देवी - कृपा पाने के
उपाय
एक दिन देवर्षि नारद भगवान् श्रीनारायण के दर्शन के लिए पहुंचे। उन्होंने
प्रश्न किया, भगवन्, देवी भगवती की कृपा प्राप्त करने का अधिकारी
कौन होता है ? देवी को
प्रसन्न करने के क्या उपाय हैं ? श्रीनारायण ने कहा, देवर्षि, आचारः
प्रथमो धर्मः । यानी आचार ही प्रथम धर्म है । ऐसा
श्रुतियों तथा स्मृतियों में कहा गया है । भगवती की आराधना करने वाले को सदैव
सदाचार का पालन करना चाहिए । यह आयु, धन और संपत्ति बढ़ाता है और इससे सुख की प्राप्ति होती है ।
देवी के उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में जागकर आचार संबंधी नियमों का पालन करना चाहिए
। उस समय सोने वालों की सभीक्रियाएँ निष्फल हो जाती हैं । प्रात : कालीन स्नान के
बाद संध्या- वंदन तथा गायत्री का जाप करनेवाला ब्रह्म की अनुभूति से अनूठा सुख-
संतोष प्राप्त करता है । उसे देवी भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
श्रीनारायण ने आगे कहा, श्रीमद्देवीभागवत में कहा गया है कि लोगों को धर्ममय जीवन बिताना चाहिए ।
दुष्टों की संगति का त्याग कर प्रतिदिन दान देते रहना चाहिए । दया के समान कोई
पुण्य नहीं है और हिंसा के समान पापकर्म नहीं । जो सभी प्राणियों के प्रति दया भाव
रखता है, अतिथियों को
संतुष्ट करता है, वृद्धों और
माता- पिता की सेवा करता है, उस पर देवी भगवती शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं ।
देवी भगवती एक स्थान पर कहती हैं कि मनुष्य को भाग्य तथा पुरुषार्थ, दोनों का आदर करना चाहिए, क्योंकि बिना उद्योग किए कार्य सिद्धि कैसे हो
सकती है ?
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