🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷
दिनांक - -२३ अक्तूबर २०२४ ईस्वी
दिन - - बुधवार
🌗 तिथि -- सप्तमी ( २५:१८ तक तत्पश्चात अष्टमी)
🪐 नक्षत्र - - पुनर्वसु ( ३०:१५ तक तत्पश्चात पुष्य )
पक्ष - - कृष्ण
मास - - कार्तिक
ऋतु - - शरद
सूर्य - - दक्षिणायन
🌞 सूर्योदय - - प्रातः ६:२७ पर दिल्ली में
🌞 सूर्यास्त - - सायं १७:४३ पर
🌗चन्द्रोदय -- २२:५४ पर
🌗 चन्द्रास्त - - २२:३९ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२५
कलयुगाब्द - - ५१२५
विक्रम संवत् - -२०८१
शक संवत् - - १९४६
दयानंदाब्द - - २००
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🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🔥वेद - वेदांग - वैदिक धर्म ग्रन्थ
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४३२ करोड़ वर्षो के लिए परम पिता परमेश्वर ने इस सृष्टि का निर्माण किया है।इतने ही वर्षो का प्रलय होता है।सृष्टि को बने हुए १,९६,०८,५३,१२५ वर्ष हो गए है ।इतना ही समय वेदों के अवतरण को हुआ है।संसार के सभी धार्मिक ग्रंथ ५००० वर्षों के अंदर ही हैं पर वेद सबसे प्राचीन हैं।यह बात अन्य मत वाले भी मानते है।
शास्त्रों को दो भागों में बांटा गया
है:- श्रुति और स्मृति। श्रुति के अंतर्गत धर्मग्रंथ वेद आते हैं और स्मृति के अंतर्गत इतिहास और वेदों की व्याख्या की पुस्तकें मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति आदि आते हैं। हिन्दुओं (आर्यो)के धर्मग्रंथ तो वेद ही है। वेदों के ६ अङ्ग व ६ उपाङ्ग होते हैं। जिनसे वेदों को जानने में सहायता मिलती है।६ अङ्ग-
वर्णोच्चारण शिक्षा,पाणिनि कृत व्याकरण (अष्टाध्यायी), कल्प, महर्षि यास्क कृत निरुक्त,महर्षि पिंगल कृत छंद, ज्योतिष।
६ उपाङ्ग( दर्शन शास्त्र)-
( १ ) योगदर्शन(महर्षि पतंजलि)
( २ ) सांख्य दर्शन (महर्षि कपिल)
( ३ ) न्याय दर्शन(महर्षि गौतम)
( ४ ) वैशेषिकदर्शन(महर्षि कणाद)
( ५) मीमांसा दर्शन(महर्षि जैमिनि )
( ६ ) वेदान्त दर्शन(महर्षि व्यास)।
वैसे तो १०० से ज्यादा उपनिषद मिलती हैं पर आर्ष
११ उपनिषदों को वेदान्त दर्शन के अध्ययन के पूर्व पढ़ना आवश्यक होता है। वे उपनिषद निम्न हैं -
ईशोपनिषद, केनोपनिषद, कठोपनिषद, प्रश्नोपनिषद, माण्डूक्योपनिषद, मुण्डकोपनिषद, ऐतरेयोपनिषद,
तैत्तिरीयोपनिषद, बृहदारण्यकोपनिषद, छांदोग्योपनिषद, श्वेताश्वतरोपनिषद।
वेदों के ४ ही व्याख्या ग्रन्थ है - ( ब्राह्मण ग्रंथ)
( १)ऐतरेय ब्राह्मण (२ ) शतपथ ब्राह्मण (३ ) ताण्ड्य ब्राह्मण (४ ) गोपथ ब्राह्मण।
आओ जानते हैं कि वेदों में क्या है.....?
वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, संस्कार, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। वेद चार है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। इनके ४ ही उपवेद हैं।ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गांधर्ववेद और अथर्ववेद का अर्थवेद ।
ऋग्वेद :ऋक अर्थात् स्थिति और ज्ञान। इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन के मंत्रों के साथ बहुत कुछ है। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है।प्रकृति के सबसे छोटे परमाणु से लेकर ईश्वर तक के पदार्थो का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है।इसमे १०५२२ मन्त्र है। महर्षि अग्नि की आत्मा में ऋग्वेद के ज्ञान प्राप्त हुआ था ।
यजुर्वेद - यजु: अर्थात गतिशील आकाश एवं कर्म। यजुर्वेद में यज्ञ की विधियां और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं।१६ संस्कारो को हम यजुर्वेद से ठीक प्रकार जान समझ सकते हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। तत्व ज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान। ब्रह्मांड , आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। इस वेद की दो शाखाएं हैं शुक्ल और कृष्ण।यजुर्वेद में १०७५ मन्त्र है।
महर्षि वायु की आत्मा में यजुर्वेद का ज्ञान प्राप्त हुआ था।
सामवेद : साम का अर्थ रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की अनेक ऋचाओं का संगीतमय रूप है। इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओं के बारे में उल्लेख मिलता है। इसी में शास्त्रीय संगीत और नृत्य का सन्दर्भ भी मिलता है। इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है।इसमें १८७५ मंत्र हैं।महर्षि आदित्य की आत्मा में सामवेद का ज्ञान प्राप्त हुआ था।
अथर्ववेद : अथर्व का अर्थ है कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन। इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद की औषधि आदि का जिक्र है। इसमें भारतीय परंपरा और ज्योतिष का ज्ञान भी मिलता है।इसके अध्ययन से समस्त शंकाओं का समाधान हो मन का कम्पन समाप्त होता है।इसमे ५९७७ मंत्र है। महर्षि अङ्गिरा की आत्मा में अथर्व वेद का ज्ञान प्राप्त हुआ था।
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🚩‼️आज का वेद मंत्र ‼️🚩
🌷ओ३म् शं न: सोमो भवतु ब्रह्म शं न: शं नो ग्रावाण: शमु सन्तु यज्ञा:।शं न: स्वरूणां मितयो भवन्तु शं न: प्रस्व शम्वस्तु वेदि:( ऋग्वेद ७|३५|७)
💐अर्थ :- परमेश्वर्यवान् ईश्वर हमें सुखदायक हो, वेद- ज्ञान हमें सुखकारी हो, यज्ञकुण्ड तथा भवनादि हमें सुखदायी हों, यज्ञ - स्तम्भ परिमाण हमारे लिए सुख देने वाले हो, औषधियां हमें कल्याण देने वाली हो तथा यज्ञ व यज्ञ -वेदी हमें शान्तिदायक हो।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्रहरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 द्विशतीतमे ( २००) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे, रवि- दक्षिणायने , शरद -ऋतौ, कार्तिक - मासे, कृष्ण पक्षे , सप्तम्यां
तिथौ, पुनर्वसु
नक्षत्रे, बुधवासरे,
, शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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