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ब्राह्मणों के शास्त्रीय आदर्श ब्रह्मर्षि वशिष्ठ हैं,न कि भगवान परशुराम --

 


🧘ब्राह्मणों के शास्त्रीय आदर्श ब्रह्मर्षि वशिष्ठ हैं,न कि भगवान परशुराम --🧘

🛐विद्वान ब्राह्मणों से मेरी बाल जिज्ञासा थी कि -ब्राह्मणत्व का चरम पुरूष कौन है? किसमें ब्राह्मणत्व अपने चरम रूप में पहुँचा है?आजकल का यह ज्वलंत प्रश्न है, क्योंकि आजकल ब्राह्मणों के जितने भी समूह या दल बन रहे हैं उनमें भगवान परशुराम को ब्राह्मणों के आदर्श पुरुष के रूप में जोर शोर से प्रतिष्ठित किया जा रहा है! किन्तु शास्त्रीय न्यायानुसार भगवान वशिष्ठ को ही सर्वत्र ब्राह्मणों के आदर्श रूप में दिखाया गया है! 

क्या यह विरोधाभास ये दो विकल्प नहीं प्रस्तुत करता कि या तो उन सभाओं में त्रिकाल संध्या करने वाले ब्राह्मण नहीं जाते, अथवा ब्राह्मणों में अधिसंख्य ने वाकई शास्त्राध्ययन छोड़ दिया है?

 ब्राह्मणत्व विद्याबल से ही प्रबल हो सकती है संख्याबल व शस्त्रबल से नहीं! जो परशुराम जी को आदर्श मानते हैं वे अजनाने ही ब्राह्मणत्व से क्षत्रियत्व की ओर बढ़ रहे हैं! यह ब्राह्मण का उत्थान है या पतन है?🛐

‼️भगवन् पारीक जी से -यह ब्राह्मणों का आपसी विमर्श है इसमें बाँटने जैसी कोई बात नहीं है! यदि ब्राह्मण ही सत्य व शास्त्र का अर्थ करना छेाड़ देगा तो सोचें वह कहाँ जाएगा?‼️

💐पंडित शिवप्रसाद त्रिपाठी जी -के शब्दों में -महर्षि बशिष्ठ क्योंकि  वह सैकड़ों वेद मंत्रों के द्रष्टा ऋषि हैं।जिनमें ब्रह्मगायत्री सहित महामृत्युंजय मंत्र और कृष्ण यजुर्वेद रुद्राध्याय भी सम्मिलित है। यथा -💐

धिग् बलं क्षत्रिय बलं ब्रह्म तेजोमय बलं बलं।

एकेनापि दंडेन वीश्वामित्रं पराजितम्।।

💥नि:सन्देह ब्राह्मण के आदर्श  केवल ऋषि बशिष्ठ है।वह ब्रह्मा के मानस पुत्र भी है। वशिष्ठ ही आदर्श है.... पर आज की मानवीय चेतना उन्हें पकड़ नहीं पा रही है कदाचित् उनकी ऊंचाई ही इतनी ज्यादा है।💥

🛐परशुराम को आज के युवा अपने कोृध और हिंसक प्रवृति के कारण परशुराम के रूप में ब्राह्मणादर्श चुन लेते हैं । शास्त्रों का अगाध सत्य निहितार्थ जानने वाले वरूण पाण्डेय शिवाय जी एवं संवित् चैतन्य जी का मत भी वशिष्ठ भगवान के प्रति ही है! इसे विशद व्याख्या द्वारा पूर्णतः प्रमाणित किया जा सकता है! पर एक चिंतनीय बात भी है --🛐

मानसोक्ति है कि -

सचिव वैद गुरू तीन जो

 प्रिय बोलहिं भय आश! 

राज धर्म तन तीन कर

 होंहिं वेगिही नाश!! 

♀️क्या ब्राह्मणों ने अब सच बोलना भी छोड़ दिया है? क्या भय, लोभ या उन ब्राह्मणीय संस्थानों में सम्मान पाने के लिये अब वह झूठ कहेगा कि परशुराम ब्राह्मणत्व के आदर्श हैं!पारीक जी! ♀️

🏵️आपके मन्तव्य का है हृदय से सम्मान करता हूँ भगवन्! बालक से रूष्ट मत होइयेगा पर मैं बस यह कहना चाहता हूँ कि ब्राह्मण में सदैव सत्य कहने का साहस होना चाहिए! यही तो हमारा शास्त्रीय परिचय है! मैने कई ब्राह्मण सभाओं में भाषण दिया पर यह सत्य कहते ही मित्रगण इसे अप्रासंगिक कह कर बस परशुराम जी एवं शस्त्रबल पर जोर देने को कहते थे! पर हमारे भगवान सदृश गुरू ने तो हमें निर्भीक होकर सच बोलना ही सिखाया है तो क्या हम वह ब्राह्मणोचित गुण छोड़ दें?🏵️

🚩शाश्वत जी -हे अग्रज क्या ब्राम्हण शस्त्र उठा ले तो उसका ब्राम्हन्त्व नष्ट हो जाता है क्या?

प्रिय शाश्वत् जी! आपको याद होगा कि विश्वामित्र जी मारीचादि को मारने में समर्थ होने पर भी ब्रह्मर्षि हो जाने से वध हेतु शस्त्र उठाने से ब्राह्मणत्व की हानि का अनुमान कर और लोकहित के लिए भी भगवान राम लक्ष्मण को माँग लाये थे!ठीक है ब्राह्मण गण सेना बनाएँ, एकता अच्छी बात है पर ब्राह्मणत्व संख्याबल पर, और शस्त्र बल पर नहीं टिका है!🚩

 🙏ब्राह्मणत्व टिका है शास्त्रज्ञान, तप, मंत्र, एवं आत्मबल पर! हम सेना क्यों बना रहे हैं? क्या हमने मान लिया है कि क्षत्रिय अब हमारी रक्षा नहीं करेंगे, कि अब वे हमारे शत्रु हैं? अरे! अगर हम आज भी आचार्य चाणक्य की तरह उन्हें राजा बनाने का मंत्रबल रखेंगे तो आज भी वे हमें दण्डवत् पूजनीय मानेंगे! हम यह देख रहे हैं कि हमारी एकता न टूटे! पर हम क्या सवर्णगणों की एकता नहीं तोड़ रहे हैं!?🙏

🪴💧आज आवश्यकता ब्राह्मण एकता से भी अधिक सवर्ण एकता और यदि सम्भव हो तो चातुर्वर्ण्यो के एकता की है! और यह ब्राह्मणों के अपने पुराने शास्त्रीय रूप में आनेपर ही संभव हो सकता है! इति च!एक सच्चा ब्राह्मण सनातन इतिहास के शुरू से हमारे पूजनीय और गुरु रहे है एक सच्चा ब्राह्मण क्षत्रिय के लिए हमेशा पूजनीय रहा है और ब्राह्मण की नजर क्षत्रिय हमेशा आदरणीय रहा है गुरु वशिष्ठ जैसे ब्राह्मण आज पुजनीय है।

जयश्रीराम👏.

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