ओ३म्
बहुत सी माताएँ,बहने, आज भूखी प्यासी रहेंगी, उनके दिमाग़ में बिठा दिया गया है कि उनके व्रत धारण से उनके पतियों कि उम्र बढ़ेगी, और फिर भेड़चाल शुरू होती है,
कल का पाखंड आज पूर्वजो कि परम्परा बन गई आज का पाखंड आने वाली पीढ़ी कि परम्परा बनेगी,
सजना सवरना गृहस्थ जीवन हेतु शास्त्र अनुकूल है, और पति का जीवन कभी आपके निर्जल व्रत धारण से नहीं बढ़ेगी, व्रत का अर्थ होता है संकल्प, प्रतिज्ञा,
ऋषिका गार्गी नें व्रत धारण किया कि मैं वेद मंत्र दृष्ठा बनुँगी और अपना व्रत पूरा किया,
माता सीता नें व्रत धारण किया कोई विधर्मी मुझसे बल पूर्वक विवाह करेगा तो योग विधि से प्राण दें दूंगी,
माता रुक्मणि नें व्रत धारण किया कि कृष्ण जैसा पुत्र प्राप्त करुँगी और प्रधुमन प्राप्त किया,
माता कृष्णा ( द्रोपती ) नें व्रत धारण किया कि ज़ब तक दु :शासन के खून से बाल ना धो दूं बाल नहीं बनाउंगी,
रानी लक्ष्मीबाई नें व्रत लिया ज़ब तक मेरे खून का एक कतरा शेष रहेगा झाँसी पर आंच नहीं आने दूंगी,
ऐसे अनगिनत उदहारण है.
पर आज भूखा रहना का अर्थ व्रत समझ लिया है,
चलो भूखे रहने को भी आयुर्वेद कि दृष्ठि से देखते हैं
आयुर्वेद कहता है बिना जल के कभी नहीं रहना चाहिए,
अगर आप उपवास करते हो तो आयुर्वेदाचार्य के निर्देशन में करना चाहिए,
जो स्त्री मासिक धर्म, गर्भवती, बच्चा जन्मा हो, खून कि कमी हो, रक्तचाप कि समस्या हो को कभी भूखा नहीं रहना चाहिए आयुर्वेद अनुसार अपना जीवन जीना चाहिए,
वास्तव में आपको अपने पतियों कि आयु बढ़ानी है तो उनसे मीठी वाणी में संवाद कीजिये, उनको समय पर शुद्ध आहार दीजिये, उनके दुर्गुण,दुर्व्यसन को दूर कीजिये,
अब आप समझ गए होंगे कि व्रत का अर्थ है संकल्प लेना
तो संकल्प लीजिये और अपने पतियों को, बेटों को, बेटियों को पाखंड से बचाएंगे और उन्हें सत्य सनातन वैदिक धर्म का ज्ञान ग्रहण करवाओगे, और ये ज्ञान आपको मिलेगा आर्य प्रशिक्षण सत्रों से|
0 Comments
If you have any Misunderstanding Please let me know