श्रमदान का
चमत्कार
मगध राज्य में लगातार कई वर्षों तक वर्षा न होने के कारण अकाल पड़ा । फसलें नष्ट
हो गई । खाद्यान्न के अभाव में असंख्य लोगों को काल का ग्रास बनना पड़ा ।
सम्राट चंद्रगुप्त ने परिषद् की बैठक बुलाई । महामंत्री कौटिल्य ने सुझाव
दिया कि बाहर से खाद्यान्न मँगाकर लोगों के प्राणों की रक्षा की जाए । इसके अलावा
जगह - जगह यज्ञ भी कराए जाएँ । वरुण देव और माँ अन्नपूर्णा को प्रसन्न करके ही इस
भीषण आपदा से छुटकारा पाया जा सकता है । पाटलिपुत्र में विशाल यज्ञ की तैयारी शुरू
की गई । अनेक यज्ञाचार्यों और कर्मकांड में निपुण पंडितों की उपस्थिति में यज्ञ प्रारंभ
हुआ । सम्राट चंद्रगुप्त ने पूर्ण विधि - विधान से प्रमुख यजमान की भूमिका निभाई ।
यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद राजा और रानी ने बंजर धरती पर हल चलाया । लाखों
व्यक्तियों ने देवी - देवताओं का जयघोष कर आसमान गुंजा डाला ।
आचार्य कौटिल्य ने कहा, राजन्, यज्ञ के
माध्यम से हमने भगवान् को संतुष्ट कर लिया है । अब निश्चित रूप से वरुण देव के मेघ
जल बरसाने में सक्षम होंगे, किंतु स्थायी समाधान के लिए हमें नदी से खेतों में पानी पहुँचाने के लिए नहर
का निर्माण करना चाहिए ।
सम्राट ने कुदाल उठाई और नहर खोदने लगे । देखते - ही - देखते कई लोगों ने भी
श्रमदान शुरू कर दिया । कुछ दिनों में नहर का विस्तार होने लगा और खेतों तक पानी
पहुँचने लगा । पूरा राज्य तरह - तरह के खाद्यान्न उत्पन्न होने के कारण खुशहाल हो
गया और अकाल से स्थायी मुक्ति मिल गई ।
0 Comments
If you have any Misunderstanding Please let me know