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आज संक्षेप में रेलवे का इतिहास जानते हैं

चलिए आज संक्षेप में रेलवे का इतिहास जानते हैं। रेलवे परिवहन का एक बेहद अहम साधन है। कम समय में अधिक से अधिक दूरी तय करने के लिए रेलवे से बेहतर विकल्प एक आम इंसान के लिए कुछ हो ही नहीं सकता है। साथियों भारतीय रेल के बारे में आपने बहुत कुछ पढ़ा सुना होगा। लेकिन आज हम आपको रेलवे से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी देंगे जो दुनिया से जुड़ी हैं और बेहद रोचक भी हैं। 

कैसे आई रेलवे की परिकल्पना? 

हम सभी इस बात को जानते हैं कि जेम्स वॉट नाम के एक अंग्रेज ने भाप का इंजन बनाया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो इंसान कौन था जिसने भाप के इंजन से पहली दफा रेल चलाई थी? हम आपको ये भी बताएंगे। लेकिन उससे पहले आप जानिए कि आखिर रेलवे की परिकल्पना आई कैसे। सन 1604 में इंग्लैंड के वोलाटॉन में पहली दफा लकड़ी की पटरियों पर घोड़ों ने काठ के 8 डिब्बों को खींचा था। 

उस समय पहली दफा वैज्ञानिकों के दिमाग में रेलवे का विचार आया था। लेकिन वोलाटॉन की इस घटना के लगभग 200 साल बाद यानि सन 1824 में रिचर्ड ट्रवेथिक नाम के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने पहली दफा भाप के इंजन को लोहे की पटरियों पर चलाया था। यानि रिचर्ड ट्रवेथिक ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने भाप के इंजन से पहली बार रेल चलाई। ये पेशे से इंजीनियर थे।

क्या रिचर्ड ट्रवेथिक ने बनाया था भाप का इंजन? 

नहीं। रिचर्ड ट्रवेथिक वो पहले इंसान नहीं थे जिन्होंने भाप का इंजन बनाया था। भाप का इंजन बनाने वाले शख्स थे जॉर्ज स्टीफेंस। इनका नाम आपने ज़रूर सुना होगा। सबसे पहले इन्होंने ही सन 1814 में भाप का इंजन बनाया था। ये इंजन यूं तो काफी ताकतवर था और कई भारी सामानों को खींचने में सक्षम था। लेकिन इस इंजन में इतनी क्षमता नहीं थी कि ये रेल को खींच सके। रेल को खींचने वाला इंजन तो रिचर्ज ट्रवेथिक ने ही बनाया था।

कब और कहां से कहां तक चली थी पहली रेलगाड़ी?

दुनिया की पहली रेलगाड़ी चली थी लंदन के डार्लिंगटन से स्टॉकटोन के बीच। ये दूरी 37 मील की थी और दुनिया की पहली रेलगाड़ी ने इस दूरी को 14 मील प्रति घंटे की गति से तय किया था। तारीख थी 27 सितंबर सन 1825. दुनिया की पहली रेलगाड़ी में 38 डिब्बे थे और इसमें कुल 600 मुसाफिर भी सवार थे। इस घटना की खबर जैसे ही दुनिया के बाकि देशों को लगी, वो भी अपने यहां रेलवे को स्थापित करने में जुट गए।

भारत कैसे पहुंची रेलगाड़ी?

बहुत कम ही लोग ये बात जानते हैं लेकिन भारत तक रेलगाड़ी पहुंचाने का श्रेय अमेरिका को जाता है। जी हां, अमेरिका को। ये बात अलग है कि अमेरिका ने मर्जी से भारत में रेलगाड़ी की शुरूआत नहीं कराई थी। दरअसल, उस दौर में अमेरिका पर भी ब्रिटिश हुकूमत ही शासन करती थी। लेकिन 1840 के दौर में अमेरिका में कपास की फसल पैदा करने वाले किसानों को बहुत नुकसान हुआ था। इस नुकसान का असर ब्रिटिश कपड़ा व्यापारियों पर भी पड़ा। 

ब्रिटिश सरकार को मालूम था कि कपास भारत में भी पैदा होता है। लेकिन उसे इंग्लैंड तक आयात करना आसान काम नहीं था। तब उस समय के भारत के वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने सन 1843 में भारत में रेल चलाने की संभावनाओं पर काम करना शुरू किया। और फिर सन 1845 में इन्होंने कलकत्ता में एक कंपनी की स्थापना की जिसका नाम था ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेल कंपनी।

कब चली भारत में पहली रेलगाड़ी?

उस ज़माने में चेन्नई का नाम मद्रास हुआ करता था। यहां पर एक सिविल इंजीनियर थे। उनका नाम था एपी कॉटन। इन्होंने ही ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेल कंपनी के अंडर में रहकर मुंबई से ठाणे के बीच रेलवे लाइन बिछाने का काम शुरू किया। ये सन 1850 की बात है। और फिर 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार 16 अप्रैल 1853 को भारत की पहली रेलगाड़ी चली। समय था दोपहर के 3:30 बजे। स्टेशन था बोरीबंदर जिसे आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के नाम से जाना जाता है। इस तरह ये भारत सहित एशिया में चलने वाली पहली रेलगाड़ी बन गई।

कैसा रहा भारत की पहली रेलगाड़ी का सफर?

भारतीय रेल के दस्तावेजों में भारत की पहली रेलगाड़ी की यात्रा जो वर्णन मिलता है उसके मुताबिक जिस दिन भारत में पहली रेलगाड़ी का संचालन होना था उस दिन छुट्टी घोषित की गई थी। रेलवे की उत्सुकता इतनी ज़्यादा थी कि बड़ी तादाद में लोग बोरीबंदर की तरफ आ रहे थे। लॉर्ड डलहौजी का निजी बैंड संगीत बजा रहा था। 

वो 14 डिब्बों वाली रेलगाड़ी थी। 400 खास लोगों को भारत की पहली रेलगाड़ी में सवार होने का मौका मिला। इस रेलगाड़ी को खींचने के लिए ब्रिटेन से तीन भाप के इंजन मंगवाए गए थे। इनके नाम थे सुल्तान, साहिब और सिंधु। मुंबई से ठाणे के बीच की 34 किलोमीटर की दूरी को इस रेलवे ने सवा घंटे में पूरा किया। ठीक 4:45 पर ये रेलगाड़ी ठाणे पहुंच गई।

कौन सी थी भारत की पहली सुपरफास्ट रेलगाड़ी?

सन 1865 में भारत में भी भाप के इंजन बनने शुरू हो गए। ब्रिटिश सरकार ने भारत में रेल की पटरियां बिछाना भी शुरू कर दिया। पहले नैरोगेज लाइन पर रेल चलाई गई। फिर मीटर गेज और उसके बाद ब्रॉडगेज पर लाइन ब्रिटिश सरकार ने भारत में बिछाना शुरू की। और फिर आखिरकार 1 मार्च सन 1969 को शुरू हुई भारत की पहली सुपरफास्ट ट्रेन। इसका नाम रखा गया राजधानी एक्सप्रेस और ये दिल्ली से हावड़ा के बीच चली थी। ये रेलगाड़ी ब्रॉडगेज लाइन पर चली थी। 15 नवंबर सन 1985 भारत का पहला कंप्यूटराइज्ड रिजर्वेशन सेंटर भारत में दिल्ली में शुरु हुआ था।

आज का भारतीय रेलवे

अंग्रेजों ने तो भारत में अपने फायदे के लिए रेलवे लाइन शुरू की थी। लेकिन आज भारतीय रेल दुनिया के विशालतम रेलवे नेटवर्क्स में शुमार होती है। आज रेलवे 16 लाख कर्मचारियों की मदद से हर दिन 11 हज़ार रेलगाड़ियों का संचालन करता है। आज भारत में 7 हज़ार से भी ज़्यााद रेलवे स्टेशन्स हैं और अब हर तरह के रेलवे इंजनों का निर्माण भारत में ही होता है। लाखों मुसाफिर हर दिन भारतीय रेल से अपनी मंज़िल तक पहुंचते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि अंग्रेजों ने भारत को रेलवे के रूप में एक अच्छा तोहफा दिया था। #railway #railwayhistory #indianrailways

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