प्रेरणा
हे मनुष्य ! हे आत्मन्! तू वीर है, वीर जननी की कोख से उत्पन्न हुआ है, रण-बांकुरा है, संग्राम करने के लिए सैन्य लेकर आ, जुटनेवालों को अपनी शक्ति से विकिर्ण एवं विध्वस्त कर सकने वाला है। तू अपने समर्थ को पहचान, अपनी वीरता के अनुरूप कार्यकर। युद्ध का बिगुल बजाने वालों से परास्त मत हो अपितु जो तेरे मन को काबू में करना चाहें मन को निरुत्साहित करना चाहें, मन के समान त्वरित गति से तुझ पर आ टूटना चाहें, मन में अभिमान को धारण कर तुझे निर्मूल करना चाहें, उन आन्तरिक और बाह्य शत्रुओं पर तू उनके सक्रिय होने से पूर्व ही आक्रान्ता बनकर टूट पड़। वृत्र- संहार के,पाप और पापियों की हिंसा के, इस युद्ध में अपने मन को सदा भद्र बनाए रख। यदि तेरा मन भद्र रहेगा, तो पाप-विचार भी, जो तुझ पर आक्रमण करने आएंगे भद्रा-विचार के रूप में परिणत हो जायेंगे। पापियों के सम्बन्ध में यह याद रख की तेरी लड़ाई उनके अदर विद्यमान पापों के साथ है ना कि उनके अस्तित्व के साथ। अतः यदि उनके अन्दर वर्तमान पाप को तू विनष्ट कर देता है तो निष्पत होकर वे तेरे मित्र हो सकते हैं।
हे आत्मन्! तू यजन कर, परमात्मा की पूजा कर, सज्जनों की संगति कर, तेरे पास जो कुछ भी दान करने योग्य है उसका दान कर। तू समाज या राष्ट्र के यज्ञ में अपनी हवि दे,आत्मोत्सर्ग कर। याद रख सौभाग्यवान है वे आत्माएं जो किसी महान कार्य के लिए आत्मोत्सर्ग करती हैं।
हे भाइयो! आओ हम सब मिलकर ब्रह्मणस्पति प्रभु की जगत्पति परमात्मा की, रक्षा का वरण करें और उसकी सुरक्षा में स्थित होकर वीरता के साथ समस्त अभिनन्दनीय कार्यों को करते चलें और आगे बढ़ते चलें। इससे हम सुभग बनेंगे हमारी सुकीर्ति होगी, हम धन्य कहलाएंगे,और सबसे बढ़कर यह कि हमें आत्म-सन्तोष की तृप्ति प्राप्त होगी। ब्रह्मणस्पति प्रभु हमें महिमा प्रदान करेंगे।
वैदिक मन्त्र
यजस्व वीर प्रविहि मनायतो, भद्रं मन:कृणुष्व वृत्रतूर्ये।
हविष्कृणुष्व सुभगो यथामसि ब्रह्मणस्पतेरव आ वृणिमहे
ऋ •२.२६.२
वैदिक भजन ११६४ वां
राग पीलू
गायन समय दिन का तीसरा प्रहर
ताल दादरा ६ मात्रा
भाग १
आत्मन् तू है रण-बाकुरा संग्राम लड़ेगा
तू वीर है वीर- जननी का सम्मान करेगा ।।
आत्मन् ..........
तू सैन्य लेके शत्रुओं का करता रह विनाश
और वीरता के अनुरूप कर कर्म - प्रकाश
तू मन को काबू करके विजय रथ पे चढ़ेगा ।।
आत्मन्.........
तेरे शत्रु तेरे मन को निरुत्साह करेंगे
और त्वरित क्षति देने तुझ पे वार करेंगे
तू आन्तरिक व बाह्य शत्रुओं से लड़ेगा ।।
आत्मन्.........
इस युद्ध में पाप और पापी हिंसा करेंगे
पर युद्ध को संकल्प -वीर भद्र रखेंगे
फिर पाप का विचार आक्रमण ना करेगा ।।
आत्मन्..........
भाग २
आत्मन तू है रण-बांकुरा संग्राम लड़ेगा
तू वीर है वीर -जननी का सम्मान करेगा ।।
आत्मन्.......
मन याद रख पापी से तेरी ना है लड़ाई
पापी के पाप- ध्वस्त में है तेरी बढ़ाई
निष्पाप उनको करके उनका मित्र बनेगा ।।
आत्मन्.........
आत्मन् तू यजन करके पूजा ईश्वर की कर
जो कुछ है तेरे पास खुले मन से दान कर
सज्जनों की ही संगति से सौभाग्य बनेगा
आत्मन्.........
हम ब्रह्मणस्पति की रक्षा में सतत् रहें
और अभिनन्दनीय कार्य करते ही रहें
होगी सुकीर्ति आत्मा का संतोष बढ़ेगा ।।
आत्मन्.............
७.११.२०२३
११.२५ रात्रि
शब्दार्थ:-
रण बांकुरा= युद्ध भूमि का नायक, योद्धा,साहसी
त्वरित = तुरन्त
भद्र= सभ्य, कल्याण करने वाला
ध्वस्त=मिटाना, नष्ट करना
यजन=यज्ञ करना
ब्रह्मणस्पति = जगतपति परमेश्वर
🕉🧘♂️ द्वितीय श्रृंखला का १५७ वां वैदिक भजन
और अबतक का ११६४ वां वैदिक भजन🎧🙏
🕉🧘♂️ वैदिक श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएं❗🙏
Vaidik mantra
Yajasya veer pravihi manaayato, bhadram manahkrinushwa vitratratoorye l
Havishcrinushwa subhago yathaamasi brahmanaspaterava aa vrinimahe ll
Rigved 2. 26. 3
Vedic hymn 1164th
Raag Pilu
Singing time third quarter of the day
Tala Dadra 6 beats
Vaidik bhajan👇
aatman too hai ran-baakuraa sangraam ladegaa
too veer hai veer- jananee ka sammaan karegaa ..
aatman ..........
too sainya leke shatruon ka karata rah vinaash
aur veerata ke anuroop kar karm - prakaash
too man ko kaaboo karake vijay rath pe chadhegaa ..
aatman.........
tere shatru tere man ko nirutsaah karenge
aur tvarit kshati dene tujh pe vaar karenge
too aantarik va baahya shatruon se ladegaa ..
aatman.........
is yuddha mein paap aur paapee hinsa karenge
par yuddh ko sankalp -veer bhadra rakhenge
phir paap ka vichaar aakraman na karegaa ..
aatman..........
bhaag 2
aatman too hai ran-baankura sangraam ladegaa
too veer hai veer -jananee ka sammaan karegaa ..
aatman.......
man yaad rakh paapee se teree na hai ladaee
paapee ke paap- dhvast mein hai teree badhaee
nishpaap unako karake unakaa mitra banega ..
aatman.........
aatman too yajan karake pooja eeshvar kee kar
jo kuchh hai tere paas khule man se daan kar
sajjanon kee hee sangati se saubhaagya banegaa
aatman.........
ham brahmanaspati kee rakshaa mein satat rahen
aur abhinandaneeya kaarya karate hee rahen
hogee sukeerti aatma ka santosh badhegaa ..
aatman.............
7.11.2023
11.25 raatri
Inspiration
Part 1
Atman you are a warrior, you will fight the battle
You are a brave warrior- respect the mother will do it.. Atman..........
You keep destroying the enemies with the army
And do your work as per your bravery
You will control your mind and ride the chariot of victory. Atman.........
Your enemies will demoralize your mind
And attack you to inflict immediate damage
You will fight internal and external enemies.
Atman.........
In this war, sin and sinners will be defeated. We will commit violence
But we will keep the resolve to fight
Then the thought of sin will not attack us.
Atman..........
Part 2
Atman you are a warrior, you will fight the battle
You are brave, you will respect your mother. .
Atman.......
Remember, you have no fight with the sinner
Your glory lies in destroying the sins of the sinner
By making them sinless, you will become their friend.
Atman.........
Atman, worship God by performing Yajna
Whatever you have, donate it with an open mind
Good fortune will be achieved by the company of gentlemen
Atman.........
We are in the protection of Brahmanaspati Be persistent
and keep doing praiseworthy work
You will be renowned and your soul's satisfaction will increase.
Atman.............
7.11.2023
11.25 night
Meaning of the word:-
Ran Bankura = hero of the battlefield, warrior, brave
Twivarit = immediately
Bhadra = civilized, one who does good
Dhwasth = destroy , to destroy
Yajna = to perform sacrifice
Brahmanaspati = Lord of the world
🕉🧘♂️ 157th Vedic hymn of the second series
And 1164th Vedic hymn till now🎧🙏
🕉🧘♂️ Hearty greetings to Vedic listeners❗🙏
Inspiration
O human! O soul! You are brave, born from the womb of a brave mother, you are a warrior, you can destroy with your power those who gather with their army to fight. Recognize your capability, act in accordance with your bravery. Do not be defeated by those who blow the trumpet of war, but those who want to control your mind, want to discourage your mind, want to attack you with the speed of the mind, want to destroy you by keeping pride in your mind, attack those internal and external enemies as an attacker before they become active. Always keep your mind good in this war of killing Vritra, of sin and violence against sinners. If your mind remains good, then even the sinful thoughts that come to attack you will turn into good thoughts. Regarding sinners, remember that your fight is with the sins present within them and not with their existence. Therefore, if you destroy the sins present within them, then after being purified, they can become your friends.
O soul! Perform Yajna, worship God, keep company with the noble ones, donate whatever you have that can be donated. Offer your oblations in the Yajna of the society or the nation, sacrifice yourself. Remember, fortunate are those souls who sacrifice themselves for some great work.
O brothers! Let us all together accept the protection of the Lord Brahma, the Lord of the Universe, and being situated under His protection, let us perform all praiseworthy works with bravery and keep moving forward. By doing this we will become auspicious, we will be famous, we will be called blessed, and above all, we will get the satisfaction of self-satisfaction. The Lord Brahma will glorify us.
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