दुर्व्यसनों से
छुटकारा
एक
व्यक्ति को शराब और जुए की लत लग गई थी । वह खुद से परेशान रहने लगा । उसके
मित्रों ने उसे हिदायत दी कि वह सत्संग में जाए, वहाँ
जाने से उसकी यह आदत छूट जाएगी । एक दिन वह किसी संत से मिला । उसने संत को अपनी
पूरी रामकथा सुनाई । संत बहुत विद्वान् थे। उसकी समस्या सुनकर वे मुसकराए । वे उसे
अपने साथ दूसरे कमरे में ले गए । वहाँ खिड़की से धूप आ रही थी । उन्होंने उसे
खिड़की के पास खड़े होने को कहा । जब वह खिड़की पर खड़ा हुआ तो पिछली दीवार पर
उसकी परछाई पड़ रही थी । संत ने उस परछाई की ओर इशारा करते हुए पूछा,
" क्या तुम इस परछाई को लड्डू खिला सकते हो ? " संत की बात सुनकर युवक चौंकते हुए बोला, " महाराज,
आप यह कैसी बातें कर रहे हैं ? भला परछाई
लड्डू खा सकती है ? यह असंभव है ।" तब संत ने मुसकराते
हुए कहा, " वत्स , बस तुम्हारे
साथ भी यही दिक्कत है । तुम परछाई को लड्डू खिलाने की कोशिश कर रहे हो । जिस
प्रकार परछाई लड्डू नहीं खा सकती, तुम भी सत्संग में जाकर
अपनी लत से छुटकारा नहीं पा सकते । इन व्यसनों को छोड़ने के लिए खुद लड्डू खाना
होगा । संकल्प लो और छोड़ दो अपनी लत । इससे मुक्त होने का कोई दूसरा उपाय नहीं ।
"
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