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संतोष

 


संतोष

गौतमी नाम की एक स्त्री का बेटा मर गया । वह शोक से व्याकुल होकर रोती हुई महात्मा बुद्ध के पास पहुंची और उनके चरणों में गिरकर बोली, "किसी तरह मेरे बेटे को जीवित कर दो । कोई ऐसा मंत्र पढ़ दो कि मेरा लाल जी उठे । " महात्मा बुद्ध ने उसके साथ सहानुभूति जताते हुए कहा, “ गौतमी , शोक मत करो । मैं तुम्हारे मृत बालक को फिर से जीवित कर दूंगा । लेकिन इसके लिए तुम किसी ऐसे घर से सरसों के कुछ दाने माँग लाओ, जहाँ कभी किसी प्राणी की मृत्यु न हुई हो । " गौतमी को इससे कुछ शांति मिली, वह दौड़ते हुए गाँव में पहुँची और ऐसा घर ढूँढ़ने लगी , जहाँ किसी की मृत्यु न हुई हो । बहुत ढूँढ़ने पर भी उसे कोई ऐसा घर नहीं मिला । अंत में वह निराश होकर लौट आई और बुद्ध से बोली, " प्रभु, ऐसा तो एक भी घर नहीं , जहाँ कोई मरा न हो । " यह सुनकर बुद्ध बोले, " गौतमी , अब तुम यह मानकर संतोष करो कि केवल तुम्हारे ऊपर ही ऐसी विपत्ति नहीं आई है, संसार में ऐसा ही होता है और ऐसे दुःख को लोग धैर्यपूर्वक सहते हैं । "


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