*🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️*
*🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷*
दिनांक - - १७ दिसम्बर २०२४ ईस्वी
दिन - - मंगलवार
🌖 तिथि -- द्वितीया ( १०:५६ तक तत्पश्चात तृतीया )
🪐 नक्षत्र - - पुनर्वसु ( २४:४४ तक तत्पश्चात पुष्य )
पक्ष - - कृष्ण
मास - - पौष
ऋतु - - हेमन्त
ऋतु - - दक्षिणायन
🌞 सूर्योदय - - प्रातः ७:०८ पर दिल्ली में
🌞 सूर्यास्त - - सायं १७:२७ पर
🌖चन्द्रोदय -- १९:२३ पर
🌖 चन्द्रास्त ९:०४ चन्द्रास्त नही होगा
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२५
कलयुगाब्द - - ५१२५
विक्रम संवत् - -२०८१
शक संवत् - - १९४६
दयानंदाब्द - - २००
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*🚩‼️ओ३म्‼️🚩*
🔥व्यक्ति की प्रतिष्ठा का आकलन उसके जीवन- मूल्यों से किया जाता है। जीवन-मूल्य सफलता के लिए जरूरी हैं। हममें से बहुत से लोग उन्ही जीवन मूल्यों का पालन करते हैं जो हमें हमारे पूर्वजों से मिलते हैं या फिर हम श्रेष्ठ जनों का अनुसरण कर अपने जीवन मूल्य का स्वयं निर्धारण करते हैं। जहां तक संभव होता है हम उन आदर्शो की ओर चलने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन कभी ऐसे अवसर भी आते हैं जब हम मात्र दूसरों को खुश करने के लिये या फिर किसी अन्य स्वार्थवश अपने मूल्यों को बदल देते हैं। यदि हम सिर्फ आदर्शो की बातें करें किन्तु उन्हें अपने आचरण में न लागू करें तो हम मूल्यहीन ही कहे जाएंगे। जीवन मूल्य हमारे दिन प्रतिदिन के व्यवहार में झलकने चाहिए हमारी वाणी में दिखनी चाहिए। हमारे आचरण से प्रदर्शित होने चाहिए। याद रखें, जो व्यक्ति मूल्यहीन जीवन जीते हैं वे समाज के लिए बोझ माने जाते हैं। निठल्ले व्यक्ति समाज का कभी भी मार्ग-दर्शन नहीं करते।
मनुष्य मस्तिष्क, हृदय और भावना से युक्त प्राणी है। वेद, उपनिषद भी हमे यही संदेश देते हैं कि व्यक्ति सत्य के प्रति आग्रही, सत्यनिष्ठ और जीवन मूल्यों को मानने वाला होना चाहिए सदाचार से जीवन उत्तम बनता है और उससे सामाजिक जीवन आनंदित होता है। हम जिन मानव मूल्यों का पालन करते हैं वो हमारी बुद्धि एवं सोच को भी प्रभावित करते हैं। मान लीजिए हमें यह निर्णय करना हो कि संयम और व्यभिचार में क्या ठीक है?अगर हम सचमुच सशक्त जीवन मूल्यों का पालन करने वाले हैं तो हमारी आत्मा की आवाज बता देगी कि संयम प्रशंसनीय है और उत्तम है और व्यभिचार घिनौना कर्म है।
व्यक्ति के मन में संसार की वस्तुओं को देखकर, काम क्रोध लोभ ईर्ष्या द्वेष अभिमान आदि दोषों का कचरा तो रोज़ बिना बुलाए आता ही है। जो जीवन मूल्यों को स्थापित रखने में निरन्तर बाधा पैदा करता है। यदि हम अपने मन की शुद्धि नहीं करेंगे, तो यह कचरा एक दिन इतना बढ़ जाएगा, कि आपका जीना भी कठिन हो जाएगा।
आइए अपने अंदर उत्तम गुणों की, उत्तम संस्कारों की स्थापना करें। जैसे कि वेदों को पढ़ना, ऋषियों के ग्रंथ पढ़ना, बच्चों को अच्छे संस्कार देना, उत्तम गुणों को, अच्छे संस्कारों को यदि आप धारण करेंगे, तो आपके मन की शुद्धि होती रहेगी, और आप शांति पूर्वक अपना जीवन जी सकेंगे।
हम समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी बनें, यही हमारी सार्थकता है। याद रखे जब हम सुधरेंगे तभी जग भी सुधरेगा।इसलिए वेद के अनुयायियों व अन्य सभी को सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।
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*🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🚩🕉️*
*🔥ओ३म् पूर्णा दर्वि परापत सुपूर्णा पुनरापत ।वस्नेव विक्रीणावहाऽइषमूर्जं शतक्रतो।( यजुर्वेद ३|१९ )*
💐अर्थ :- हे जगदीश ! जो सुगन्धित द्रव्यों से पूर्ण आहुति आकाश में जाकर वृष्टि से पूर्ण हुई, फिर अच्छे प्रकार से पृथ्वी में उत्तम जल रस को प्राप्त कराती है, उससे हे असंख्यात कर्म व प्रजा वाले प्रभु ! हम दोनों ( याज्ञिक और यज्ञमान) उत्तम अन्नादि पदार्थ और पराक्रमयुक्त वस्तुओं को प्राप्त करें ।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्रहरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 द्विशतीतमे ( २००) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे, रवि- दक्षिणायने , हेमन्त -ऋतौ, पौष - मासे, कृष्ण पक्षे,द्वितीयायां
तिथौ,
पुनर्वसु नक्षत्रे, मंगलवासरे
, शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे ढनभरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे।
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