एक अक्षौहिणी सेना में कितने पैदल,
घोड़े, रथ और हाथी होते है?
अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का एक
माप हुआ करता था। महाभारत के युद्ध में कुल १८ अक्षौहिणी सेना लड़ी थी। जिसमें से
कौरवों के पास ११ अक्षौहिणी सेना थी और पाण्डवों के पास ७ अक्षौहिणी सेना थी।
लेकिन वास्तव में एक अक्षौहिणी सेना कितनी होती है? इसके लिए, हम
महाभारत के प्रमाणों से जानने की कोशिश करेंगे कि एक अक्षौहिणी सेना में कुल कितने
पैदल, घुड़सवार, रथसवार और हाथीसवार
होते है?
मुख्य अंग
प्राचीन भारत में, एक अक्षौहिणी सेना के
चार अंग होते थे। जिस सेना में ये चारों अंग होते थे, वह
चतुरंगिणी सेना कहलाती थी। वह चार अंग निम्नलिखित होती थी-
- १. सैनिक (पैदल सिपाही)
- २. घोड़े (घुड़सवार)
- ३. गज (हाथी सवार)
- ४. रथ (रथ सवार)
अब यदि घोड़े की बात करे, तो एक घोड़े पर एक
सवार बैठा था। ऐसे ही हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक तो पीलवान (हाथी हाँकने वाला) और दूसरा लड़ने वाला योद्धा। इसी प्रकार
एक रथ में दो मनुष्य और काम से काम तीन-चार घोड़े रहे होंगे। यह सब मिल कर एक
चतुरंगिणी सेना कहलाती है।
अक्षौहिणी सेना के भाग
महाभारत के आदिपर्व अध्याय २ के श्लोक
१७ से २२ तक में अक्षौहिणी सेना के भाग पर विस्तार से बताया गया है। अतः उन
श्लोकों के अनुसार एक अक्षौहिणी सेना नौ भागों में विभक्त है। उनका नाम कर्मशः इस
प्रकार है - पत्ति, सेनामुख, गुल्म, गण, वाहिनी, पृतना, चमू, अनीकिनी और अक्षौहिणी।
सौतिरुवाच- एको रथो गजश्चैको
नराः पञ्च पदातयः।
त्रयश्च तुरगास्तज्ज्ञैः पत्तिरित्यभिधीयते॥१९॥
पत्तिं तु त्रिगुणामेतामाहुः सेनामुखं बुधाः।
त्रीणि सेनामुखान्येको गुल्म इत्यभिधीयते॥२०॥
त्रयो गुल्मा गणो नाम वाहिनी तु गणास्त्रयः।
स्मृतास्तिस्रस्तु वाहिन्यः पृतनेति विचक्षणैः॥२१॥
चमूस्तु पृतनास्तिस्रस्तिस्रश्चम्वस्त्वनीकिनी।
अनीकिनीं दशगुणां प्राहुरक्षौहिणीं बुधाः॥२२॥
- महाभारत आदिपर्व अध्याय २.१९-२२
अर्थात् :- उग्रश्रवा जी ने कहा - एक
रथ, एक
हाथी, पाँच पैदल सैनिक और तीन घोड़े- बस, इन्हीं को सेना के सर्मज्ञ विद्वानों ने ‘पत्ति’
कहा है। इसी पत्ति की तिगुनी संख्या को विद्वान पुरुष ‘सेनामुख’ कहते हैं। तीन ‘सेनामुखों’
को एक ‘गुल्म’ कहा जाता
है। तीन गुल्म का एक ‘गण’ होता है,
तीन गण की एक ‘वाहिनी’ होती
है और तीन वाहिनियों को सेना का रहस्य जानने वाले विद्वानों ने ‘पृतना’ कहा है। तीन पृतना की एक ‘चमू’ तीन चमू की एक ‘अनीकिनी’
और दस अनीकिनी की एक ‘अक्षौहिणी’ होती है। यह विद्वानों का कथन हैं।
- १. पत्ति - १ गज + १ रथ + ३ घुड़सवार + ५ पैदल सिपाही
- २. सेनामुख - ३ पत्ति = ३ गज + ३ रथ + ९ घुड़सवार + १५ पैदल सिपाही
- ३. गुल्म - ३ सेनामुख = ९ गज + ९ रथ + २७ घुड़सवार + ४५ पैदल सिपाही
- ४. गण - ३ गुल्म = २७ गज + २७ रथ + ८१ घुड़सवार + १३५ पैदल सिपाही
- ५. वाहिनी - ३ गण = ८१ गज + ८१ रथ + २४३ घुड़सवार + ४०५ पैदल सिपाही
- ६. पृतना - ३ वाहिनी = २४३ गज + २४३ रथ + ७२९ घुड़सवार + १२१५ पैदल
सिपाही
- ७. चमू - ३ पृतना = ७२९ गज + ७२९ रथ + २१८७ घुड़सवार + ३६४५ पैदल
सिपाही
- ८. अनीकिनी - ३ चमू = २१८७ गज + २१८७ रथ + ६५६१ घुड़सवार + १०९३५ पैदल
सिपाही
- ९. अक्षौहिणी - १० अनीकिनी = २१८७० गज + २१८७० रथ + ६५६१० घुड़सवार + १०९३५० पैदल सिपा
एक अक्षौहिणी सेना महाभारत अनुसार
उपर्युक्त महाभारत के प्रमाणों के अनुसार, एक अक्षौहिणी सेना में
गज (हाथी), रथ, घुड़सवार तथा सिपाही की
सेना निम्नलिखित होती थी-
- १. गज - 21870
(इक्कीस हज़ार आठ सौ सत्तर)
- २. रथ - 21870
(इक्कीस हज़ार आठ सौ सत्तर)
- ३. घुड़सवार - 65610
(पैंसठ हज़ार छः सौ दस)
- ४. पैदल सिपाही - 109350 (एक लाख नौ हज़ार तीन सौ पचास)
उपर्युक्त गज (हाथी), रथ, घुड़सवार तथा सिपाही की
गणना महाभारत के आदिपर्व अध्याय २ श्लोक २३-२६ से लिया गया है। वे श्लोक इस प्रकार
है-
अक्षौहिण्याः प्रसङ्ख्यानं
रथानां द्विजसत्तमाः।
सङ्ख्यागणिततत्त्वज्ञैः सहस्राण्येकविंशतिः॥२३॥
शतान्युपरि चैवाष्टौ तथा भूयश्च सप्ततिः।
गजानां तु परीमाणमेतदेवात्र निर्दिशेत्॥२४॥
ज्ञेयं शतसहस्रं तु सहस्राणि तथा नव।
नराणामपि पञ्चाशच्छतानि त्रीणि चानघाः॥२५॥
पञ्चषष्टिसहस्राणि तथाश्वानां शतानि च।
दशोत्तराणि षट्प्राहुर्यथावदिह सङ्ख्यया॥२६॥
- महाभारत आदिपर्व अध्याय २.२३-२६
अर्थात् :- (उग्रश्रवा जी ने कहा)
श्रेष्ठ ब्राह्मणों! गणित के तत्त्वज्ञ विद्वानों ने एक अक्षौहिणी सेना में रथों
की संख्या इक्कीस हजार आठ सौ सत्तर (21870) बतलायी है। हाथियों की संख्या भी इतनी ही
रहनी चाहिये। निष्पाप ब्राह्मणों! एक अक्षौहिणी में पैदल मनुष्यों की संख्या एक
लाख नौ हजार तीन सौ पचास (109350) जाननी चाहिये। एक
अक्षौहिणी सेना में घोड़ों की ठीक-ठीक संख्या पैंसठ हजार छः सौ दस (65610) कही गयी है।
एक अक्षौहिणी सेना कुल मनुष्यों की
संख्या
महाभारत में केवल गज, रथ और घोड़े की कुल
संख्या बताई गयी है, उनको चलने वाले व उनपर सवार होकर लड़ने
वालो की संख्या नहीं बताई है। अतः यदि अनुमान लगाया जाये, तो
घोड़े पर एक घुड़सवार होगा, ऐसे ही हाथी पर कम से कम दो
व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक तो पीलवान (हाथी हाँकने
वाला) और दूसरा लड़ने वाला योद्धा। इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य रहे होंगे। अतः
१ घुड़सवार, २ हाथी सवार और २ रथ सवार होंगे।
अतएव महाभारत में बताए गए गज (21870), रथ (21870)
और घुड़सवार (65610) की संख्या को उन पर सवार
व्यक्तियों से गुणा करे, तो गज पर 43740, रथ पर 43740 और घुड़सवार 65610 होंगे। जो कुल 153090 ( एक लाख तिरपन हजार नब्बे)
होते है। और इन संख्या को पैदल सिपाहियों (109350) के साथ
जोड़ से तो कुल 262440 ( दो लाख बासठ हजार चार सौ चालीस)
मनुष्य एक अक्षौहिणी सेना में होते है।
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