सच्चा धार्मिक
मगध के राजा श्रोणिक परम धार्मिक और प्रजा हितैषी थे। भगवान् महावीर के
उपदेशों का वे पूरी तरह पालन करते थे । एक बार उन्होंने घोषणा कराई कि जो व्यक्ति
धर्म के मार्ग का अनुसरण करेंगे और श्रावक व्रत धारण करेंगे, उनसे चुंगी नहीं ली जाएगी । यह घोषणा होते ही
अधिकांश दुर्व्यसनी अपने को श्रावक बताकर इस घोषणा का लाभ उठाने लगे । राज्य की आय
बहुत कम हो गई । एक दिन राजस्व अधिकारी ने राजा को यह बात बताई । यह सुनकर राजा
चिंतित हो गए । महामंत्री बुद्धिमान् था । उसने कहा, राजन्, आप चिंता न करें । मैं असली और नकली श्रावक की पहचान कर लूँगा ।
__ अगले दिन एक मैदान में दो तंबू लगाए गए । एक का रंग सफेद था और
दूसरे का काला । मैदान में उपस्थित प्रजा को कहा गया कि जो सच्चे व्रतधारी श्रावक
हैं, वे सफेद रंग वाले
तंबू में पहुँचें। तंबू खचाखच भर गया । राजा मंत्री के साथ वहाँ पहुँचे। सभी लोगों
ने सच्चे श्रावक होने का दावा किया । राजा मंत्री के साथ काले तंबू में भी पहुँचे।
उसमें बहुत कम लोग बैठे थे। उन लोगों ने कहा, राजन्, हम अपने को सच्चा श्रावक नहीं मानते । हम श्रावक व्रत का पालन करने की कोशिश
करते हैं, लेकिन जाने-
अनजाने पाप कर्म हो ही जाते हैं । राजा समझ गए कि ये लोग ही असली श्रावक हैं ।
उन्होंने मंत्री से कहा, सच्चे और फर्जी श्रावकों की पहचान हो गई है । कपटी लोगों की जगह इन्हें ही
श्रावक मानकर सुविधाएँ दी जाएँ ।
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