*ओ३म् ब्रह्म॒ सूर्य॑समं॒ ज्योति॒र्द्यौः स॑मु॒द्रस॑म॒ᳪ सर॑: ।*
*इन्द्र॑: पृथिव्यै॒ वर्षी॑या॒न् गोस्तु मात्रा॒ न वि॑द्यते ।। ४८ ।।*
यजुर्वेद 23/48
आश्चर्य हुआ है
देखकर सूर्य को
ब्रह्मवेद भी है
सूर्य समान
आश्चर्य हुआ है
देखकर सूर्य को
ब्रह्मवेद भी है
सूर्य समान
जल सिन्धु अन्तरिक्ष में
वैसा अन्तरिक्ष हृदय में
मनस्तत्व भी है सिन्धु समान
आश्चर्य हुआ है
कितनी है भारी पृथ्वी
कितनी बड़ी है परिधि
इन्द्र आत्मा परमात्मा की
अनन्त है गुणनिधि
कितनी है भारी पृथ्वी
कितनी बड़ी है परिधि
इन्द्र आत्मा परमात्मा की
अनन्त है गुणनिधि
अनादि अमर हैं दोनों
और देव भी है दोनों
सनातन है उनकी स्थितियाँ
कर सके ना गणना कोई
आश्चर्य हुआ है
देखकर सूर्य को
ब्रह्मवेद भी है
सूर्य समान
आश्चर्य हुआ है
ना कर पाएँ गणना
किरणें हैं कितनी रवि की
फैले अनन्त आकाश में
जिसकी अनन्त द्युति
आत्मा की गौ सम किरणें
वाणी की वाक् शक्ति
परिमाण माप सकें ना
क्योंकि ये हैं अति
आश्चर्य हुआ है
देखकर सूर्य को
ब्रह्मवेद भी है
सूर्य समान
जल सिन्धु अन्तरिक्ष में
वैसा अन्तरिक्ष हृदय में
मनस्तत्व भी है सिन्धु समान
आश्चर्य हुआ है
देखकर सूर्य को
*रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ललित मोहन साहनी जी – मुम्बई*
*रचना दिनाँक :--* ५.११.२००२ २.३५ मध्यान्ह
*राग :- भैरवी*
गायन समय सुबह ६ से ९, ताल कहरवा
*शीर्षक :- वह अनन्त है* 🎧802 वां वैदिक भजन🌹🙏🏿
*तर्ज :- कदर जाने ना
मनस्तत्त्व = मन के विषय में कुछ गूढ़ जानने योग्य तत्व
द्युति = कान्ति , चमक
*प्रस्तुत भजन से सम्बन्धित पूज्य श्री ललित साहनी जी का सन्देश :-- 👇👇*
वह अनन्त है
क्या तुम इस स्वयं प्रकाश और सर्वजगत- प्रकाशक सूर्य को देखकर आश्चर्य करते हो कि इसके समान कोई दूसरी ज्योति इस संसार में कहां हो सकती है ? पर देखो वह ब्रह्म, यह वेद उसी प्रकार स्वयं- प्रकाश और सर्वजगत- प्रकाशक है। उसको हमारे अन्दर यह ब्रह्म, यह ज्ञान, यह ज्ञान में ब्रह्म अन्दर की ज्योति है अन्दर का सूर्य है असली सूर्य है। क्या तुम इस पारावार समुद्र को देखकर समझते हो कि इस- जैसा जलाशय, इतना बड़ा सरोवर और कोई नहीं हो सकता? नहीं, ज़रा सूक्ष्मता से देखो कि यह अन्तरिक्ष इसी प्रकार का जल-वाष्प-मय बड़ा भारी समुद्र है, हमारे अन्दर इसी प्रकार का हृदय- अंतरिक्ष, बहुत बड़ा मानसरोवर है,इतना ही गम्भीर, इतनी बड़ी-बड़ी तरंगों वाला मनस्तत्त्व का बना हुआ दिव्य समुद्र है। क्या तुम बड़ी भारी पृथ्वी को देखकर सोचते हो कि इससे अधिक बड़ी, और अधिक वर्षों वाली चिरकालीन कोई और वस्तु क्या हो सकती है? परन्तु देखो, यह इन्द्र, यह आदित्य इस पृथ्वी से लाखों गुना बड़ा और इस पृथ्वी से लाखों वर्ष बड़ा है। हमारे अंदर यह 'इन्द्र' आत्मा, यह परमात्मा पृथ्वी से अनन्त गुना बड़ा है और यदि उसकी वर्षों से गणना करें तो इसका कभी आदि ही नहीं है,यह अनादि है, सनातन है और क्या तुम इस पृथ्वी के वृहद परिमाण को देखकर पूछते हो कि क्या कोई ऐसी वस्तु भी हो सकती है जिसकी कोई मात्रा नहीं, कोई परिमाण नहीं ? तो देखो, इस आदित्य को 'गौ' रूप किरणें इतनी है कि उनकी मात्रा नहीं हो सकती,वह गिनी नहीं जा सकती। अन्दर आत्मा-इन्द्र की गोरूप किरणें, वाणी आदि आत्मशक्तियां इतनी हैं कि उनका किसी तरह परिमाण नहीं किया जा सकता बस यही कहा जा सकता, है कि यह अनन्त हैं, यह अनन्त हैं।
वैदिक भजन ७९९वां
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🙏ईश- भक्ति-भजन
भगवान् ग्रुप द्वारा🙏
vaidik bhajan 799 th/ 1222
raag bhairavi singing time 6 to 9 Am
taal kaharava(8 beats)
aashcharya huaa hai dekhakar soorya ko
brahmaved bhee hai soorya samaan (2)
jal sindhu antariksha mein
vaisa antariksh hriday mein
manastatva bhee hai sindhu saamaan
aashcharya.......
kitanee hai bhaaree prthvee
kitanee badee hai paridhi
indra aatmaa paramaatmaa kee
anant hai gunanidhi (2)
anaadi amar hain donon
aur dev bhee hai donon
sanaatan hai unakee sthitiyaan
kar sake na gadanaa koee (2)
aashcharya........
naa kar paayen gadanaa
kiranen hain kitanee ravi kee (2)
phaile anant aakaash mein
jisakee anant dyuti(2)
aatmaa kee gau sam kiranen
vaanee kee vaak shakti
parimaan maap saken naa
kyonki ye hain ati (2)
aashcharya......….
5.11.2002
2.35 Pm
Meaning of words:-👇
Manastattva = some secret facts about the mind which are worth knowing
Dhuti= brightness
Vedic Bhajan 799th
Raag Bhairavi
Singing time 6 to 9 in the morning
Taal Kaharvaa
Meaning of bhajan👇
I am surprised to see the Sun
Brahma Veda is also like the Sun (2)
Ocean of water in the space
Same space in the heart
Mind is also like the ocean
Surprise…….
How heavy is the Earth
How big is the circumference
The soul of Indra and the Supreme Soul
The treasure of virtues is infinite (2)
Both are eternal and immortal
And both are also gods
Their states are eternal
No one can count (2)
Surprise…….
Cannot count
How many rays does the Sun have (2)
Spreading in the infinite sky
Whose infinite radiance(2)
The rays of the soul are like cows
The power of speech of the voice
Cannot measure the magnitude
Because they are extreme (2)
Surprise…….
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Self study( swaadhyaay) 👇
He is Infinite
Do you wonder on seeing this self-illuminating and world-illuminating Sun that where can there be any other light like it in this world? But look, that Brahma, this Veda is self-illuminating and world-illuminating in the same way. This Brahma within us, this knowledge, this Brahma in knowledge is the inner light, the inner Sun, the real Sun. Do you think on seeing this ocean that there cannot be any other reservoir like this, such a big lake? No, look closely that this space is a similar huge sea of water-vapor, within us there is a similar heart-space, a very huge Manasarovar, a divine sea made of mind, as deep and deep, with such huge waves. Do you think on seeing the huge earth that there can be any other thing bigger and more long-lasting than this? But look, this Indra, this Aditya is millions of times bigger than this earth and millions of years bigger than this earth. This 'Indra' soul, this God inside us is infinite times bigger than the Earth and if we count it in terms of years then it has no beginning, it is eternal, everlasting and looking at the huge size of this Earth do you ask whether there can be any thing which has no quantity, no magnitude? So look, this Aditya has so many 'cow' form rays that they cannot be quantified, they cannot be counted. The cow form rays, speech etc. soul powers of the soul-Indra inside us are so many that they cannot be quantified in any way, all that can be said is that they are endless, they are infinite.
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🙏Eesh- bhakti- bhajan
By bhagwaan group🙏
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