऐसा करने के अनुमति देते हैं? राजा बेचैन हो
गया जब उसने उसकी बहन की बात को ऐसा कहते हुए सुना, वह प्रसन्नता के साथ कहानी
सुनाने के लिए शहरजाद को आज्ञा दे दी।
शहरजाद ने
कहा ओ सौभाग्यशाली राज मैंने एक धनी व्यापारी के बारे सुना है, जो खेती का अपना
व्यापार करता था, अपने व्यापार के कार्य के लिए एक बार वह अपने घोड़े पर सवार हो
कर घर से निकला, कुछ दूर जाने पर उसको बहुक गर्मी महसूस हुई, इसलिए वह रास्ते के
एक बड़े वृक्ष के नीचे जा कर बैठ गया, और उसने अपने थैले में से खाने के लिए रोटी
और खजूर को निकाला, और उसको खाने लगा, जब उसने अपना खाना पुरा कर लिया, तब अपने
हाथ से उसने खजूर की गुठली को वहां से दूर फेंक दिया। तभी वहां व्यापारी के पास एक
जिन अपने हाथ में तलवार को ले कर आया, और उससे कहा खड़े हो जाओ, मैं तुम्हारी उसी
तरह से हत्या कर दूंगा, जिस तरह से तुमने मेरे पुत्र की हत्या कर दी है, व्यापारी
ने कहा कैसे मैंने तुम्हारे पुत्र की हत्या की है? जिन ने कहा जब तुमने खजूर को खा कर
उसकी गुठली को अपने हाथ से फेंका, उसी समय मेरा पुत्र घूमने के निकला था, तभी वह
गुठली मेरे पुत्र की आँख में जा कर घूस गई, जिससे वह दर्द से कराह कर तत्काल मर
गया। इस पर व्यापारी ने विनीत भाव से कहा हम ईश्वर से संबंध रखते हैं, और उसने ही
हमें यहां संसार में भेजा है, सर्वव्यापक भगवान से अधिक शक्तिशाली और दूसरा कोई
नहीं है। यदि मैंने तुम्हारे पुत्र की अनजाने में हत्या की है, तो तुम मुझे क्षमा
कर दो। इस पर और अधिक क्रोधित हो कर जिन ने व्यापारी को जमीन पर नीचे धकेल दिया,
और अपनी तलवार को उठाया उसको मारने के
लिए, जिस पर व्यापारी ने अपनी आँखों में आंसू भर कर कहा मैं अपने अपराध के लिए
ईश्वर से क्षमा मांगना चाहता हूं, ऐसा कह कर उसने कुछ इस प्रकार से कहा-
समय दो प्रकार का होता है, एक सुरक्षित, दूसरा खतरा
का,
और हमारे जीवन में दो बड़े छिद्र है, एक अच्छा है,
दूसरा बुरा होता है।
वह जो हमें डाटते फटकारते हुए कहता है, कि तुम्हारा
समय पूरा हो चुका है,
सिवाय श्रेष्ठ मनुष्यों के क्या समय किसी के विरोध में
होता है?
क्या तुम नहीं देखते जब तूफानी हवा बहती है,
यह सिर्फ बड़े वृक्ष को उनकी जड़ से उखाड़ देती है।
मुर्दा समंदर की सतह पर तैरते है,
जबकि इसकी गहराई में मोती हुआ करता है।
यह संभव है कि हम समय का गलत उपयोग करते हो,
विषयभोग में हम स्वयं का सर्वनाश निरंतर करते हैं।
हालांकि आकाश में अनंत तारे विद्यमान हैं,
जिसमें से केवल सूर्य और चाँद ही को ग्रहण लगता है।
इस पृथ्वी पर हरी और सुखी दो प्रकार की फुलवारी होती
है,
लेकिन हम सिर्फ उस वृक्ष पर पत्थर मारते हैं जिन पर फल
होता है।
तुम सोचते हो कि आज का दिन अच्छा है, जब वे अच्छा होता
है,
इसलिए भयभीत मत हो, जब दुर्भाग्य तुम्हारे उपर आए।
जब
व्यापारी ने अपनी प्रार्थना पुरी कर ली, तभी जिन ने कहा तुम इस प्रकार का बकवास को
बंद कर दो, क्योंकि ईश्वर जानता है, मैं निश्चित रूप से तुम को मारने वाला हूं। व्यापारी
ने कहा महोदय मैं एक व्यापारी हूं, और मैं एक धनी आदमी हूं, मेरे पार पत्नी और
बच्चे हैं, मैंने कुछ लोगों से ऋण लिया है, और कुछ लोगों को ऋण भी दिया है, इसलिए
तुम मुझे एक साल का समय दे दो, इस समय के मध्य में अपने सारे कार्य को पुरा करके
तुम्हारे पास वापिस आ जाउंगा, इसके लिए मैं परमेश्वर को साक्षी मान कर कसम खाता
हूं। जिसके बाद तुम जो भी करना चाहते हो, तुम अवश्य कर लेना। जिन ने कहा तुम्हारा
विश्वास कैसे कर सकता हूं?
इस पर व्यापारी ने कहा मैं अवश्य तुम्हारे पास आउंगा, और इसके लिए
परमेश्वर को साक्षी मान कर कहता हूं। जिन उसकी बात को मान गया और उसको अपने घर
जाने के लिए आज्ञा दे देता है।
जिसके बाद
वह व्यापारी अपने घर पर गया और अपने कार्य विस्तार को व्यवस्थित किया, और जिससे
उसने ऋण लिया था, उसको उन को वापिस कर दिया। और उसने अपनी पत्नी और पुत्र से वह सब
कुछ बताया, जो उसके और जिन के बीच में बात
हुई थी। उस व्यापारी ने उन को वह सब कुछ बताया, जो उनके लिए जानना आवश्यक था। इस
प्रकार से वह अपने परिवार के साथ अपने एक साल के समय को व्यतीत कर लिया, जिसके बाद
उसका घर को त्यागने के समय आ गया। जिसके कारण उसने आवश्यक पवित्र कर्मों को किया,
और दुःख उदासी के साथ उसने अपने परिवार और पड़ोसी से विदा लेकर, अपने साथ एक कंबल
ले कर, जिन से मिलने के लिए अनिच्छा के चल पड़ा। जबकि उसके पीछे सभी लोग शोक में
विलाप कर रहे थे।
वसंत ऋतु
के प्रारंभ में वह उस वृक्ष के पास पहुंच गया, और वहां पर बैठ कर वह अपने
दुर्भाग्य पर रो रहा था, तभी एक वृद्ध आदमी अपने साथ रस्सी से बंधी एक हिरनी को
लेकर आया। नये आगंतुक ने उस व्यापारी का अभिवादन के बाद उससे पूछ की तुम यहां
एकांत में अकेले क्यों बैठे हो? जबकि यह स्थान जिन का बसेरा है। तब व्यापारी ने उसको कहानी को बताया और
कहा क वह जिन का ही इंतजार कर रहा है, जिस
पर आगंतुक वृद्ध ने कहा भाई वहीं होगा जो परमेश्वर की इच्छा होगी। आगे उस वृद्ध ने
कहा की तुम एक धार्मिक व्यक्ति मालूम पड़ते हो, और तुम्हारी कहानी बहुत अधिक
आश्चर्यजनक है,
यह पुरुषों
की आंखों के कोनों पर सुइयों के साथ लिखा गया था, यह उन लोगों के लिए एक सबक होगा जो
देखभाल करते हैं। और फिर वह भी व्यापारी के पास आकर बैठ गया, और उसने वादा किया कि
वह व्यापारी और जिन के मध्य जो होने वाला उसको देखे बिना नहीं जाएगा। जैसा कि वे
दोनों वहाँ बैठ कर बात कर रहे थे,
व्यापारी बढ़ते संकट और आशंका के साथ भय की पहुँच से
दूर हो गया। ठीक इसी समय पर वहां एक दूसरा बूढ़ा आदमी आया, उसके साथ दो काले कुत्ते
थे। उसने दोनों आदमी का अभिवादन करने के बाद, उसने उनसे पूछा
कि वे जिन्न के इस घेरे में क्यों बैठे हैं? और उन्होंने उसे
शुरू से आखिर तक की कहानी सुनाई। उन को बहुत अधिक समय बैठे हुए नहीं हुआ था, तभी
वहां पर एक तीसरा वृद्ध आदमी अपने साथ एक ख़च्चर को ले कर आया, और उन सब का
अभिवादन किया, इसके बाद उसने भी उन सब से पूछा की आप सब यहां क्यों बैठे हो? जिसके बाद उससे उस व्यापारी ने
अपनी कहानी को दोबारा बताया, इसके बात वह नवागंतुक भी नीचे उनके पास आकर बैठ गया,
वह और कुछ अधिक बातचीत करें, उससे पहले उन्होंने देखा, की कुछ दूरी
पर रेगिस्तान के मध्य में अचानक धूल का विशाल गुबार उठने लगा, जिसमें एक शैतान
दिखाई दिया, जिसने अपने हाथ में एक नंगी तलवार को ले रखा था, जिसकी आँखों में भयानक क्रोध दिखाई दे रहा था।
वह उन
तीनों के पास आया और उनके मध्य में बैठे हुए व्यापारी को खींच लिया, और उससे कहा
खड़ा हो जा, मैं तुम्हारी हत्या करुंगा, जिस प्रकार से तुमने मेरे प्रिय पुत्र की
थी। व्यापारी अपनी मृत्यु के शोक में विलाप करने लगा, उसके साथ वह तीन वृद्ध आदमी
की आँख में भी आँसू भर गए, उन तीन वृद्ध आदमी में जो पहला आदमी थी जिसने अपने साथ
हिरनी को ले कर आया था, वह और दूसरे वृद्ध आदमी को छोड़ कर खड़ा हो गया और जिन का
हाथ पकड़ कर चूमते हुए कहा, जिन्नों के सरताज यदि मैं मेरा इस हिरनी से क्या संबंध
है? इसकी
कहानी तुम को सुनाउ, यदि मेरी कहानी आपको अच्छी लगे, तो क्या आप इस व्यापारी क
हत्या के एक हिस्से को क्षमा कर देंगे। जिस पर जिन्न सहमत हो गया उसने कहा यदि
मुझे तुम्हारी कहानी विचित्र और रुचिकर लगी, तो मैं इस व्यापारी की हत्या का एक
हिस्सा क्षमा कर दुंगा।
पहले वृद्ध
आदमी ने कहा जिन्न यह हिरनी मेरी पत्नी है, मेरे शरीर के खून और मेरे मांस के समान
है। मैं इससे इसकी युवा अवस्था में ही विवाह किया था, जब इसकी उम्र बहुत अधिक नहीं
थी, मैं इसके साथ पिछले तीस साल तक रहा लेकिन इसे कोई बच्चा नहीं हुआ। इसलिए मैं
अपनी एक दासी को अपनी पत्नी बना लिया और उसने मेरे लिए एक पुत्र को जन्म दिया, वह
बहुत अधिक चाँद के समान सुन्दर था, जब वह पन्द्रह साल को हो गया, उसी समय मुझे
अपने व्यापार के किसी काम से अपने देश बाहर जाना था, इसलिए मैंने अपने साथ व्यापार
के लिए सामन को लेकर अपने घर से चला गया। मेरी पत्नी जो इस समय हिरनी है, यह अपनी
युवा अवस्था से ही काले जादू को सिख रही थी,
जिसके कारण उसने अपने जादू से मेरी पत्नी को एक गाय के रूप में बदल दिया,
और मेरे पुत्र को एक बछड़ा बना दिया, इसके बाद उसने मेरे एक पशु पालक को गाय और
बछड़े को पालने के लिए दे दिया। जब काफी समय के बाद मैं अपनी यात्रा से वापिस आया,
तो मैंने अपनी पत्नी से अपनी दासी और पुत्र के बारे में पूछा, तो उसने कहा कि वह
मर गई, और उसका पुत्र यहां से भाग गया है, वह कहां गया है, उसके बारे में उसे कुछ
भी पता नहीं है।
जिसके शोक
मैं साल भर रहा, एक दिन एक शुभ कार्य करते समय मुझे गाय की बलि देना था, जिसके लिए
मैं अपने पशु पालक से कहा की एक मोटी तगड़ी गाय को ले कर मेरे पास आए। जब मेरा पशु
पालक जिस गाय को लेकर आया वह वहीं मेरी दासी औरत थी जिस को मेरी पत्नी ने अपने
काले जादू की शक्ति से गाय में परिवर्तित कर दिया था। वह दासी जिसने मेरे लिए
पुत्र को उत्पन्न किया था। जब मैंने अपनी बांहों के कपड़े को मोड़ कर हाथ में तेज
धार चाकू ले कर उसको काटने के लिए आगे बढ़ा, तभी वह गाय रोते और चिल्लाते हुए, वह
अपनी आँखों से आंसू गिराने लगी। इसको देख कर मैं आश्चर्यचकित हुआ, और मुझे गाय पर
दया आने लगी, मैंने उसको छोड़ दिया, और अपने पशु पालक से कहा दूसरी गाय को ले कर
आए। जिस पर मेरी पत्नी मुझ पर चिल्लाते हुए कहा इसी की बलि दो, मैंने इससे अधिक
अच्छी और मोटी गाय अपनी गौ शाला में नहीं देखी है।
मैं फिर
से मैं गाय की हत्या करने के लिए आगे बढ़ा, और फिर मैंने गाय का रोना देखा, जिस पर मैंने
चरवाहे से कहा कि वह ही उस गाय का वध कर दे, और उसके मांस को ले कर आए, उसने ऐसा
ही किया, गाय का वध करने के बाद उसने शव में न तो मांस था और
न ही वसा थी, बल्कि उसमें केवल त्वचा और हड्डी थी। मुझे इस
बात का अफसोस था, कि मैंने ऐसे समय में यह क्या कर दिया, जब अफसोस का कोई फायदा
नहीं हुआ, तब मैंने चरवाहों को गाय दे दिया, और उससे कहा कि
मेरे लिए एक मोटा बछड़ा ले कर आए । मेरे चरवाहे ने मेरे सामने जिस बछड़ा को ले कर
आया वह मेरा बेटा था, और जब मैंने उस बछड़े को अपने हाथ से पकड़ा, तो उसने अपनी रस्सी
को तोड़ दिया, और मेरे सामने धूल में लुढ़कनी के साथ गरजना करते हुए अपने आंसू बहाने
लगा। फिर मुझे उस पर भी तरस आया और चरवाहों से कहा कि बछड़े को छोड़ दो, और मुझे
एक गाय लाओ, और फिर मेरी पत्नी, अब इस
हिरनी ने, मुझे अपने पास बुला कर आग्रह किया, कि मुझे आज के दिन
ही बछड़े का वध करना चाहिए । उसने बताया कि आज एक महान और श्रेष्ठ दिन है। आज के
दिन किया गया बलिदान बहुत अधिक फल देने वाला होता है, और हमारे पास इस बछड़े से
मोटा या अच्छा जानवर कोई दूसरा नहीं है। मैंने उससे कहा कि देख गाय के साथ क्या
हुआ जैसा कि तुमने मुझे गाय को मारने के लिए कहा था। और मैंने तुम्हारे कहने के
अनुसार गाय का वध करा दिया, लेकिन उसकी परिणाम मुझे बहुत अधिक निराश किया है, और
मुझे उस गाय की हत्या का बहुत अधिक प्रायश्चित्त हो रहा है। इस समय मैं तुम्हारे
कहने पर इस बछड़े का वध नहीं करने वाला हूं, इस पर मेरी पत्नी ने कहा' भगवान के लिए जो सर्वशक्तिमान और दयालु है, आप इस बड़े
दिन पर यह वध करना चाहिए, और यदि आप ऐसा नहीं करते हैं,
तो आप मेरे पति नहीं हैं, और मैं आपकी पत्नी नहीं हूं। इन कठोर शब्दों
को सुनने के बाद, यद्यपि मैं इसके पीछे उसका क्या इरादा था, वह नहीं जानता था? इसलिए मैंने एक बार फिर अपने हाथ में चाकू को लेकर बछड़े के पास गया।
सुबह
होने वाली थी इसलिए शहरदाज ने कहानी को सुनाना बंद कर दिया, जिस पर दुनियाजाद ने
कहा कितनी आश्चर्यजनक कहानी है, जिसके शहरजाद ने सुनाया। शहरजाद ने कहा इससे भी
अधिक सुन्दर कहानी आने वाली रात को मैं तुम्हें सुनाउगी, यदि राजा ने मुझ जिंदा
छोड़ दिया तो, राजा ने स्वयं ईश्वर जानता है, कि मैं जब तक कहानी को पुरी तरह से
नहीं सुन लेता, तुम्हारी हत्या नहीं कराउंगा। और इस प्रकार उन दोनों बहिनों एक
दूसरे को गले से लगा लिया, तब तक सूर्य का उदय हो गया। राजा अपने दरबार में चला
गया, जैसा की वजीर अपने बांह के नीचे कम्मल ले कर उपस्थित हुआ, राजा ने अपना राज्य
में न्याय देने का कार्य किया, कुछ लोगों को अपनी सेवा में रखा और कुछ लोगों को
अपने राज्य की सेवा से बाहर निकाल दिया। इसी प्रकार शाम हो गई, जिस पर वजीर
आश्चर्यचकित हुआ क्योंकि राजा ने उसकी पुत्री की हत्या का आदेश नहीं दिया। राजा ने
दरबार को बर्खास्त कर दिया और वापिस अपने महल में गया।
इसी
प्रकार से दूसरी रात्रि को भी दुनियाजाद ने शहरजाद से कहा बहन तुम अपनी कहानी
व्यापारी और जिन की पुरी करो। प्रसन्नता के साथ शहरजाद ने कहा क्यों नहीं, यदि
इसके लिए राजा मुझे आज्ञा देते हैं, तो मैं अपनी कहानी को अवश्य आगे कहुंगी। और जब
राजा ने उसके कहानी को आगे सुनाने के लिए कहा, तब उसने आगे कुछ इस प्रकार से कहा,
ओ सौभाग्यशाली राजा मैंने सुना है, कि जब व्यापारी बछड़े का गला काटने के लिए आगे
बढ़ा तो उसको बछड़े के उपर दया आ गई, और वह वहां से हट गया, और अपने पशु पालक से
कहा इस बछड़े को भी दूसरे जानवरों के साथ रख दो। जिन यह सब बड़े आश्चर्य और
उत्सुकता के साथ सुन रहा था, जो वह हिरनी को अपने साथ लेकर आने वाला वृद्ध आदमी कह
रहा था। उसने आगे कहा जिन के राजाओं के स्वामी जब यह सब कुछ हो रहा था, मेरी पत्नी
जो अब हिरनी के रुप में है, उसने बछड़े देखते हुए कहा इसको अभी मार दो, क्योंकि यह
काफी मोटा तगड़ा है, लेकिन मैं स्वयं ऐसा करने में स्वयं असमर्थ पाया, इसलिए मैंने
अपने पशु पालक से कहा तुम इसको यहां से दुर लो जाओ, और उसने ऐसा ही किया। अगले दिन
सुबह, जैसा की मैं अपने घर के सामने बैठा हुआ था, मेरा पशु पालक मेरे पास आया और
उसने मुझ से कहा मेरे पास कुछ ऐसा समाचार है, जिसे सुन कर आपको प्रसन्नता मिलेगी,
और आप वादा करें जब आपको मेरा समाचार आच्छा लगे, तो आप मुझको पुरस्कार देंगे। मैं
उसकी बात पर सहमत हो गया, तब उसने आगे मुझ से कह स्वामी, मेरी एक युवा पुत्री है,
जिसने एक वृद्ध औरत से जादू की कला को सीखा है, जिसके साथ हम कल बैठे थे।
कल जब
आपने मुझको बछड़े को दिया था, मैं उसको लेकर अपनी पुत्री के पास गया, उसने जब
बछड़े को देखा तो अपना मुख ढक लिया, और उसकी आँखों में आंसू भर आए, जिसके बाद वह
तेजी से हँसने लगी। फिर उसने मुझ से कहा पिता जी तुम ने जिस को इस प्रकार से आसानी
से सामान्य जीवन समझ कर पकड़ा है, वह मेरे लिए एक विचित्र आदमी है। इस पर मैंने
कहा वह विचित्र आदमी कहां है? और तुम हँसने के साथ रो क्यों रही हो? इस पर उसने
कहा जिस को आपने बछड़ा समझ कर अपने साथ लिया है, वह हमारे स्वामी का पुत्र है, यह
और इसकी मां जादू की शक्ति से अपनी रुप बदल दिया है, और ऐसा इन को बनाने वाली इसके
पिता की पहली पत्नी है। मेरे हँसने का यहीं कारण था जिस लिए मैं हंस रही थी, और
मैं रो इस लिए रही थी क्योंकि इसके पिता ने इसके मां की हत्या कर दी है। इसको सुन
कर मैं बहुत अधिक आश्चर्यचकित हुआ, और जैसे सुबह ही सुबह को मुझे समय मिला, तो मैं
यह आपको बताने के लिए आ गया हूं, जब मैं अपने पशु पालक की बात को सुना तो मैं नशे
में उसके साथ अपने घर से बाहर चला गया, और यह नशा शराब का नहीं यद्यपि वह मेरी
प्रसन्नता और आनंद के भाव का नशा था जिस को मैं महसूस कर रहा था। और जब मैं उस
आदमी के साथ उसके घर पर पहुंचा तो उसकी पुत्री ने मेरा स्वागत किया और मेरे हाथों
को पकड़ कर चूमा। फिर मैंने उससे पूछा जो तुम बछड़े के बारे में कह रही हो क्या वह
सत्य है? उसने मुझे आश्वस्त करते हुए कहा हां मालिक यह
बिल्कुल सत्य है, यह आपके प्रेमिका का पुत्र है, मैंने उस लड़की से कहा क्या तुम
उस बछड़े को जादू के प्रभाव से मुक्त कर सकती हो, यदि तुमने ऐसा कर दिया तो मैं
तुम को और तुम्हारे पिता को अपने सारे पशु और दूसरे जानवरों को दे दुगा। इस पर
उसने हँसते हुए कहा मालिक, मैं वैसा कर सकती हूं जैसा आप कहते हैं, लेकिन मेरी
केवल दो शर्तें हैं, जिस को आपको स्वीकारना होगा, मेरी पहली शर्त यह की मैं बछड़े
को आदमी बनाने के बाद उससे मैं अपना विवाह करुंगी, और मेरी दूसरी शर्त यह की मुझे
उस पर जादू करने की अनुमति दी जाए, जिसने उसे मुग्ध कर दिया है, और यदि उसे सीमित नहीं
रखा गया, तो इसके बाद मैं उसकी षडयंत्रकारी जादुई शक्ति से
सुरक्षित नहीं रहूंगी ।
जब मैंने उसकी सारी बातों को सुन लिया, तो मैंने वह सब
कुछ उसे देने का वादा किया जिस को वह चाहता थी, और साथ ही वह सब कुछ जो उसका पिता मुझ
से चाहता था, इसके साथ मैंने उसे अपनी पत्नी को मारने की
अनुमति भी दे दिया। जिसके बाद उसने एक कटोरा ले कर, उसको पानी
से भर दिया, और उस पर उसने कुछ जादूई शक्ति को जागृत करने के लिए मंत्रों का जाप
किया, जिसके बाद उसने उस पानी को बछड़े के उपर छिड़कते हुए कहा
यदि तुम एक बछड़ा हो, और सर्वशक्तिमान भगवान ने तुम को ऐसा ही बनाया है, तो तुम इसी आकार में रहना बिल्कुल मत बदलना, और यदि तुम को जादू की शक्ति से बनाया गया है तो आप
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की आज्ञा से अपने वास्तविक रूप में लौट आए। जिसके बाद वह
बछड़ा मेरी आँखों के सामने तत्क्षण एक झटके के साथ मनुष्य रूप में परिवर्तित हो
गया। जिस को मैंने अपने हृदय में महसूस किया, और कहा परमेश्वर के लिए मुझ से बताओ
कि मेरी पत्नी ने तुम्हारे और तुम्हारी मां के साथ क्या किया था? उसने मुझ से वह सब कुछ बताया जो भी मेरी पत्नी ने उनके साथ किया था, इस
पर मैंने उससे कहा मेरे पुत्र तुम को जोखिम लेकर फिर से प्राप्त किया है, तुम अपने
अधिकार को प्राप्त करोगे, इसके बाद मैंने उसका विवाह पशु पालक की पुत्री से कर
दिया, और उसने मेरी पत्नी को अपने जादू से एक हिरणी में परिवर्तित कर दिया। जो इस
समय मेरे साथ इस सुन्दर आकृति में उपस्थित है, वह पशु पालक के पुत्री हमारे साथ
कुछ समय तक रही, उसके कुछ बाद परमेश्वर ने उसे अपने पास बुला लिया, और मेरा पुत्र
मेरे देश को छोड़ कर भारत देश के लिए हमेशा के लिए चला गया। जिस देश का यह आदमी
है, जिसका आपको अनुभव है, और मैंने अपनी पत्नी जो हिरणी के रूप में है, उसको अपने
साथ लेकर एक देश से दूसरे देश यात्रा कर रहा, तभी मैंने इस व्यापारी के समाचार के
बारे में सुना और इससे मिलने के लिए यहां पर आ गया, और मैंने देखा कि व्यापारी
अपने दुर्भाग्य पर रो रहा था, जहां पर मेरी मुलाकात आप से हो गई यहीं मेरी कहानी
है।
जिन्न ने
उसकी कहानी सुनने के बाद कहा यह बहुत सुन्दर कथा है, मैं तुम पर बहुत अधिक प्रसन्न
हूं, इसलिए मैं इस व्यापारी के अपराध का एक हिस्सा क्षमा करता हूं।
इसके बाद
दूसरा वृद्ध आदमी आया जिसके साथ दो कुत्ते थे उसने जिन्न से प्रार्थना की मैं आपको
अपने भाई और इन दोनों की अद्भुत कहानी सुनाना चाहता हूं, यदि आपको मेरे द्वारा कही
कथा आश्चर्यचकित करे और पसंद आये, तो इस व्यापारी के अपराध का एक हिस्सा क्षमा कर
देना। इस पर जिन्न सहमत हो गया।
दूसरे
वृद्ध आदमी ने इस प्रकार से अपनी कहानी को प्रारंभ करते हुए कहा, जिन्नों के
स्वामी यह दोनों कुत्ते मेरे सगे भाई हैं, हम सब तीन भाई हैं, मेरे पिता के मृत्यु
के बाद हम तीनों भाई के पास तीन – तीन दीनार रुपए थे, जिससे हम में से हर एक ने
अपना – अपना व्यापार शुरु कर किया। मैं कुछ समय के लिए बाहर गया था, तब हमारे बड़े
भाई ने जो इस समय कुत्ते के रूप में है, उसने अपने दुकान के सारे सामन को एक हजार
दीनार में बेंच कर, कुछ दूसरे व्यापारिक सामान को ले कर अपने देश से बाहर किसी
दूसरे देश में व्यापार करने के लिए चला गया, और पूरे एक साल तक वहाँ रहने के बाद
एक दिन जब मैं अपने दुकान पर बैठा था तभी मैंने अपने सामने एक भिखारी को देखा, वह
मेरी दुकान के सामने आकर खड़ा हो गया। मैंने उसको कुछ देना चाहा, लेकिन उसने अपनी
आँखों में आंसू भर कर कहा क्या तुम मुझको अब पहचानते नहीं हो? जब मैंने उसको
ध्यान से देखा तो मैंने पाया की वह मेरा भाई है, मैंने उसका स्वागत किया और अपने
गले से लगा लिया, इसके बाद मैंने उसको अपने दुकान में ले गया। फिर मैंने उससे पूछा कि वह कैसा है? उसने कहा कुछ मत पुछो, मेरा सारा धन खर्च हो चुका है, और मेरी परिस्थिति
बदल चुकी है, मैंने उसको स्नान कराया, और उसको अपने कपड़े के साथ कुछ रुपया दिया,
शाम को अपने साथ अपने घर पर ले आया। फिर मैंने अपने संग्रहित धन को देखा, उस समय
मेरे पास व्यापार से फायदा का तीन हजार रुपया हो चुका था। मैंने उसको अपने भाई को
दे दिया, और उससे कहा की वह सब कुछ भूल जाए जो भी उसके साथ विदेश में हुआ था, यहां
पर वह अपना फिर से नया व्यापार शुरु करें। उसने प्रसन्नता के साथ धन को ले लिया और
उसने अपने लिए एक नई दुकान को खोला। कुछ समय के बाद, मेरा दूसरा भाई वह भी जो इस
समय दूसरे कुत्ते के रूप में मेरे साथ है, वह अपने दुकान का सारा माल बेंच कर मेरे
पास आया और मुझ से कहा कि वह भी बाहर दूसरे देश में जाना चाहता है, हमने उसे रोकने
का बहुत प्रयास किया लेकिन वह हमारी बात को नहीं माना, यद्यपि उसने कुछ दूसरे माल
को खरीद कर कुछ दूसरे व्यापारी के साथ चा गया। वह भी पूरे एक साल तक देश से बाहर
रहा, इसके बाद वह ठीक मेरे बड़े भाई की तरह से भिखारी के रूप में वापिस आया, मैंने
उससे कहा भाई मैंने तुम को पहले ही कहा था कि तुम बाहर मत जा, लेकिन उसने उत्तर में कहा यह सब मेरे दुर्भाग्य के कारण
हुआ है। अब मैं बिल्कुल दरिद्र हो चुका हूं, मेरे पास एक पैसा नहीं है, यहां तक
मेरे पास पहनने के लिये वस्त्र भी नहीं है। मैंने उसको भी अपने दुकान के अंदर ले
गया और स्नान कराने के बाद अपने वस्त्र उसको पहनने के लिए दिया। घर लाने से पहले
मैंने उसके साथ खाया पिया, जिसके बाद मैंने उससे कहा की मैं हर साल अपने व्यापार
के फायदा को देखता हूं, यदि मेरे पास कुछ अधिक फायदा का धन हुआ तो मैं तुम को पैसा
दे दुंगा। और जब मैंने अपने व्यापारिक धन की गड़ना की तो मैंने पाया की मुझे अपने
व्यापार में दो हजार को फायदा हो चुका था, मैंने पहले ईश्वर को धन्यवाद किया फिर
मैंने उस दो हजार में से एक हजार रुपए अपने दूसरे भाई को भी दे दिया। जिससे उसने
भी अपना नया व्यापार शुरु कर लिया। यह सब
कुछ समय तक अच्छा चला लेकिन एक दिन मेरे दोनों भाई एक साथ मेरे पास आए, और मुझको बाहर जा कर व्यापार करने के लिए कहने लगे। मैंने उन को मना करते
हुए कहा क्या तुम दोनों अपने व्यापारिक यात्रा के बारे में भूल गये हो? तुम दोनों ने कितना धन कमाया था? जो काम तुम सब ने
किया है, वह मैं कल्पना में भी नहीं कर सकता हूं। क्या तुम लोग सोचते हो की मैं
बाहर जा कर और अधिक धन कमा सकता हूं?
मैंने उनकी बातों को सुनने
से मना कर दिया, हम वहीं रह कर अपने –अपने व्यापार को करने लगे। हर साल वह लोग मरे
पास उसी प्रस्ताव को ले कर आते थे, जिससे मैं सहमत नहीं था, अंत में 6 साल के बाद
मैंने उनकी बात को मान गया और मैंने उनसे कहा कि मैं उनके साथ व्यापार करने के लिए
यात्रा पर जाने के लिए तैयार हूं। जिसके बाद मैंने उनसे कहा तुम लोग दिखाए की
तुम्हारे पास कितना धन है, जब मैंने जांच पड़ताल किया, तो पाया कि उनके पास खाने
पीने और मनोरंजन के लिए पर्याप्त धन नहीं था। मैंने उनसे कुछ भी नहीं कहा, यद्यपि
मैंने अपने बही खाते को देखा जिसमें मुझे फायदा दिखा, फिर भी हमने एक साथ अपनी
दूकानों को सामान समेत बेंच दिया, और उनके साथ व्यापारिक यात्रा पर अपने साथ 6
हजार दीनार को ले कर प्रसन्नता के साथ चलने के लिए तैयार हो गया। तभी मैंने कुछ
विचार करके अपने तीन हजार दीनार को अपने घर के अंदर जमीन में यह कह कर गाड़ दिया,
कि यदि मेरे साथ भी व्यापारिक यात्रा में तुम्हारे जैसा ही हो गया, तो यह बचा हुआ
धन हमारे बुरे दिन में काम आयेगा। और हम फिर से अपनी दुकान को खोल सकेगे। जिससे वे
सहमत हो गए, इसके बाद हमने एक - एक दोनों भाइयों को दे दिया और एक हजार मैंने
स्वयं ले लिया। हमने अपने- अपने व्यापार का सामान ले लिया, और किराये जहाज करके
अपने सामन को उसके उपर लाद दिया। एक महीने की यात्रा के बाद हम सब जिस शहर में
पहुँचे, वहाँ पर हमें दश गुना फायदा हुआ, जिस को लेकर हम सब ने एक बार फिर से जहाज
की यात्रा की और एक दूसरे नगर के किनारे पर पहुँचे, वहाँ हमें एक लड़की मिली जिसने
फटे पुराने वस्त्रों को पहन रखा था। उसने हमारे हाथों को चूम कर कहा अगर आप दानी
आदमी हो, और आप मुझको पुरस्कार लेना चाहे तो मैं आपको कुछ देना चाहती हूं, मैंने
उससे कहा की मैं दान लेना और श्रेष्ठ कार्य करना चाहता हूं, यदि तम मुझको पुरस्कार
दोगी तो, उसने कहा आप मुझ से विवाह कर ले, और अपने साथ मुझको ले कर अपने नगर में
चले। मैंने अपने आपको आप को दे दिया है, मेरा उपयोग अपनी स्वेच्छा से विनम्रता
पूर्वक व्यवहार करे, मैं उसकी ही हो सकती हूं, जो सज्जन और दयालु प्रकृति का आदमी
होगा। मैं इसके लिए बाद में आपको पुरस्कार दुगी, जिस देश में मैं हूं वहां पर मेरे
साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार मत करना। जब मैं उसकी इन बातों को सुना मैंने उसको
प्राप्त करने की इच्छा की, जैसा की परमेश्वर की इच्छा थी, महान ऐश्वर्य मुझे
प्राप्त हुआ, और मैंने उसको अपने साथ ले लिया साथ में उसके लिए वस्त्र और दूसरे
सामान को उपलब्ध कराया। जिसके बाद बहुत सुन्दर तरीके से मैंने उसके एक अच्छी जहाज
पर ले कर हम अपने देश के लिए चल दिए। मैंने उसके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया अपनी
यात्रा के समय जिससे वह हम दोनों एक दूसरे से बहुत गहरा प्यार करने लगे, हम रात
दिन हमेशा एक साथ रहते थे। मैं उससे इतना अधिक अंतरंग हो गया, कि मैं अपने भाईयों
को लगभग भूल गया। जिसके कारण वह मुझ से बहुत अधिक ईर्ष्या करने के साथ जलने लगे,
क्योंकि मेरे पास बहुत अधिक धन के साथ काफी मात्रा में सामान भी था। वह हर समय
मेरी वस्तुओं पर अपनी दृष्टि रखने लगे, इसके साथ वह मेरी हत्या करके मेरे सामान को
लेने की योजना बनाने के बारे में विचार करने लगे थे। उन्होंने कहा आओ हम दोनों भाई
मिलकर उसकी हत्या कर देते है, और उसकी सभी वस्तु को खुद में बांट लेते हैं। ऐसा
लगता था कि यह कार्य करने के लिए जैसे कोई शैतान उन को प्रेरित कर रहा था, जिसके
बाद उन दोनों मुझे अपनी पत्नी के साथ जब अकेला सोते हुए पाया, तो उन्होंने हम
दोनों को खींच कर जहाज से नीचे गहरे सागर में फेंक दिया। लेकिन मेरी पत्नी उस समय
जाग रही थी, उसने तत्काल अपना रूप बदल कर एक जिन्नी बन गई, और मुझे अपने साथ ले कर
वहां से दूर एक एकांत द्वीप पर चली गई, जब मुझ कुछ समय के बाद होश आया तो उसने
मुझको बताया, मैं आपकी सेविका हूं, मैंने ही आपको सागर के गहरे पानी में से निकाल
कर आपकी जान को बचाया है। क्योंकि यही ईश्वर की इच्छा थी, आपको यह निश्चित रूप से
जानना चाहिए की मैं एक जिन्नी हूं, जब मैंने आपको पहली बार देखा तभी मैंने आपसे
प्रेम हो गया था। जैसा कि ईश्वर की भी यहीं इच्छा थी, क्योंकि मैं परमेश्वर और
उसके भजन में आस्था रखती हूं, इसलिए मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की आपके हृदय में
शांति दे। मैं फटे हुए वस्त्र को पहन कर आपके पास आई, जैसा की आपने मुझको देखा,
यद्यपि आपने मेरे साथ विवाह भी कर लिया, और अब मैंने आपको डूबने से बचाया है। मैं
आपके भाईयों पर बहुत अधिक क्रोधित हूं, मैं उन दोनों की हत्या कर दुंगी। मैं यह सब
सुन कर बहुत अधिक आश्चर्यचकित हुआ, और उसने मेरे लिये जो भी किया था उसके लिए उसको
धन्यवाद दिया, साथ में मैंने कहा कि वह मेरे दोनों भाई की हत्या ना करें। इसके बाद
मैं वह सब कुछ बताया जो मेरे भाईयों के मध्य में संबंध था। इस पर उसने कहा की आज
रात को मैं उड़ कर उनकी जहाज के पर जा कर उन को नष्ट करके उनकी जहाज को समंदर में
डुबो दुंगी। इस पर मैंने उसको परमेश्वर की कसम देकर कहा कि तुम ऐसा मत करो,
क्योंकि परमेश्वर गलत लोगों को खुद कभी दण्ड नहीं देता है, वह जैसा कार्य करते है,
अपने कर्मों के अनुसार उन को उसका फल अवश्य भोगना पड़ता है। इसके साथ मैंने अपने
भाइयों के साथ किए गए अपने पहले के सभी कार्यों के बारे में बताया। वह लगातार अपनी
जिद पर अड़ी रही, बाद में वह मेरे बहुत अधिक अनुनय विनय करने पर भी वह नहीं मानी,
उसने मुझे अपने साथ लेकर वहां से उड़ी और मेरे घर की छत पर लाकर मुझको उतार दिया।
मैंने घर के दरवाजे को खोला, और अपने घर की जमीन में गाड़ा हुआ धन निकाला, और अपनी
दुकान को फिर से खोलने के लिए माल लेने के लिए बाजार गया। जहां पर मैं लोगों से
मेल मुलाकात की और अपने व्यापार के सामान को खरीदने के बाद जब मैं शाम को अपने घर
पर वापिस आया। तो मैंने अपने मकान के सामने इन दोनों कुत्तों को बंधा हुआ, पाया
जैसे ही इन्होंने मुझको देखा इनके आँखों में आंसू भर गया, और यह मेरे पास आकर मुझ
से चिपक गए। मैं कुछ समझ पाता की उससे पहले मेरी पत्नी ने मुझ से कहा यह तुम्हारे
दोनों भाई हैं। मैंने उसस पूछा इन को ऐसा किसने बनाया तो उसने मुझे बताया की मैंने
अपना संदेश अपनी बहन के पास भेज दिया था और उसने इन्हें आदमी से कुत्ता बना दिया
है। और यह उसके जादू से दश सालों तक मुक्त नहीं हो सकते हैं। मेरे भाई लगभग दश
सालों से ऐसा ही है, मैं इन को स्वतंत्र करने के लिए इन्हें लेकर इधर घूम रहा था तभी
मेरी मुलाकात इस व्यापारी से हुई, और मैंने जब मैंने इनके बारे में जाना, तो मुझे
इच्छा हुई की मैं भी देख लू क्या होने वाला है। यहीं मेरी कहानी है।
यह सब
सुनने के बाद जिन्न ने कहा तुम्हारी कहानी भी काफी अद्भुत है, मैं प्रसन्न होकर इस
व्यापारी के अपराध का एक तिहाई हिस्सा क्षमा करता हूं। इस सब के बाद वहां उपस्थित
तीसरा वृद्ध आदमी खड़ा हुआ, जो अपने साथ ख़च्चर को ले कर आया था। और उसने कहा
जिन्न से अपनी कहानी कहने का अनुरोध किया और कहा कि मैं इन दोनों कहानी से भी
अद्भुत कहानी सुनाना चाहता हूं, जब आपको मेरी कहानी पसंद आये तो आप इस व्यापारी के
बचे हुए अपराध के हिस्से को क्षमा कर देंगे। जिस पर जिन्न सहमत हो गया। तीसरे वृद्ध आदमी ने अपनी कहानी को इस प्रकार
से शुरु करते हुए कहा ओ जिन्नों के सुलतान यह ख़च्चर मेरी पत्नी है। मैं अपने घर
से यात्रा पर गया था जहां पर मुझे साल भर समय लग गया, जब मैं अपनी यात्रा से लौट
कर उसके पास एक रात्रि को आया तो मैंने
अपने घर में अपनी पत्नी के साथ एक काले दाश को पाया। जिसके साथ मेरी पत्नी विस्तर
पर लेट कर एक दूसरे को अठखेलिया, चुंबन, हंसी, मजाक करने के साथ खेल रही थी, जब
उसकी निगाह मुझ पर पड़ी, तो वह अपने स्थान पर खड़ी हो गई, और अपने पास में रखे एक
पानी के जग को ले कर मेरे पास आई, और कुछ जादुई मंत्रों का जाप कर के, वह पानी मुझ
पर छिड़कते हुए कहा की मैं उसके जादू की शक्ति से तत्काल एक कुत्ते के रूप में बदल
जाउं। जिसके तुरंत बाद मैं एक कुत्ते के रूप में बदल गया, इसके बाद उसने मुझे घर
के दरवाजे से बाहर भगा दिया। मैं बाहर सड़क पर घूमते – घूमते एक कसाई के दूकान के
पास अपने मुंह में हड्डी को चबाते हुए पहुंचा। कसाई की निगाह मुझ पर पड़ी तो वह
मुझे पकड़ कर अपने साथ अपने घर में ले कर गया। जहां पर उसकी एक पुत्री थी, जिसने मुझको
देखते ही अपने चेहरे को ढक लिया, और अपने पिता से कहा तुमने एक आदमी को यहां मेरे पास
ले कर आए हो, उसके पिता ने इस पर कहा कहां है आदमी? उसकी पुत्री ने कहा यह कुत्ता एक आदमी
है, इसकी पत्नी अपने जादू से इसको कुत्ता बना दिया है, मैं इसको फिर से आदमी बना सकती
हूं। जिस को सुनने के बाद उसके पिता ने कहा ईश्वर के लिए तुम इसको आदमी बना दो।
जिसके बाद उसकी पुत्री ने कुछ जादुई मंत्रों को पढ़ा और कुछ पानी की पवित्र बुंदों
को मेरे उपर छिड़का कर कहा की तुरंत अपने वास्तविक रूप में आ जाओ, जिससे मैं
तत्काल मैं पुनः फिर से अपने वास्तविक स्वरूप आदमी के रूप में बदल गया। और मैंने
उसके हाथ को पकड़ कर चूमते हुए कहा तुम अपने इसी जादू से मेरी पत्नी को मेरे साथ
जो गलत कार्य किया है, उसके लिए दण्ड दे दो। उसने मुझे थोड़ा सा पानी अभिमंत्रित करके दिया और कहा इस अपने साथ
ले जाओ, और अपनी पत्नी को जब सोता हुआ देखना इस पानी को उसके उपर डाल कर जो भी
जानवर तुम उसको बनाना चाहते हो कह देना तत्काल वह उसी रूप में बन जाएगी। मैं अपने
साथ उसके दिए हुए पानी को ले कर अपने घर पर आ गया, और जब मैंने अपनी पत्नी को
निद्रा में सोते हुए देखा मैं तत्काल उसके पास गया और उसके उपर जादू से अभिमंत्रित
पानी को उसके उपर छिड़कते हुए मैंने उसके ख़च्चर बनने को कहा फिर उसके बाद क्या
हुआ आप स्वयं देख सकते है? आपके सामने यह वहीं ख़च्चर के रूप
में उपस्थित है। ओ जिन्नों के सुलतान और राजा, इसके बाद उस तीसरे आदमी ने अपने साथ
लिए हुए ख़च्चर कहा मैं सच कह रहा हूं ना, उसकी बात को सुन कर ख़च्चर ने अपनी
सहमती देते हुए अपने शिर को हिला कर हां में उत्तर दिया। इसके बाद तीसरे आदमी ने कहा
यही मेरी कहानी है, इसके सुनने के बाद जिन्न ने प्रसन्नता में झूमते हुए कहा सच
में तुम्हारी कहानी अद्भूत है, मैं तुम पर भी बहुत प्रसन्न हूं, इसलिए मैं इस
व्यापारी के बचे हुए अपराध के हिस्से को भी क्षमा करता हूं।
अब तक भोर हो चुकी थी, और शहरजाद उठ कर अपने बिस्तर से
खड़ी हो गयी, उसको यह कहानी कहने की आज्ञा दी गई थी, कितनी अच्छी, शानदार, आनंदित
करने वाली कहानी को तुमने कहा दुनियाजाद ने उससे कहा, इस पर शहरजाद ने कहा क्या यह
कहानी कल की तुलना में अच्छी थी, जिसके लिए राजा ने मुझको नहीं मारा था, इस पर
राजा ने कहा अवश्य यह कहानी बहुत सुन्दर है, मैं तुम को आज भी नहीं मांरुगा,
क्योंकि मैं उन सभी कहानियों को सुनना चाहता हूं जो भी तुम जानती हो। इस प्रकार से
उन्होंने बचे हुए रात्रि के समय का एक दूसरे साथ प्रेम आर आलिंगन करते हुए व्यतीत
किया जब तक की सूर्य उदय नहीं हो गया। जिसके बाद राजा अपने दरबार में गया जहां पर वजीर
के साथ सेनापति भी आया हुआ था, जब सभी लोग वहाँ दरबार में उपस्थित हो गए, तब राजा
ने अपने दरबार से संबंधित कार्य को किया, कुछ लोगों को दरबार में नियुक्त किया कुछ
लोगों को बर्खास्त किया, कुछ नए आदेश को पारित किया, कुछ पुराने आदेश को निरस्त
किया, जब तक साम नहीं हो गई ऐसा ही चलता रहा, और फिर अपने दरबार को बर्खास्त करके
वह अपने महल में वापिस आ गया। जहां पर रात होने पर वह शहरजाद के साथ सोया करता था,
और दुबारा वह रात में एक साथ थे।
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