🙏 *आज का वैदिक भजन* 🙏 1205
*ओ३म् अद॑र्शि गातु॒वित्त॑मो॒ यस्मि॑न्व्र॒तान्या॑द॒धुः ।*
*उपो॒ षु जा॒तमार्य॑स्य॒ वर्ध॑नम॒ग्निं न॑क्षन्त नो॒ गिर॑: ॥*
ऋग्वेद 8/103/1
पाकर सच्ची राह मैं तुमसे
जाग गया हूँ
गातुवित्तम तू है प्रज्ञानी विश्वगुरु
सर्वश्रेष्ठ मार्ग का तू है पथिप्रज्ञ
और मार्गदर्शक पृथु-सभ्य
जैसे माता-पिता मित्र और गुरु
पाकर सच्ची राह मैं तुमसे
जाग गया हूँ
आज हमारा सौभाग्य जगा
सन्मार्ग प्रदर्शक सुखद मिला
अहंभाव तज कृत
क्रियमाण क्रतु
प्रादुर्भूत है तुमसे प्रभु
प्रभु-पथ का अनुसरण
हम सब करेंगे
बन जाएँगे आर्य सतद्भू
ओ.....ऽऽऽऽऽऽऽ
पाकर सच्ची राह मैं तुमसे
जाग गया हूँ
जब अग्निमय तेजस्वी प्रभु
सम्यक रूप से होते प्रादुर्भूत
ऋत की ही राह ले जाते सतत्
ऊर्धवगति में बनते सहायक
परम प्रभु की शरण में तू आजा
वह है महत् यज्ञबन्धु
ओ.....ऽऽऽऽऽऽऽ
पाकर सच्ची राह मैं तुमसे
जाग गया हूँ
अग्नि प्रभु के ही सानिध्य में
वाणियाँ अमृतमय जा पहुँचें
प्रभु में रम के रिझा रहीं ये
और बलद से बल पा रही हैं
वाणियाँ भीनी यह भक्ति के रस की
तव दर्शन पाती है प्रभुजी
ओ.....ऽऽऽऽऽऽऽ
पाकर सच्ची राह मैं तुमसे
जाग गया हूँ
गातुवित्तम तू है प्रज्ञानी विश्वगुरु
सर्वश्रेष्ठ मार्ग का तू है पथिप्रज्ञ
और मार्गदर्शक पृथु-सभ्य
जैसे माता-पिता मित्र और गुरु
पाकर सच्ची राह मैं तुमसे
जाग गया हूँ
*रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ललित मोहन साहनी जी – मुम्बई*
*रचना दिनाँक :--*
*राग :- भीमपलासी*
गायन समय दिन का तीसरा प्रहर, ताल दादरा ६ मात्रा
*शीर्षक :- उसका दर्शन* वैदिक भजन ७८७वां
*तर्ज :- *तामर मूसिल विलियन(मलयालम भाषा)
सतद्भू = यथार्थ
बलद = बल देनेवाला
गातुवित्तम = मार्गो के सब से बड़े ज्ञाता तथा ज्ञापयिता(सूचना देने वाला)
प्रवर = श्रेष्ठ
पथिप्रज्ञ = राह दिखाने वाला
पृथु = विस्तृत, महत्, महान
क्रियमाण = किया जाने वाला
प्रादुर्भूत = प्रकटित, विकसित
अनुसरण = अनुकरण
सम्यक = पूरा
ऋत = सृष्टि के नियम
ऊर्ध्वगति = ऊपर को उठना
यज्ञबन्धु = यज्ञ कर्म का साथी
*प्रस्तुत भजन से सम्बन्धित पूज्य श्री ललित साहनी जी का सन्देश :-- 👇👇*
उसका दर्शन
हमने आज उस परम प्रभु का दर्शन कर लिया है,जो 'गातुवित् -तम'है, सन्मार्गों का
सर्वाधिक ज्ञाता और ज्ञापयिता है। जब कभी हम किंकर्तव्यमूढ़ होते हैं, तब माता पिता उपदेशक आचार्य आदि 'गातुवित्' बनकर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। पर श्रेष्ठ मार्गों का सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी तथा सदुपदेश द्वारा ज्ञान कराने वाला तो परमपिता परमात्मा ही है। सांसारिक जनों द्वारा बताई हुई राह तो कभी गलत भी हो सकती है, किन्तु 'गातुवित् -तम'से निर्दिष्ट राह सदाय सही ही निकलती है, कभी पथभ्रष्ट करनेवाली नहीं होती। आज हमारा सौभाग्य है कि उस अनुपम पथ प्रदर्शक का साक्षात्कार हमने कर लिया है। पर केवल दर्शन या साक्षात्कार पर्याप्त नहीं है, हमें अहंभाव को छोड़कर अपने कृत तथा क्रियमाण समस्त कर्मों को उसे समर्पित करना होगा। 'अहंभाव'और 'परब्रह्म'दोनों एक-साथ नहीं रह सकते। जो सच्चे ब्रह्मदर्शी होते हैं, वे सदा ही अपने व्रतों को व्रतपति अग्निस्वरूप परमेश्वर में निहित एवं समर्पित किया करते हैं। हम भी उसी मार्ग का अनुसरण करें। उत्सव परमप्रभु की शरण में जाकर हमें 'आर्य' बनना है। अग्निमय तेजस्वी प्रभु जब 'आर्य' के हृदय में सम्यक् रूप से प्रादुर्भूत हो जाते हैं, तब वे उसे बढ़ाते हैं, समुन्नत करते हैं। 'आर्य' वह है जो श्रेष्ठ है, ऊर्ध्ववगति करने वाला है, ऋत की ओर जाने का सतत् प्रयास करने वाला है। उसके प्रयास में उसके हृदय में प्रकट हुए परम प्रभु सहायक होते हैं।
आर्य को बढ़ाने और महिमा शाली बनाने वाले उस 'अग्नि' प्रभु के समीप मेरी वाणीयां निरन्तर पहुंच रही है, उसमें रम रही हैं। उसे रिझा रही हैं, उससे बल पा रही हैं।
हे प्रभु ! तुम्हारे दर्शन की झांकी पाकर मैं तुमपर मुक्त हो गया हूं, तुम सदा ही मुझे दर्शन देते रहो मेरी भक्ति रस भीनी भीनी वाणियों से रीझ-रीझ कर मुझे 'आर्य' को
समृद्ध महिमान्वित और महान बनाते रहो।रहो।
🕉👏ईश भक्ति भजन
भगवान् ग्रुप 🙏🌻
🙏 *Today's Vedic Bhajan* 🙏 1205 👇
*OM ADRASHI
GATUVITTAMO YASMIN VRATANAYA DADHUH ।
*UPO SHU JAATAMARYASYA VARDHANAM AGNIM NAKSHANT NO GIRA: ॥*
Rigveda 8/103/1
*Composer,inst.plarer & singer:- Pujya Shri Lalit Mohan Sahni Ji – Mumbai*
*Date of Composition:--*
*Raag:- Bhimpalasi*
Singing Time: Third quarter of the day, Taal: Dadra, 6 beats
*Title:- Uska Darshan* Vedic Bhajan 787th
*Tune:- *Tamar Moolilyanvliyan (Malayalam)
His Darshan
Vaidik bhajan👇
paakar sachchee raah main tumase,
jaag gayaa hoon
gaatuvittam too hai pragyaanee vishvaguru
sarvashreshtha maarg kaa too hai pathipragya
aur maargadarshak prithu-sabhya
jaise maataa-pitaa mitra aur guru
paakar sachchee raah main tumase
jaag gayaa hoon
aaj hamaaraa saubhaagya jagaa
sanmaarg pradarshak sukhad milaa
ahambhaav taj krit
kriyamaan kratu
praadurbhoot hai tumase prabhu
prabhu-path ka anusaran
ham sab karenge
ban jaenge aarya
satadbhoo
o.....
paakar sachchee raah main tumase
jaag gayaa hoon
jab agnimaya tejasvee prabhu
samyak roop se hote praadurbhoot
rit kee hee raah le jaate satat
oordhavagati mein banate sahaayak
param prabhu kee sharan mein too aajaa
vah hai mahat yagyabandhu
o.....
paakar sachchee raah main tumase
jaag gayaa hoon
agni prabhu ke hee saanidhya mein
vaaniyaan amrtamay jaa pahunchen
prabhu mein ram ke rijhaa raheen ye
aur balad se bal pa rahee hain
vaaniyaan bheenee yah bhakti ke ras kee
tav darshan paatee hai prabhujee
o.....
paakar sachchee raah main tumase
jaag gayaa hoon
gaatuvittam too hai pragyaanee vishvaguru
sarvashreshth maarg ka too hai pathipragya
aur maargadarshak
prithu-sabhya
jaise maata-pitaa mitra aur guru
paakar sachchee raah main tumase
jaag gaya hoon
Meaning of words👇
Satdbhu = Reality
Balada = Strengthener
Gatuvittam = The greatest knower of the paths and informer
Pravar = Best
Pathipragya = Guide
Prithu = Wide, Great,
Kriyaman = To be done
Pradurbhut = Manifested, Developed
Anusaran = Imitation
Samyak = Complete
Rit = Laws of Creation
Urdhvagati = Rising upwards
Yagyabandhu = Companion of Yagya Karma
Meaning of bhajan 👇
Finding the true path I to you
I've woken up
Gatuvittam, you are the wise world teacher
You are the pathfinder of the best path
and the guide Prithu-sabhya
such as parents friends and teachers
Finding the true path I to you
I've woken up
Today our fortune woke up
I found the right guide pleasant
Give up egoism
The sacrifice being performed
appears to you, Lord
Following the Lord's path
We will all do it
will become Aryan Satdbhu
Oh.....''''''
Finding the true path I to you
I've woken up
When the fiery brilliant Lord
appeared properly
They always follow the path of truth
Assistants formed in vertical movement
Come to the Supreme Lord for refuge
He is the great Yajnabandhu
Oh.....''''''
Finding the true path I to you
I've woken up
Fire in the presence of the Lord Himself
Let the words reach the nectar
They are pleasing the Lord with rum
and are gaining strength from the bull
The words soaked it with the juice of devotion
She gets to see you, Lord
Oh.....''''''
Finding the true path I to you
I've woken up
Gatuvittam, you are the wise world teacher
You are the pathfinder of the best path
and the guide Prithu-sabhya
such as parents friends and teachers
Finding the true path I to you
I've woken up.
*Message of Pujya Shri Lalit Sahni Ji related to this Bhajan:-- 👇👇*
His Darshan
Today we have seen that Supreme God, who is 'Gaatuvit-Tam', the best knower of the right paths and the one who is to be known. Whenever we are confused about what to do, then our parents, teachers, teachers etc. become 'Gaatuvit' and guide us. But the best knower of the right paths and the one who gives knowledge through good teachings is only the Supreme Father, the Supreme Soul. The path shown by worldly people can sometimes be wrong, but the path shown by 'Gaatuvit-Tam' always turns out to be right, it never leads astray. Today we are fortunate that we have met that unique guide. But only Darshan or Darshan is not enough, we have to surrender all our done and in-progress actions to Him, leaving behind ego. 'Ego' and 'Param Brahma' both cannot stay together. Those who are true Brahmadarshis always keep their vows dedicated to the God in the form of Agni, the master of vows. We should also follow the same path. We have to become 'Arya' by taking refuge in Utsav Param Prabhu. When the fiery and radiant God appears in the heart of an 'Arya' in a proper manner, then He uplifts him and makes him prosperous. 'Arya' is one who is superior, who moves upwards, who constantly tries to go towards Rta. The Supreme Lord who appears in his heart helps him in his efforts.
My words are constantly reaching that 'Agni' God who uplifts and makes the Arya glorious, they are enjoying in him. They are pleasing him, they are getting strength from him.
O Lord! I have become free from you after getting a glimpse of your darshan, keep on giving me darshan always, keep on getting pleased with my devotional sweet words and keep on making me 'Arya' prosperous, glorious and great.
🕉👏Ish Bhakti Bhajan
Bhagwan Group 🙏🌻
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