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वैदिक भजन*

English version is after Hindi
🙏 *आज का वैदिक भजन* 🙏 1196 
*ओ३म् वनी॑वानो॒ मम॑ दू॒तास॒ इन्द्रं॒ स्तोमा॑श्चरन्ति सुम॒तीरि॑या॒नाः ।*
*हृ॒दि॒स्पृशो॒ मन॑सा व॒च्यमा॑ना अ॒स्मभ्यं॑ चि॒त्रं वृष॑णं र॒यिं दा॑: ॥*
ऋग्वेद 10/47/7

भक्त हूँ तेरा 
हूँ भावुक मैं
है सन्देश मेरा
भेजना है सन्देश मेरा

भगवद् भक्ति के 
भजन दूत हैं
प्रभु तक दूँ पहुँचा 
भक्ति भरे यह दूत प्रज्ञ हैं
है इनमें प्रज्ञा
मन मनीषित भजन भावुक हैं
जिनमें में प्रभु-प्रेरणा
भेजना है सन्देश मेरा

विनम्रता से भरे दूत हैं
प्रणत हृदयस्पर्शी
दूतों में औद्धत्य नहीं है
सिद्ध ये सुदर्शी
इसके सिवा प्रभु भेजूँ किसको ? 
दे जो मेरा सन्देशा
भेजना है सन्देश मेरा

भेजा है दूतों को माँगने 
तुमसे पूजित धन
आर्यों को प्रभु भूमि देते
देते सुभग सुमन
परोपकार परायण करो प्रभु
दो भूमि दो सम्पदा
भेजना है सन्देश मेरा
भक्त हूँ तेरा 
हूँ भावुक मैं
है सन्देश मेरा
भेजना है सन्देश मेरा
भेजना है सन्देश मेरा

*रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ललित मोहन साहनी जी – मुम्बई*
*रचना दिनाँक :--*   ६.६.२००५    २.५५ मध्यान्ह

*राग :- भैरव*
गायन समय प्रातः काल प्रथम प्रहर, ताल कहरवा ८ मात्रा

*शीर्षक :- प्यास* भजन ७५९ वां
*तर्ज :- *
00164-764

प्रज्ञ = बुद्धिमान
प्रज्ञा = कान्ति,चमक
मनीषित = बुद्धि से युक्त,समझदार
भावुक = भावना से भरे 
प्रणत = विनम्र
औद्धत्य = अक्खड़पन
सुदर्शी = अच्छी तरह देखा जाने वाला
परोपकार परायण = परोपकार में आसक्त
संपदा = धन,वैभव,दौलत, ऐश्वर्य,

*प्रस्तुत भजन से सम्बन्धित पूज्य श्री ललित साहनी जी का सन्देश :-- 👇👇*

प्यास

भावुक भक्तों के मन में भगवान तक अपना संदेश भेजने की बात आई है। उसने भगवान से सुना (मामायन्ति कृतेन कर्त्वेन च) [ ऋ•१०.४८.३]-मेरे पास कृत और करिष्माण के द्वारा आते हैं अर्थात् लोगों के लिए कर्मों का फल भोगने के लिए तथा आगे करिष्यमाण कर्मों के होने वाले सुख की अभिलाषा से मेरे पास आते हैं, अतः भक्त अब भगवान के पास करिष्यमाण द्वारा जाना चाहता है। उससे पहले दूत भेजता है।स्तोम(स्तुति समूह)
भगवद्भक्ति भरे भजन के दूत हैं। दूत के लिए नीतिकारों ने लिखा है कि वह बुद्धिमान होता कि अपनी बात भली प्रकार समझा सके, और दूसरे की बात समझ सके। भक्तों के दूत भी सुमतिरियाना:=उत्तम ज्ञान कराने वाले हैं अर्थात् भगवद्भक्ति के स्तोम बुद्धि पूर्वक रचे गए हैं। भगवान का भजन करते समय सुमति से काम लेना चाहिए। प्रभु की स्तुति के वाक्य तोता- रटन्त न हों, वरन् वे 'मनसा वच्यमाना:=मन से बोले गए हों, दिल से निकले हो और साथ ही 'हृदिस्पृश':=हृदय को स्पर्श करने वाले हों, दिल हिला देने वाले हों। नीतिकार कहते हैं, दूत विनम्र होना चाहिए। भक्तों के दूत भी 'वनीवान'=अतिशय भक्ति भावों से भरपूर हैं। दूत का औद्धत्य(अक्खड़पन) कार्य बिगाड़ दिया करता है। इसी प्रकार भगवान के पास स्तुति-दूत भी विनम्रता से प्रणत हों।
भगवान के पास तुम्हारा सन्देश लेकर और कोई व्यक्ति नहीं जा सकता। यदि अन्य कोई जा सकता है, तो तुम भी जा सकते हो। यदि फिर भी आग्रह है कि दूत ही भेजने हैं, तो भगवद्भजनों को दूत बनाओ और उन दूतों में वे सारे लक्षण होने चाहिएं। तुम्हारे दूत तुम्हारा सन्देश देते हैं--'अस्मभ्यं चित्रं वृषणों रयिं वा: चित्रं वृषणों रयिं वा:=हमें मनमोहक धर्मयुक्त धन दो। भगवान कह चुके हैं--'अहं भूमिमददामार्याय'[ऋ•४.२६.२]=मैं आर्य को भूमि देता हूं। भगवान से धन लेना है तो आर्य बनो। आर्य का लक्षण वेद ने कहा है कि  आर्य बनो, सब भूमि तुम्हारी है।
🕉👏ईश भक्ति भजन
भगवान् ग्रुप द्वारा 🙏🌹

🙏 *Today's Vedic Bhajan* 🙏 1196 

*Om Vanivaano Mam Dutasa Indra Stotmaashkaranti Sumatiriyanaah.*
*Hridyasprsho Manasa Vachyamaana Asmabhyam Chitram Vrishanam Rayyin Da:*
Rigveda 10/47/7

 Vaidik bhajan👇

bhakt hoon teraa 
hoon bhaavuk main
hai sandesh meraa
bhejanaa hai sandesh meraa

bhagavad bhakti ke 
bhajan doot hain
prabhu tak doon pahunchaa 
bhakti bhare yah doot pragya hain
hai inamen pragyaa
man maneeshit bhajan bhaavuk hain
jinamen mein prabhu-preranaa
bhejanaa hai sandesh meraa

vinamrataa se bhare doot hain
pranat hridayasparshee
dooton mein auddhatya nahin hai
siddha ye sudarshee
isake sivaa prabhu bhejoon kisako ? 
de jo mera sandeshaa
bhejana hai sandesh meraa

bheja hai dooton ko maangane 
tumase poojit dhan
aaryon ko prabhu bhoomi dete
dete subhag suman
paropakaar paraayan karo prabhu
do bhoomi do sampada
bhejanaa hai sandesh meraa
bhakt hoon teraa 
hoon bhaavuk main
hai sandesh meraa
bhejana hai sandesh meraa
bhejana hai sandesh meraa

Composer and Voice:- Pujya Shri Lalit Mohan Sahni Ji – Mumbai*


*Date of Composition:--*     
6.6.2005 2.55 PM

*Raag:- Bhairav*
Singing  Time: Morning, first prahar, rhythm: Kaharva 8 maatra

*Title: Thirst* Bhajan 759th

*Tune:- *Tujhe kripe ne din oogave haa


Pragya = Intelligent
Pragyaa = Radiance, shine
Manishit = Possessed of wisdom, sensible
Bhavauk = Filled with emotions
Pranat = Humble
Audhytya = Arrogance
Sudarshi = Well-seen
Paraparkar Parayan = Addicted to charity
Sampada = Wealth, splendor, riches, opulence,

             Meaning👇


I am your devotee

I am emotional

I have a message

I have to send a message

The Bhajans of Bhagwad Bhakti

are messengers

I will reach the Lord

These messengers filled with devotion are wise

They have wisdom

The mind-wise Bhajans are emotional

In which  God's inspiration

I have to send my message

The messengers are full of humility

They are heart touching and dedicated

There is no arrogance in the messengers

These are proven and well-sighted

Who else should I send except this, O Lord?  Give me my message
I want to send my message

I have sent messengers to ask

For the wealth of worship from you

Lord, you give land to the Aryans

Give auspicious flowers

Lord, be charitable

Give me land, give me wealth

I want to send my message

I am your devotee

I am emotional

I have my message

I want to send my message


*Swadhyay message of Pujya Shri Lalit Sahani Ji related to this Bhajan:-- 👇👇*

Thirst

The thought of sending a message to God has come to the mind of the emotional devotees. He heard from God (Mamayanti kritena kartvena cha) [Rigveda 10.48.3]- They come to me through Krita and Karishmaan i.e. to enjoy the fruits of their deeds and in future they come to me with the desire of the happiness that comes from Karishmaan deeds. Therefore, the devotee now wants to go to God through Karishmaan. Before that, he sends a messenger. Stotra (group of praises)

are the messengers of Bhajans filled with devotion to God. For the messenger, the policy makers have written that he should be intelligent so that he can explain his point well and understand the point of others.  Messengers of devotees are also Sumatiriyana:=those who impart good knowledge, i.e., hymns of devotion to God are composed with wisdom. While singing praises of God, one should use good sense. The sentences of praise of God should not be parrot-like, rather they should be 'Manasa Vachyamana:=spoken from the mind, should come from the heart and at the same time 'Hridisprish':=touch the heart, should move the heart. Politicians say that the messenger should be humble. Messengers of devotees are also 'Vanivaan'=full of extreme devotional feelings. The arrogance of the messenger spoils the work. Similarly, the messengers of praise should also bow down to God with humility.

No one else can take your message to God. If anyone else can go, then you can also go. If you still insist that messengers should be sent, then make the worshippers of God as messengers and those messengers should have all those qualities.  Your messengers convey your message--'Asmabhyam Chitraam Vrishano Rayim Vaah Chitraam Vrishano Rayim Vaah=Give us attractive wealth endowed with Dharma. God has said--'Aham Bhoomimadadaamaaryay' [ॐ•4.26.2]=I give land to Arya. If you want to take wealth from God, then become Arya. The Vedas have said the characteristic of Arya that become Arya, all the land is yours.

🕉👏Ish Bhakti Bhajan
By Bhagwan Group🙏🌹

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