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वैदिक भजन१२०६ वां
राग शिवरंजनी
गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर
ताल दादरा ६ मात्रा
👇वैदिक मन्त्र👇
अहं च त्वं च वृत्रहन्त्सं युज्जाव सनिभ्य आ ।
अरातीवा चिदद्रिवोऽनु नौ शूर मंसते इन्द्रद्युम्न रातय: ।।
ऋग्वेद• ८.६२.११
👇वैदिक भजन👇
तू है महान देवता
इन्द्र स्वरूप तेरी कृपा
कल्याण तुझसे पा रहे
तेरी गुणगीतियां गा रहे
सत्कर्मों में ले जा रहे
वाणी क्रियामय सजा रहे ।।
तू है.......
आओ है प्यारे वृत्रहन!
मिलकर बहायें दान-धन
महिमा दिखाएं दान की
वाणी क्रियामय खूब खेले ।।
तू है.........
दान-प्रतिदान का करें प्रयोग
करें परस्पर योग- संयोग
सर्वस्व दूं अपना-आपा
प्रतिदान में ऐश्वर्य दे ।।
तू है.. ......
त्याग दूं कर्म विकार के
तू विघ्न बाधा से तार दे
भर दे प्रथित पवित्रता
समता तेरी सदा रहे ।।
तू है.......
योग -संयोग चलता रहे
तुझसे अभीष्ट मिलता रहे
आत्मबलिदान की राह पर
ऐश्वर्य प्राप्त होता रहे ।।
तू है.........
भाग २
आत्मबलिदान करूंगा मैं
देख संसार दहल जाएगा
कट्टर से कट्टर अदानी हृदय
हिल जाएगा देख मुझे ।।
तू है.........
आत्महुतियों की महिमा देख
दान प्रतिदान सराहेंगे
अनुभव करेंगे दान-शक्ति
हम दोनों यही समझा रहे
तू है...........
इक-इक अङ्ग मैं काटकर
चरणों में तेरे रख रहहै
हे वज्रवाले ! करो भेदन
उच्च ऐश्वर्य मिलते रहें।।
तू है..........
आत्मबलिदान -प्रतिदान में
पूर्ण बनाओ इन्द्र मुझे
दुनियां कहेगी हम दोनों
इन्द्र कल्याणकारी परस्पर रहे ।।
तू है..........
शब्दार्थ:-
गुणगीतियां= गुणों के गीत
वृत्रहन्= विघ्नों को छिन्न-भिन्न करने वाले इन्द्र
संयोग= सम्बन्ध,लशलगाव
प्रतिदान=भेंट
प्रथित=विस्तृत
अभीष्ट= मनोरथ, चाहा हुआ
दहलना= डर के मारे कांपना
अदानी= स्वार्थभाव वाले, दान न देने वाले
आत्महुति= आत्म बलिदान
वज्रवाले=भेदन करनेवाले
भेदन=तोड़ना
30.6.2024 1120 pm
👇 उपदेश👇
' इन्द्र के दान कल्याणकारी हैं। इन्द्र के दान बड़े कल्याणकारी हैं ' इस टेक के साथ मैंने तेरी बहुत गुण गीतिया गाईं हैं। है इन्द्र ! तेरे दानों की, तेरे देनों की बहुत स्तुतियां गाईं है पर यह वाचिक स्तुतियां बहुत हो चुकीं अब तो हे वृत्रहन! आओ, मैं और तुम मिल जाएं और मिलकर क्रिया में वाणी द्वारा संसार को दान की महिमा दिखाएं। कोई भी मेल,कोई भी संयोग बिना दान-प्रतिदान के नहीं हो सकता। मेरा और तेरा यह संयोग तभी हो सकेगा जब मैं अपना सर्वस्व तुझे दे दूं और प्रतिदान में तू मेरा अभीष्ट ऐश्वर्य मुझे दे दे, जब मैं अपने सब टेढ़ेपन को अपने सब विकार को त्याग दूं और प्रतिदान में हे वृत्रहन! र तू सब विघ्न-बाधाओं को छिन्न- भिन्न करके अपनी समता से अपनी पवित्रता से मुझे भर दे। यह हमारा
संयोग यह योग यह योग- प्रक्रिया तब तक चलेगी जब तक तुझे मुझे मेरे सब अभीष्ट ऐश्वर्य न मिल जाएंगे,जब तक मुझे पूर्ण प्राप्ति ना हो जाएगी। तो आओ,मेरे इन्द्र! तुम भी आगे आओ, मैं आत्मबलिदान के रास्ते आज तुमसे संयुक्त होने निकला हूं। मैं एक के बाद एक ऐसे- ऐसे आत्मबलिदान करूंगा कि इन्हें देख संसार दहल जाएगा। कट्टर- से- कट्टर अदानियों के हृदय हिल जाएंगे। दान के माहात्व को देख यह संसार एक बार तो आत्म- त्याग के लिए तत्पर हो जाएगा। जिन्हें आत्मत्याग में तनिक भी विश्वास नहीं, जिन्हें आत्मबलिदान में कुछ भी श्रद्धा नहीं वे भी दान की शक्ति को अनुभव करेंगे, हमारी आत्महुतियों की महिमा को समझेंगे,तथा हमारे दान- प्रतिदान का अनुमोदन करेंगे। तो लो,मैं अपने एक-एक अङ्ग को काटकर तुम्हारे चरणों में रखता जाता हूं और तुम हे वज्रवाले! भेदन कर- करके मेरे लिए एक-एक उच्च ऐश्वर्य को देते जाओ। ओह! मेरे इन महान् आत्म- बलिदानों के प्रतिदान में, है शूर ! जब तुम मुझे पूर्ण प्राप्ति करा दोगे, जब मुझे निहाल कर दोगे, तब तो दुनियां भी कह उठेगी -- नि:संदेह इन्द्र के दान बड़े कल्याणकारी हैं इन्द्र के प्रतिदान परम कल्याणकारी हैं।
🕉👏 द्वितीय श्रृंखला का २००वां वैदिक भजन और अबतक का १३०६ वां वैदिक भजन
🙏सभी श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🌹
1206 welfare charity
vaidik bhajan 1206 th
raag shivarnjani
Singing time second phase of the night
taal dadara 6 beats
👇vaidik mantra👇
aham cha tvam cha vrutrahantsam yujjav sanibhya aa ।
arativaa chidadrivoऽnu nau shoor mansate indraduyagn rataya: ।।
Rigved• 8.62.11
👇vaidik bhajan👇
too hai mahaan devtaa
indra swaroop teri kripaa
kalyaan tujhase paa ~rahe~
teri gunagitiyaan gaa rahe
satkarmon men le jaa rahe
vani kriyaamaya sajaa rahe ।।
tu hai.......
aao hay pyaare vritrahan!
milakar bahayen daan-dhan
mahimaa dikhaaen dan ki
vaani kriyamaya khoob khele ।।
tu hai.........
daan-pratidaan kaa karen prayog
karen paraspar yog- sanyog
sarvasva doon apanaa-aapaa
pratidaan men aishvarya de ।।
tu hai.. ......
tyaag doom karm vikaar ke
tu vighna baadhaa se taar de
bhar de prathit pavitrataa
samataa teri sadaa rahe ।।
tu hai.......
yog -sanyog chaltaa rahe
tujhase abheesht milataa rahe
aatmabalidaan ki raah par
aishvarya praapt hotaa rahe ।।
tu hai.........
bhag २
Too hai mahaan devataa
Indra swaroop teri kripaa
Kalyaan tujhse paa rahe
Teri gun geetiyaan gaa rahe
Satkrmon me le jaa rahe
Vaani kriyaamay sajaa rahe
Too hai........
aatmabalidaan karungaa main
dekh sansaar dahal jaayegaa
kattar se kattar adaanee hridaya
hil jaayegaa dekh mujhe ।।
tu hai.........
aatmahutiyon ki mahimaa dekh
daan pratidaan saraahenge
anubhav karenge daan-shakti
hum donon yahi samjhaa rahe
tu hai...........
ik-ik ang main kaatakar
charanon men tere rakh rahaa
he vajrawale ! karo bhedan
ucch aishvarya milate rahen।।
tu hai..........
aatmabalidan -pratidan men
purna banaao indra mujhe
duniyaan kahegi ham donon
indra kalyanakari paraspar rahe ।।
tu hai..........
Semantics:-
Gungeetiyaan= songs of virtues
Vritrahan= Indra, who shatters obstacles
Sanyog= relationship,lashalgaon
Pratidaan=gift
Prathit=extensive
Abhishta= desire, desired
Dahlana= trembling with fear
Adaani= selfish, not giving
Atmahuti= self-sacrifice
Vajrawaale=piercing
Bhedan=to break
30.6.2024 11.20 pm
Welfare charity
👇Vedic Bhajans👇
You are the great God
Indra Swaroop thy grace
receiving welfare from you
Singing your praises
leading to good deeds
Voice is actively decorating.
You are.
Come on, dear Vritrahan!
Together, shed charity
Show the glory of charity
Voice played a lot of action.
You are.
Use charity
Do mutual yoga- coincidence
I give everything to myself
Give wealth in return.
You are.......
I renounce karma disorder
You string from obstacles
fill the renowned holiness
Samata teri sada rahe.
You are.
Yoga -coincidence continued
Keep getting what you want
On the path of self-sacrifice
May you continue to receive wealth.
You are.
Part 2
I will sacrifice myself
The world will be shaken to see
The most ardent Adani heart
Hil Jayega Dekh Mujhe.
You are.
See the glory of the self-sacrifices
Donations will be appreciated
will experience the power of charity
That's what we're both explaining
You are.
I cut off each limb
Keeping at your feet
O thunderbolt! Do piercing
Keep getting high wealth.
You are.
Self-sacrifice -in return
Make me perfect, Indra
The world will say we are both
Indra be welfare to each other.
You are.
********"
Welfare charity
👇 Preaching👇
' The gifts of Indra are auspicious. Indra's gifts are very welfare-giving ' With this recitation I have sung many of your virtues. O Indra! Many praises have been sung of Your gifts, of Your gifts, but these verbal praises have been enough now, O Vritrahana! Come, you and I meet and together show the world the glory of charity by speech in action. No union, no coincidence can be without charity. This union of mine and yours can only take place when I give you all I have and in return you give me my desired wealth, when I give up all my crookedness and all my disorders and in return, O Vritrahana! r You break all obstacles and fill me with Your equality and Your holiness. This is ours
Coincidence This Yoga This Yoga- process will continue until you get all my desired wealth, until I get complete attainment. So come, my Indra! You too come forward, I am going out today to be united with you through self-sacrifice. I will make one self-sacrifice after another that will shake the world. The hearts of staunch- to- staunch Adanites will be moved. Seeing the importance of charity, this world will be ready for self-sacrifice once and for all. Those who have no faith in self-sacrifice, who have no faith in self-sacrifice, will also experience the power of charity, understand the glory of our self-sacrifices, and approve of our charity. So lo,I cut off each of my limbs and place them at your feet and you, O Vajravala! Pierce through- and give me each higher opulence. Oh! In recompense for these great self- sacrifices of mine, O knight ! When you make me completely attain, when you make me happy, then the world will also say -- undoubtedly Indra's gifts are very auspicious. Indra's rewards are supremely auspicious.
🕉👏 200th Vedic Bhajan of the second series and 1306th Vedic Bhajan so far
🙏Welcome to all listeners🙏🌹
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