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सुनो नहीं , अमल करो

 

सुनो नहीं , अमल करो

एक व्यक्ति भगवान् बुद्ध के सत्संग के लिए अकसर आया करता था । वह बहुत उत्सुकता से उनके उपदेश सुना करता । बुद्ध उपदेश में प्रायः कहते, लोभ, दोष और मोह पाप के मूल हैं । हिंसा करना और असत्य बोलना घोर अधर्म है । यदि सच्ची शांति चाहते हो , तो इन दुर्गुणों को त्याग दो । क्रोध करनेवाला कभी शांति नहीं पा सकता ।

वह व्यक्ति भगवान् बुद्ध के उपदेश तो सुनता, लेकिन दुर्गुणों को त्याग नहीं पा रहा था । हर क्षण उसका मन अशांत रहता था । एक दिन वह भगवान् बुद्ध के पास पहुँचा और कहा, भगवन् , मैं काफी दिनों से आपका उपदेश सुनता आ रहा हूँ, लेकिन उनका प्रभाव नहीं पड़ा । मन बड़ा अशांत रहता है ।

बुद्ध ने मुसकराकर पूछा, तुम कहाँ केरहने वाले हो ? उसने कहा , श्रावस्ती का ।

यहाँ से श्रावस्ती कितनी दूर है ? बुद्ध ने अगला सवाल किया ।

व्यक्ति ने दूरी बता दी तो बुद्ध ने उससे फिर पूछा, तुम अपना रास्ता जानतेहो?

उसने कहा, खूब अच्छी तरह ।

तब भगवान् बुद्ध ने पूछा, रास्ता जानने के बाद उस पर चले बिना क्या तुम श्रावस्ती पहुँच सकते हो ?

उसने उत्तर दिया, वहाँ पहुँचने के लिए चलना तो पड़ेगा ।

बुद्ध ने कहा, वत्स, सिर्फ प्रवचन सुनने या कल्याण का मार्ग जानने से कुछ नहीं होता, तुम्हें उस पर चलना पड़ेगा । उन्हें अपने आचरण में ढालो, फिर देखना कि किस तरह तुम्हारा मन शांति का अनुभव करता है । उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और उसका कल्याण हो गया ।


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