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दाश्वान की संपत्ति

English version is at the end🙏

दाश्वान की संपत्ति
बाह्य जगत में आदित्य रूप जातवेदा अग्नि प्राकृतिक उषा के अनुपम प्रकाश को प्रदान करता है ।
रात्रि के निवीड़ अंधकार का विवासन करने वाली उषा की ज्योतिर्मयी किरणे हमें नवीन स्फूर्ति और उद्बोधन प्रदान करती है। उषा की वेला हमारे अन्दर पवित्र विचारों को और अनेक दिव्य गुणों को उत्पन्न करती है । 
किन्तु हम जिस उषा के चित्र विचित्र ऐश्वर्य की याचना और आतुरता के साथ प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह इस प्राकृतिक उषा से विलक्षण कोई अन्य ही उषा है। 
वह है दिव्य अध्यात्म प्रकाश की उषा।उस उषा की प्राकृतिक सूर्याग्नि नहीं, किन्तु वह अमर परमात्मग्नि हमारे हृदय अन्तरिक्ष में उदित करती है, जो सर्वव्यापक है सर्वज्ञ है, सर्वप्रकाशक है। अध्यात्म उषा का ऐश्वर्य विवस्वत है, मोहान्धकार को और तम प्रियता को विच्छिन्न करने वाला है। वह चित्र है अद्भुत है अलौकिक है। वह 'राधस' है सिद्धि और सफलता को प्रदान करने वाला है। अग्नि प्रभु उषा की दिव्य ज्योति का धन उसे ही प्रदान करते हैं जो दाश्वान बनाकर उन्हें आत्म समर्पण करता है।  जब तक मनुष्य बाह्य जगत को आत्मसमर्पण किये रहता है तब तक वह बाह्य जगत से मिलने वाले लाभों या लोभाभासों का ही अधिकारी होता है। दिव्य उषा के अंत: प्रकाश का ऐश्वर्य तो आत्मा को प्रभु में लीन करने पर ही मिलता है ।हे जातवेदा परमात्मा आज मैं भी तुम्हें आत्मदान देता हूं। मुझे भी तुम दिव्य उषा का ऐश्वर्य प्रदान करो। 
हे अमर अग्नि देव तुम आज मुझे उद्बुद्ध देवों का भी सानिध्य प्राप्त कराओ। दिव्य उषा के प्रकाश के तम-पुंज के विलीन हो जाने पर समस्त देव 'मैं पहले' 'मैं पहले' की रट लगाते हुए मेरे अंतःकरण में अवतीर्ण हो जाए। वैदिक मित्र देव मैत्री का वरुण देव पाप निवारण का सविता देव शुभ प्रेरणा का पूषा देव पुष्टि का, विष्णु देव व्यापकता एवं उदारता का, इन्द्रदेव वीरता का रूद्र देव रौद्र तरह का सोमदेव सौम्यता एवं पवित्रता का, पर्जन्य देव वर्षा का, बृहस्पति देव ज्ञान का, त्वष्टा  देव कला नैपुण्य का प्रजापति देव प्रजापति का, बृहस्पति देव ज्ञान का, त्वष्टा देव कला नैपुण्य का प्रजापति देव प्रजापतित्व का, वायु देव गतिमयता का, अश्विन देव परोपकार का, संदेश देते हुए हृदय को दिव्य गुणों का धाम बना दे। हे अग्नि प्रभु! तुम मेरे और देवों के बीच में ,दूत' बनो, मेरे अध्यात्म यज्ञ में देवों का आवाहन करो। है उषर्बुध देवो मेरे हृदय में उषा खिल चुकी है अब तुम भी उद्बुद्ध होने में विलम्ब ना करो। 
                          वैदिक मन्त्र
अग्नै विवस्वदुषसश् चित्रं रायो अमर्त्य। 
आ दाशुषे जातवेदो वहा त्वम्, अद्या देवाॅं उषर्बुध:।। 
             ‌‌‌‌            ऋग्वेद• १/४४/१
                     वैदिक भजन ११७५ वां
                        राग मांझ खमाज
               गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर
                          ‌ ताल अध्धा
उषर्बुध तम-हर्ता नेता है 
प्रकाश आध्यात्मिक देता है 
हृदयान्तरिक्ष में ईश है अग्रणी 
उत्सर्गी उषा देता है ।। 
उषर्बुध........ 
 तम- प्रियता है मोह अंधकार 
बन के विवस्वत देता मार 
ऐश्वर्यवान है इन्द्र प्रभु 'राधस' 
सिद्धि- सफलता को करे आगत 
आत्म समर्पित दानी आत्मा को 
दिव्य उषा बल देता है ।।
उषर्बुध...... 
हे अग्नि देव ! दो मार्ग श्रेय
अन्तःकरण में बसे सब देव 
हे परमात्मन् हो 'जातवेदा' 
दैविक उषा के हो नेता 
आत्मदान देता हूं आज 
तू ही तो यज्ञ प्रणेता है ।। 
उषर्बुध..... 
आएं वरुण देव पाप- निवारक 
सात्विक प्रेरणा सविता प्रेरक 
पुष्टि के हैं पूषा देव 
उदारता के हैं विष्णु देव 
वीरता के आओ इन्द्रदेव 
वह सोमदेव तो श्वेता है ।। 
वर्षा देव पर्जन्य के आओ 
देव बृहस्पति ज्ञान के आओ 
त्वष्टा देव कला नैपुण्य के 
प्रजापत्य हे प्रजापति आओ
वायु अश्विनौ  गति-परोपकार के 
दूत बने अध्यात्म-वेत्ता है ।। 
उषर्बुध...... 
                    9.4.2024 
                     ‌2.30 p.m.
उषर्बुध =उषाकाल में उद्बुद्ध होनेवाले(जगानेवाले)
ज्ञान प्राप्त
तम= अन्धकार, अज्ञान
अग्रणी= अग्निस्वरूप, आगे ले जाने वाला
उत्सर्गी= त्याग करने वाला
विवस्वत=सूर्य☀
राधस्= ऐश्वर्य
आगत= उपस्थित
श्रेय= उत्तम, श्रेष्ठ, कल्याणमय
जातवेदा= सर्वव्यापक, सर्वज्ञान से युक्त
प्रणेता= रचयिता, बनाने वाला, 
पूषा= पोषण करने वाला
श्वेता=शुद्ध, साफ, सफेद
पर्जन्य= मेघ, बादल, वारिद
त्वष्टा= विश्वकर्मा
अश्विन= जुड़वां घुड़सवार
नैपुण्य= निपुणता, चतुराई ,दक्षता
वेत्ता= पूर्ण ज्ञाता, सर्वज्ञ

🕉👏द्वितीय श्रृंखला का १६९ वां वैदिक भजन और अब तक का ११७५ वां वैदिक भजन🙏🌹

vaidik bhajan 1175 th
    raag maanjh khamaaj
Singing time second phase of night
         Taal   adhdha

Vedic Mantra👇
Agni vivsvadushasash chitram rayo amarty.
Aa dashushe jaatavedho vaha tvam, adya devaam usharbudh:.
Rigveda• 1/44/1

Vaidik bhajan👇

usharbudh tam-hartaa netaa hai 
prakaash aadhyaatmik detaa hai 
hridayaantariksha mein eesh hai agranee 
utsargee usha detaa hai .. 
usharbudh........ 
 tam- priyataa hai moh- andhakaar 
ban ke vivasvat detaa maar 
aishvaryavaan hai indra prabhu raadhas 
siddhi- saphalataa ko kare aagat 
aatma- samarpit daanee aatmaa ko 
divya usha bal detaa hai ..
usharbudh...... 
he agni dev ! do maarg shreya
antahkaran mein basen sab dev 
he paramaatman ❗ho jaatavedaa 
daivik ushaa ke ho netaa 
aatmadaan detaa hoon aaj 
too hee to yagya pranetaa hai .. 
usharbudh..... 
aayen varun dev paap- nivaarak 
saatvik prerana savita prerak 
pushti ke hain pooshaa dev 
udaarataa ke hain vishnu dev 
veerata ke aao indradev 
vah somadev to shveta hai .. 
varshaa dev parjanya ke aao 
dev brhaspati gyaan ke aao 
tvashtaa dev kalaa naipunya ke 
prajaapatya he prajaapati aao
vaayu ashvinau  gati-paropakaar ke 
doot bane adhyaatm-vettaa hai .. 
usharbudh...... 
                    9.4.2024 
                     ‌2.30 p.m.

Usharbudh = One who awakens in the morning
Knowledge gained
Tama = Darkness, ignorance
Agrani = Fire, one who takes forward
Utsargi = One who renounces
Vivasvat = Sun☀
Radhas = Wealth
Aagata = Present
Shreya = Excellent, best, auspicious
Jaatveda = Omnipresent, endowed with all knowledge
Praneta = Creator, Maker,
Pusha = Nourisher
Shweta = Pure, clean, white
Parjanya = Cloud, rain
Tvashta = Vishwakarma
Ashvin = Twin horse riders
Naipunya = Skill, cleverness, skill
Vetta =  The All-Knowing, Omniscient

The property of Dashwan

 And I am the one who is the saviour, and I am the one who is the saviour.  
Usharbudh is the leader who removes darkness
Gives spiritual light
God is the leader in the heart
Gives the rising dawn.
 Usharbudh........

Darkness- love is darkness

Becoming the Vivasvat, it kills

Lord Indra 'Radhas' is wealthy

Brings success- success to the self-surrendering soul

Divine dawn gives strength.

 Usharbudh.... 
Oh fire god!  Two paths to merit

All the gods reside in the heart

Oh God, you are 'Jaatveda'

You are the leader of the divine dawn

Today I sacrifice myself

You are the one who initiates the yagya.  Usharbudh.....

Come Varun Dev, the remover of sins

Satvik inspiration, Savita the motivator

Pusha Dev is for strength

Vishnu Dev is for generosity

Indradev come for bravery

That Somdev is white.

 Come the rain god Parjanya

Come the god Brihaspati of knowledge

Come the god Tvashta of art and skill

Come O Prajapati of Prajapatya

The wind Ashwinau is the messenger of movement and benevolence

He is the spiritual scholar.  Ushar Budh......

9.4.2024
2.30 p.m.

Swaadyaay(self study) 👇
The wealth of Dashwan

In the external world, the Aditya form of Jatveda Agni provides the unique light of the natural dawn.

The luminous rays of the dawn that dispel the deep darkness of the night provide us with new energy and inspiration. The time of dawn generates pure thoughts and many divine qualities in us.

But the dawn whose unique splendor we are eagerly waiting for is a different dawn from this natural dawn.

That is the dawn of divine spiritual light. That dawn is not the natural sun fire, but that immortal divine fire rises in the space of our heart, which is omnipresent, omniscient, all-enlightening. The splendor of the spiritual dawn is vast, it dispels the darkness of delusion and the love of darkness. That picture is amazing, supernatural. That is 'Radhas', the one who bestows success and success.  Agni Prabhu gives the wealth of the divine light of dawn to only those who surrender themselves to him by making him their devotee. Till the time a man keeps surrendering himself to the external world, he is entitled to the benefits or temptations received from the external world. The opulence of the inner light of the divine dawn is attained only when the soul is immersed in the Lord. Oh Jaatveda Parmatma, today I too surrender myself to you. Also grant me the opulence of the divine dawn. Oh immortal Agni Dev, today you also make me get the company of the enlightened gods. When the darkness of the light of the divine dawn vanishes, all the gods should incarnate in my heart chanting 'I first' 'I first'.  Vedic Mitra god of friendship, Varuna god of sin removal, Savita god of good inspiration, Pusha god of nourishment, Vishnu god of vastness and generosity, Indra god of valor, Rudra god of fierce kind, Somdev of gentleness and purity, Parjanya god of rain, Brihaspati god of knowledge, Tvashta god of art skill, Prajapati god of Prajapatihood, Jupiter god of knowledge, Tvashta god of art skill, Prajapati god of Prajapatihood, Vayu god of mobility, Ashwin god of charity, while giving the message make the heart an abode of divine qualities.
O Agni Prabhu! Become a messenger between me and the gods, invoke the gods in my spiritual sacrifice. O Usharbudh gods, the dawn has already blossomed in my heart, now do not delay in becoming enlightened.

🕉👏169th Vedic hymn of the second series and 1175th Vedic hymn till date🙏🌹

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