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ब्रह्माण्ड के रक्षक हम है

जीतना आप अपने आपको जानते है उससे कहीं अधिक योग्य है आप में अनन्त ताकत सामर्थ अनन्त योग्यता और अनन्त धैर्य पूर्ण इच्छा शक्ति है आपकी इच्छा शक्ति ही आपकी काबलियत का सच्चा प्रमाण और आपका हौसला उत्साह साहस ही आपके विजय कि पराकाष्ठा के पुरषार्थ कि परम चुनौती का पुरष्कार है| आप में  अलौकिक सुक्ष्म दिव्य और अलौकिक अद्भुत तेज पुन्ज विद्यमान है आप को हमेशा यही सिखाया पढ़ाया और आपके गुरु मित्र परिजन द्वारा बताया जाता है कि आप एक बेवस साधरण से मनुष्य है यद्यपि सत्य इससे बिल्कुल भीन्न है आप में एक अदृश्य आत्मा है जो इस ब्रह्माण्ड से एकाकार हो कर ब्रहमाण्डिय ताकत का अर्जन करने का सामर्थ्य रखती है आपके द्वारा ही इस श्रृष्टि का बनाने वाला स्वयं को प्रस्तुत प्रकट करता है| आप उस श्रष्टा के प्रतिरुप है| आप अपनी तुलना हमेंशा अपनी शरिर से करते है जो नस्वर है यद्यपि आप शरिर नहीं है शरिर से अलग शरिर के स्वामी है| आप प्रकाश कि किरण है जो अन्धकार मय शरिर रुपी प्राकृतिक सम्पदा को अपने तेज से प्रकाशित करते है आप प्रकाशक है, जिस प्रकार सूर्य अपने प्रकाश से सम्पूर्ण जगत के अन्धकार को दुर करता है और इस पृथ्वी जीवन योग्य बनाता है| उसी प्रकार से आप अपनी शरीर रुपी पृथ्वी को अपने आत्मा के प्रकाश से प्रकाशित करके जीवन्त करते है | जिस प्रकार से सुर्य कि किरणे बादलों के छिन्न भिन्न करके उनका सर्वनाश करके अपनी किरणों को पृथ्वी के प्रत्येक प्राणी को जीवन्त करके सभी को सजीव बनाता है ठीक उसी प्रकार से आप अपने अन्दर के आन्तरिक विकार अज्ञान अन्धकार रुपी बादल काम क्रोध लोभ मोह शोक भय को नष्ट करके उनके अस्थान पर ध्यान ज्ञान मोक्ष परम आनन्द उत्साह उमंग साहस हौसला और समझ से कुरुपता को परास्थ करके साहस और धैर्य दृढ़ संकल्प द्वार जीवन में नव जीवन का संचार करते है| आप को सायद यह ज्ञात न हो कि आप इस ब्रह्माण्ड के हिस्से है आप ब्रह्माण्ड से ताकत प्राप्त करते जिसे हम सब प्राणउर्जा कहते है और प्राण का आदान प्रदान करते है आप से यह ब्रह्माण्ड है आप ब्रह्माण्ड के रक्ष्क है| आपका अज्ञान सिर्फ आपका नाश नहीं करता है यद्यपि वह सुक्ष्म रुप से ब्रह्माण्ड को भी क्षती नुकसान पहुचाता है आपको सिर्फ स्वयं को नहीं बचाना है आपकी यह दैविय जीम्मेदारी है कि आप ज्ञान पूर्ण जीवन को जीये और ब्रह्माण्ड का सहयोग करें कि वह अपने पूर्ण जीवन काल को सकुशलता पूर्ण तरिके से पूर्ण करे, ऐसा नहीं करने से ब्रह्माण्ड सिर्फ अपना सर्वनाश नहीं करेगा यद्यपि सम्पूर्ण जीवन का सर्वनाश करदेगा बहुत जल्द जिसकी कल्पना यह मानवता अभी तक नही कर पारही है यह एक सिस्टम है जो प्रत्येक जीवजन्तु प्राणियों के योगदान से चलता है जिस प्रकार एक गलत सरकार अपने कुछ थोड़े से लाभ के लिये सम्पूर्ण देश कि मिट्टि पलिद कर देता जिससे उभरने मे देश को सैकड़ो नहीं हजारों साल लग जाते फिर भी सुधार पुर्णतः सम्भव नहीं होता है| उसी प्रकार से यह सम्पूर्ण मानवता जो ब्रह्माण्ड का गलत दिशा निर्देश करके अपनी चेतना के द्वारा अन्जाने में हमेशा हमेशा के लिये जो अभी चेतन है जड़ बनादेगा, साशे सिर्फ जीव ही नही लेते यह पृथ्वी और सूर्य और सारे ग्रह नक्षत्रों के साथ ब्रह्माण्ड भी सांश लेता है, जिस प्रकार से वायु का परिवर्तन वृक्ष करते है बिशैली गैस कार्बन डाईआक्साईड ले कर बदले में आक्सिजन देते है ठीक इसी प्रकार से हम जीव जिस प्राण उर्जा को ग्रहण करके छोणते है उसे हमारा ब्रह्माण्ड ग्रहण करता है पुर्णतः शुद्ध करके हमे देता है और हमारी अगली पिढ़ी के लिये संचित करके रखता है| और हमारा प्राण मन को संचालित करता है मन यदि हमारे वश में नहीं होगा तो वह प्राण का दुरुपयोग करेगा और प्राण को दुषित करके विकारों से ग्रस्त करेगा तो यह सम्पूर्ण प्राण बिकार ग्रस्त होकर ब्रह्माण्डिय प्राण के स्वरुप को बदल देगा , जिस प्रकार से वायु प्रदुषण, ध्वनी प्रदुषण, जल प्रदुषण हो रहा है जिसको शुद्ध करने में प्रकृती पूर्णतः असफल होरही है उसी प्रकार से प्राण भी अत्यधिक मात्रा में प्रदुषित हो रहा है जीसको शुद्ध करने में ब्रह्माण्ड भी निश्चित रुप से असफल हो रहा है , इसको समय रहते नहीं सुधारा गया तो महा विनाश ही होगा जिसकी कल्पना मानव जाती ने अभी तक नहीं किया है| यह सुधार मनुष्य के चरित्र में सुधार से सम्भव है सत्य के साथ समर्पण ज्ञान पूर्ण जीवन जीने से संभव है| सभी को ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान से पूर्ण रुपेण परिचित होना होगा और सभी को इस त्रैतवाद के सिद्धान्त से परिचित कराना होगा|

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