यक्ष-
युधिष्ठिर संवाद
पांडव अज्ञातवास कर रहे थे। एक दिन वे तालाब से पानी पीने गए । वहाँ उपस्थित
यक्ष ने कहा , मेरे
प्रश्नों का उत्तर देने के बाद ही पानी पी सकते हो । सभी पांडव विफल हो गए । अंत
में युधिष्ठिर यक्ष के पास पहुँचे। यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया, अचानक आए संकट से मनुष्य को कौन बचाता है ?
धर्मराज का उत्तर था, साहस ही कठिन परिस्थितियों में साथ देता है ।
दूसरा प्रश्न किया गया, किस शास्त्र को पढ़कर विद्वान् बना जा सकता है ?
उत्तर मिला, सिर्फ
शास्त्रों का अध्ययन नहीं, विवेकी व्यक्तियों का सत्संग ही विद्वान् बनाने में सक्षम है । अगला प्रश्न
था , वायु से भी तेज गति
किसकी होती है ? युधिष्ठिर
का उत्तर था, मन की ।
अगला प्रश्न था , आग से तेज
क्या है ? उत्तर था, क्रोध अग्नि से अधिक तेजी से जला डालता है ।
यक्ष ने पूछा, सच्चा
ब्राह्मण कौन है ? युधिष्ठिर
ने बताया , अच्छा
चरित्र ही मनुष्य को ब्राह्मण बनाता है । अगला प्रश्न था , काजल से भी काला क्या है ? उत्तर मिला, कलंक। काजल की कालिख को धोया जा सकता है, किंतु चरित्र पर लगा धब्बा धोया नहीं जा सकता
। दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? यक्ष के इस प्रश्न पर धर्मराज ने कहा, प्रतिदिन मृत्यु को देखकर भी मनुष्य जीवित
रहना चाहता है, यही सबसे
बड़ा आश्चर्य है । अंतिम प्रश्न था , मरने के बाद मनुष्य के साथ क्या जाता है? उत्तर था , धर्म । युधिष्ठिर के उत्तर सुनकर यक्ष गद्गद हो उठे और उन्होंने
उन्हें तालाब से पानी पीने की अनुमति दे दी ।
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