बात साढे तीन हजार साल पहले की है या यूं कहें कि लगभग 1500 B.C. की।
मिश्र के व्यापारी थल सिल्क रूट से चीन थाईलैंड होकर इंडोनेशिया पहुंचने लगे। उस समय इंडोनेशिया को इंडोनेशिया नहीं कहा जाता था।
यूरोप के व्यापारियों को विशेषकर वैनिस के व्यापारियों को पता लगा कि चीन में रेशम होता है। यूरोप के व्यापारियों ने तुर्की , उज़्बेकिस्तान होकर चीन से रेशम खरीदना शुरू कर दिया तथा यूरोप में बेचकर मुनाफा कमाने लगे।
एक वस्तु और पहुंचने लगी यूरोप में। वो थी नील यानि इंडिगो(Indigo)। थाईलैंड कंबोडिया लाओस में पैदा होने वाली इंडिगो पहुंचने लगी यूरोप में। यूरोपियन लोग ठंड के दिनों में अपने चेहरे पर इंडिगो लगाने लगे जो कि उनके चेहरे को ठंड से बचाती थी।
इसी इंडिगो के कारण थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया वाले इलाके को Inde कहा जाने लगा यूरोपियन के द्वारा।
थाईलैंड वियतनाम कंबोडिया मलेशिया इंडोनेशिया आदि नाम उस समय नहीं थे।
केवल Inde ही था।
एक और बहुत महत्वपूर्ण वस्तु थी जो मिश्र वालों ने सबसे पहले ले जानी शुरू की थी इस इलाके से। वो वस्तु थी इंडोनेशियाई इलाके के मसाले। यूरोप वाले भी मसाले ले जाने लगे।ठंडे यूरोप में गर्म मसाले बहुत पसंद किए जाने लगे। इटली के वैनिस के व्यापारी इंडोनेशियाई मसालों के व्यापार के कारण ही धनवान बने। वैनिस यूरोप का मशहूर शहर बन गया।
वैनिस को नहरों का शहर कहा जाता है, आगे चलकर थाईलैंड की अयुथ्याया को नहरों का शहर कहा जाने लगा। शायद अयुथ्याया बसाने का डिजाइन वैनिस के व्यापारियों ने बनाया था।
प्राचीन काल में मिश्र वाले मृत व्यक्ति की ममी बनाते थे, उसमें इंडोनेशिया से लाए उत्तम मसालों का प्रयोग करते थे। दरअसल इंडोनेशिया के पूर्व में एक द्वीप है पापुआ न्यू गिनी। पापुआ न्यू गिनी के ट्राइब्स में मसालों के प्रयोग से ममी सुरक्षित रखने की प्रथा थी। मिश्र (Egypt) वालों ने ममी बनाने की विधि पापुआ न्यू गिनी के ट्राब्स से सीखी थी।
आगे चलकर सन् 1400 के आसपास जब पुर्तगाल वाले और स्पेन वाले व्यापारियों ने समुद्री जहाजों का निर्माण आरंभ किया तो उन्होंने एक नक्शा बनाया था। उस नक्शे में थाईलैंड मलेशिया वाली साईड को 'India Extra' लिखा तथा जो आज का इंडिया है, उसको 'India Intra' लिखा।... ✍️
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