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सच्ची निष्ठा

 

सच्ची निष्ठा

लगभग सौ वर्ष पहले की बात है । वर्तमान उत्तर प्रदेश में इटावा जिले में ओरैया के तहसीलदार थे लाला जयनारायण । वे अपने वेतन का कुछ भाग गरीबों और पशु- पक्षियों के पालन - पोषण के कार्य में खर्चकिया करते थे। उन्हीं दिनों क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा । तहसीलदार के पास कुछ ग्रामीण पहुँचे। उन्होंने बताया कि गाँव में भूख से अनेक वृद्ध, महिलाएँ और बच्चे मर चुके हैं । यदि ग्रामीणों को भोजन उपलब्ध नहीं कराया गया, तो असंख्य व्यक्ति मर जाएँगे ।

यह सुनकर तहसीलदार साहब ने तहसील के खजांची से कहा, इन्हें पाँच सौ रुपए खजाने से दे दो ।

खजांची ने रुपए दे दिए, लेकिन वह तहसीलदार की दयालुता से चिढ़ गया । उसने तहसीलदार के खिलाफ प्रशासन में शिकायत दर्ज करवा दी । एक दिन लाला जयनारायण सुबह की पूजा के लिए बैठे थे, तभी चपरासी ने आकर कहा कि कलेक्टर साहब अचानक आए हैं और आपको तुरंत बुलवाया है ।

तहसीलदार साहब ने शांति से कहा , उन्हें जाकर कहो कि मैं पूजा - अर्चना के बाद ही आऊँगा । फिर उन्होंने भगवान् से कहा कि मैंने खजाने के एक भी पैसे का दुरुपयोग नहीं किया । लोगों की जान बचाने के लिए ही रुपए दिलवाए हैं । आप मेरी रक्षा करें ।

कलेक्टर ने खजाने का निरीक्षण किया, तो रुपए पूरे निकले । उसके कुछ ही महीने बाद लाला जयनारायण तहसीलदार का पद त्यागकर वृंदावन चले गए ।


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