शरीर कहती है, अब बस भी करो
मै कहता हूं, थोडा और चलो,
शरीर कहती है, तू सत्य देखता है
मै कहता हू देख रहा हू वह कहती है,
क्या देख रहे हो, मै कहता तुम्हारी पिड़ा
वह कहती पागल है, यह तेरी मृत्यु है।
मैं कहता मैं जानता हूं, वह कहती भय में है
मैं कहता यही सत्य है, मैने तेरे अंत को देख लिया,
वह कहती मेरी अब जरूरत नहीं है।
मैं कहता जरूरत तो बहुत है,
यद्यपि सत्य यही सत्य है।
वह कहती इस सत्य को किसने पैदा किया
मैंने कहा मैने ही वह कहती इतना दर्दनाक है
मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैंने
अति कर दी तुम्हारे दायरे को पार कर लिया
वह कहती खुश तो होना तुम मेरे साथ रहकर
मैं कहता बहुत अधिक यद्यपि अंयाय किया
न्याय की बात तू क्यो करता है।" महाअंयाई
क्या तू जानता है, तू कितना मुरख है’
मै कहता मुझे ज्ञात है, मैं अज्ञानी हूं
वह कहती तेरा ज्ञान ही तेरा शत्रु बन गया
मैं ने कहा यह सब मैंने तेरे लिए किया
वह कहती जो भी तुमने किया है वह सब
तुझको व्याज समेत तुझको वापस कर दिया
मैं ने कहा मैं ने यही सब दर्द और पिड़ा के
लिफाफे में मृत्यु का सामान खरीदा है’
कुछ भी कर ले तू नादान प्राणी तेरी हार तेरे गले में
मुझे यह अब पक्का और मजबूत प्रमाण दिया
अभी तो लड़ाई के मैदान मे उपस्थित ही हुआ है
मैदान में संग्राम के तुने मुझे धोखा दिया
वह कहती रोज तू मेरे साथ लड़ता है,
मेरा उपयोग करना तुझे नही आया मै कवच थी
तुने मुझे हथियार की तरह नहीं यद्यपि तू मेरा
हत्यारा बन गया, स्वयं को बचाने के चक्कर में
मै नहीं तो तू भी नहीं होगा, इस संसार में
मैने कहा मै और तू यह कभी एक थे अब दो हो गये
उसने कहा यह सत्य तूने अब जान लिया
कार्य तेरा मेरा साथ यही तक का था अब तू मूक्त है
संसार का बहुत सुख मेरे साथ रह कर भोग लिया
संसार के त्याग की पिड़ा को भी खुशी खुशी सह ले
मै शरीर के पिजड़े में बैठा पिजड़े की नीव खोदता रहा
समय से पहले ही मैंने अंधेरी घाटियो में रहकर
इसकी जड़ों को उखाड़ता रहा, शरीर ने अपना
शर्वनास बड़े सम्मान के साथ मेरे हाथो करालिय
यह मेरी मित्रता मे अपना सब कुछ मुझ-पर न्योछावर
करके भी मेरी अंतिम सांस तक मेरे साथ अभी भी है।
मै अपनी शरीर को अपने सामने मृत्यु की अंधेरी घाटियो में डुबते हुए देख रहा हू, क्योकि मैं जनता हू इसको सुलझाते-सुलझाते मैं स्वयं इसी मेे कैदि बन कर रह गया हू, यह इसका अंत नहीं मेरी स्वतंत्रता का साधन है’
मुझे अब इसका अब और मोह नही रहा वह अपने गंतव्य के लिए तैयरी कर रही है, मैं अपने गंतव्य की तैयारी कर रहा हूं, संसार के लिए कुछ करने का मौका नहीं मिला कोई बात नहीं संसार का कार्य करने लोगों से यह पृथ्वी भरी पड़ी है।
हमने अपना कार्य कर लिया कुछ लोगो को संसार में फंसा दिया और कुछ लोगो कौ संसार से मुक्त कर दिया, यहाँ संसार मे हमेशा कौन रहता है।
कुछ भी हो यह तो निश्चित है कि अब आगे आने वाला समय जिवन का काफी अधिक नये अनुभव देगा जो अभी तक नहीं जाना है समझा है क्योकि पहले जो भी हुआ है अब वह नही होग क्योंकि पहले में और मेरी शरीर एक थे दोनो ने मिल कर संसार के संग्राम बहुत सारी छोटी बड़ी लड़ाईयां लड़ी है कुछ हारी है कुछ जीती है, अब युद्ध का प्रारूप बदल गया है, शरीर कहती मृत्यु निकट आगयी है अब तुम्हारा अंत बहुत करीब है, क्योंकि तुम्हारा साधन मैं अब ज्यादा तुम्हारा साथ नहीं दे पायेगे, तुमने स्वयं देख लिया मैने खतरे का सिंगनल भेज दिया है। मैंने कहा की जो भी हो जितने दिन का समय है मै तुम्हारी रक्षा करूंगा वह कहती है तू झूठा है और पागल है, जो भी है मै ही हूँ, मैं देख रहा हूं मेरे घर में मेरे शत्रुओं ने अपना डेरा मजबुती से जमा लिया है, इनको यहा से भगाना होगा।
0 Comments
If you have any Misunderstanding Please let me know