स्वर्ग की प्राप्ति
एक
बार ईसामसीह के पास एक धनवान व्यक्ति आया । उसने निवेदन किया ,
" प्रभु, मैं आपके बताए रास्ते पर चलता
हूँ । प्रतिदिन प्रार्थना करता हूँ । लोगों की सेवा करता हूँ । मुझे स्वर्ग भेज
दीजिए । " ईसामसीह ने पूछा, " क्या वास्तव में तुम
मेरी शिक्षाओं का पालन करते हो ? क्या मेरे प्रत्येक आदेश को
मानने के लिए तैयार हो ? " धनवान व्यक्ति बोला,
" हाँ प्रभु, मैं आपका हर आदेश मानने को
तैयार हूँ । " ईसामसीह ने कहा, " यदि तुम मेरा हर
आदेश मानने को तैयार हो तो मुझे अपनी तिजोरियों की चाबियाँ सौंप दो । " यह
सुनकर धनवान व्यक्ति हक्का - बक्का रह गया । उसने कहा, “ भला
मैं अपनी तिजोरियों की चाबियाँ कैसे दे सकता हूँ । उन्हीं में तो मेरी सारी जमा -
पूँजी है । उनके बिना तो मैं सेवा के कार्य भी नहीं कर सकता। " यह सुनकर
ईसामसीह बोले , " वत्स , अपने लोभ
को छिपाने के लिए सेवा की आड़ मत लो । सेवाभावना और परोपकार के लिए धन सँजोने की
नहीं , मन सँजोने की जरूरत है । तुम अभी भी लोभ में बँधे हो
। कोई भी व्यक्ति जो काम, क्रोध और मद में जकड़ा है, कभी भी स्वर्ग प्राप्त नहीं कर सकता । स्वर्ग प्राप्ति के लिए इन बंधनों
से मुक्त होना जरूरी है । " यह सुनकर धनवान व्यक्ति लज्जित हो गया ।
0 Comments
If you have any Misunderstanding Please let me know