Ad Code

किसी समस्या का समाधान चिंता से नहीं चिंतन' से ही संभव है।

 

   किसी भी समस्या का समाधान कभी भी बहुत अधिक नकारात्मक अथवा असफलता के बारे में बहुत अधिक विचार करने से आपका मस्तिस्क और अधिक परेशानियों को आपके सामने उपस्थित करेगा, माना की आपकी समस्या बहुत बड़ी और कठीन है यह भी मान लेते हैं कि आप इस समस्या को लेकर काफी लंबे समय से परेशान है, आपका दिमाग समस्या का हल नहीं तलास पा रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने ऊपर निराशा के मोटी चादर को ढक कर सोजाए, क्योंकि जब भी आपकी नीद खुलेगी आपके सामने वहीं समस्या और विकराल रूप लेकर आपके सामने उपस्थित होगी, पहली बात समस्या है और आपको उसका समाधान करना है। यह बात मान कर चलना होगा, और बड़ी समस्या को टुकड़े टुकड़े करके उसे छोटा कर ले और अपनी छोटी छोटी समस्या का समाधान किजीए, आपकी बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा, पहली बात अपने हृदय की सबसे गहराइयों में जहाँ यह बात बैठी है कि आप समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं क्योंकि आप लंबे समय से अभी तक नहीं कर पाए हैं इस विचार को वहां से उखाड़ फेकिए और उस स्थान पर इस नये विचार को स्थापित करे की आप से बड़ी आपके पास कोई समस्या कभी नही हो सकती है आप अपनी समस्या से बहुत बड़े और बहुत अधिक शक्तिशाली हैं, आप अपनी समस्या का समाधान हर हाल में अवश्य ही प्राप्त कर लेगे, आप अपने मनोबल उत्साह साहस हिम्मत से काम ले, मन से हर प्रकार निराशा जनक विचार की जड़ो को किसी शर्त पर अपने हृदय की जमीन पर अंकुरित ना होने दे, आपकी समस्या आपकी निर्धनता या आपके स्वास्थ्य को ले कर हो सकती है। 

      आपकी निर्धनता या आपका स्वास्थ्य सच में यह आपकी बड़ी समस्या नहीं है सच तो यह की आपने इनकी जड़ो को बहुत मजबूत बना लिया है क्योंकि आप हर समय इसी प्रकार के नकारात्मक विचारों के बीज अपने हृदय की खाली जमीन में बोये जा रहे है, इसके स्थान पर आपको अपने हृदय की भुमी मे सकारात्मक विचारों के बीज को बोना चाहिए,  की आप स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे है आपके पास धन की कोई कमी नहीं है यदि कमी है तो भी आप निरंतर अपने पुरुषर्थ परिश्रम उद्योग से दूर करने में सक्षम है, आप अपनी शक्तियों को जगाइए, क्योंकि आपका संबंध बहुत बड़े धनो के स्वामी परमेश्वर से है, वह बहुत अधिक स्वस्थ है स्वास्थ्य का मतलब ही होता है जो अपने अंदर स्थित है, आपके अंदर आपका ईश्वर विद्यमान है, आपको अपने अंदर स्थित होना होगा। निर्धनता का मतलब है की नीर अथवा जल धन का मतलब है ज्यादा मात्रा में आपके शरीर मे पानी होगया है, आपको अपने अंदर जो पानी का गुड़ शीतलता ठंडा पन है उसके स्थान पर अग्नि की मात्रा को बढ़ाना होगा। अर्थात आपको परिश्रम उद्योग करना होगा। शारिरीक परीश्रम नहीं कर सकते कोई बात नहीं मानसिक परिश्रम करिए, यह भी नहीं कर पा रहे है तो आध्यात्मिक परिश्रम करे, आपको अपनी हार अपनी असफलता अपनी निराशा पर आपको ही विजय प्राप्त करना होगा। इसमें आपके शिवाय आपकी कोई और सहायता करने वाला नहीं है। क्योंकि आप अपने को अभी तक नहीं जानते है या फिर आप स्वयं की क्षमताओं को भुल गये होगे, जैसे हनुमान जी अपनी शक्तियों को भुल गये थे जामवंत ने उनको उनकी सोई शक्तियों के बारे में बताया जब हनुमान जी को अपनी शक्तियों का ज्ञान हुआ तो उन्होंने विशाल सागर को पार कर लिया और भगवान श्री राम के बहुत बड़े सहायक के रूप में उभर कर इस मृत्युलोक में हमेशा के लिये अपने आपको अमर कर दिया, आप भी ऐसा कर सकते है आप स्वाध्याय अर्थात स्वयं का अध्ययन करें, कयोंक आपकी सहायता परमात्मा कर रहे हैं और आप परमात्मा की सहायता कर रहे हैं परमात्मा के आप अंश हे, आपके द्वारा ही परमात्मा संसार में प्रकट होता है, आप अपने आपको इतना अधिक दिन हिन अनाथ ना समझे वह नीली छतरी वाला सदा आपके दुख सुख अच्छे बुरे दिनों में आपके साथ ही रहता है आप उसको जब जब नकारते है तब तब आप कमजोर स्वयं को महसूस करते हैं जब जब सच्चे हृदय से उसको पुकारेगे वह आपकी सहायता केरल लिए हजारों प्रकार की सहायता के साथ हमेशा खड़ा होगा। यद्यपि परमेश्वर कभी भी असहाय किसी को नहीं छोड़ता है, सबसे पहले आपको अपनी पुरी शक्ति का उपयोग करके अपनी समस्या का समाधान करना चाहिए।, यदि ऐसा करने पर भी आपके जीवन की समस्या का समाधान नही होता हैं, तो आपको अपने सच्चे हृदय से अपने पालनहार परमेश्वर पुकारना चाहिए वह अवश्य ही आपके जीवन की समस्त समस्या का समाधान अर्थात समाधि मे आपको लीन कर देगा|

Post a Comment

0 Comments

Ad Code