*प्रश्न - प्रवृत्ति है किसलिए... इसका उद्देश्य क्या है...??*
*उत्तर - धन-ऐश्वर्य,सुख सम्पदा के लिए ।*
*प्रश्न - सुख का प्रयोजन क्या है..?*
*उत्तर - जीवन को जीने के लिए, जीवन का संचालन है सुख का प्रयोजन ।*
*प्रश्न - जीवन का समूचा संचालन किस उद्देश्य को पूरा करने के लिए है ??*
*उत्तर - यह कैसा विचित्र प्रश्न है...? भला जीवन को जीना भी किसी उद्देश्य के लिए हो सकता है....जीवन है तो जिया ही जायेगा, भला ये भी कोई बात हुई....यदि सभी में उद्देश्य ही ढूँढेंगे तो जीवन के सारे रंग में भंग नहीं हो जाये...?*
*प्रतिप्रश्न - प्रश्न गम्भीर अवश्य है किन्तु ऐसा नहीं कि निरर्थक प्रश्न है और हर क्रिया के पीछे कर्त्ता का उद्देश्य निहित होता है अथवा नहीं...??*
*उत्तर - अवश्य निहित होता है किन्तु.....*
*प्रश्न - तो पुनः शंका क्यों करते हो कि रंग में भंग हो जायेगा ?*
*उत्तर - आपका यह किन्तु ही इस गम्भीर प्रश्न की जिज्ञासा व्यक्त कर रहा है अब सुनिए.....जीवन का समूचा संचालन, यह सारा उपक्रम निवृत्त होने के लिए है....*
*रिक्त होने के लिए है, मुक्त होने के लिए है.... युक्त होना है ही इसलिए ताकि मुक्त हुआ जा सके.....समूची रिक्ति ही मुक्ति है ।*
*"नान्य: पन्था विद्यतेऽयनाय"*
*(कर्माशय से रिहा हुआ जो कैदी बाकमाल मौज में मस्त हो गया )*
*🌼🌻 साधक 🌸🌼*
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