The spoken word does not come back
A
farmer once told his neighbour cursed, later on when he realized his mistake! I
was a saint to saint asked his word to withdraw the measure.
The holy man said to
the farmer, "You get lots of feathers collected, and put them by the
middle of the city." The farmer did, and then went to the saint.
The saint said, "Now go and bring them
back to collect feathers"
Farmer was back on the air until all the
feathers were flying around. And the farmer came to the saint empty handed. The
saint told him the exact same thing happens with the words you've said, you can
easily have them removed from your mouth can not take back the wishing.
One young boy asked Socrates What is the
secret of success?
Socrates said to the boy that you meet me
yesterday riverside. She said. Then Socrates said it.And when the young man on
the move with the river water grew and reached the throat, Socrates suddenly
sank into the water holding the boy's head.
The boy began to
struggle to get out but Socrates was strong and kept him until then dipping,
until they saw the blue. Socrates put his head out of the water and then get
out of the first thing that the boy was her rapid breathing Haanfte-Haanfte.
Socrates asked,
"What is the most you wanted when you were there?"
The boy answered,
"breathing"
Socrates said, "That is the secret of
success. When you want success as badly as you wanted to breathe, then you will
get it, "and furthermore is no secret.
Friends, and the only
thing you just want to get you more often than not ... that thing is. just looking
at the same thing to get to full power and as a result they are able to take
that thing.
FOCUS It is important
therefore to succeed, who wants to achieve success in it offend you that focus
and intensity to be very important if they attain success intensity is bound to
get you.
Life stones, pebbles
and sand
A professor of Philosophy entered the
class with a few things. When the class began, he took a large empty glass jar
and began to fill it, Large pieces of stone. He then asked the students if the
jar was full? And all said "yes".
The professor then took a box filled with
small pebbled and began to fill them into the jar. Pebble stones settle between
these jars were moving slightly. Once again, he asked the students if the jar
was full? And all answered yes.
The professor then pulled a sand box, and
he began putting in a jar filled with sand. The sand filled the space salvage.
And once the jar is full, he asked? And all together, answered, "Yes"
Then the professor began to explain,
"I want you to understand that this jar represent your life does. The
important things are the big stones in your life, your family, your partner,
your health, your children - things that if you lose everything else go and
just go, so too will your life complete.
The pebbles are the
other things that matter like your job, your home, and more.
And all the other
small things, reflecting the sand.
If you fill the jar with a pebbled sand
and stones for the first will have no place. The same happens with your life.
If you will put all your time and energy in the little things, you do not ever
have time for those things that are important to you. Please focus on things
that are important to your happiness with the children, play with your partner
dance it. To go to work, to clean the house, party, to be always time. Notice
the first stone - the things that really matter. Enter your priorities set.
Other things are just sand. "
1 Comments
ज्ञान विज्ञान ब्रहमज्ञान वैदिक विस्वविद्यालय
ReplyDeleteमिटने के लिए तैयार रहें हर पल मैं ने जीवन में जाना कि फूलो में काटे बहुत होते हैं हम तो फूलो को चुन रहे थे सुन्दर और कीमती गहरे खुशबु दार जो फूल अतुलनीय थे उनको ही हम पसंद करते थे हमेशा से उनके साथ अनजाने में जो काँटों फूलो कि रक्षा कर रहे थे वह भी मुप्त में हमे मिल गये जैसे अतुलनीय फूल थे कांटे तो उनसे भी अतुलनीय हैं हम काँटों कि बात नहीं परमानंद बाते करेगे क्योकि यह काटे मुझे मुक्ति का मार्ग बताते हैं यह हमे इस असार दुनिया से मुक्ति के लिए परममाध्यम बन चुके हैं |
विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि जिंदगी एक रंगमंच है और हम लोग इस रंगमंच के कलाकार | सभी लोग जीवन (Life) को अपने- अपने नजरिये से देखते है| कोई कहता है जीवन एक खेल है (Life is a game), कोई कहता है जीवन ईश्वर का दिया हुआ उपहार है (Life is a gift gives by almighty ), कोई कहता है जीवन एक यात्रा है (Life is a journey), कोई कहता है जीवन एक दौड़ है (Life is a race) और बहुत कुछ| कोई कहता जीवन एक भांकर दुःख हिं|
मैं आज यहाँ पर “जीवन” के बारें में अपने विचार share कर रहा हूँ और बताने की कोशिश करूंगा की जीवन क्या है? (What is Life)|
मनुष्य का जीवन एक प्रकार का खेल है – Life is a Game और मनुष्य इस खेल का मुख्य खिलाडी|
यह खेल मनुष्य को हर पल खेलना पड़ता है|
इस खेल का नाम है “Game of Thoughts (विचारों का खेल)”|
इस खेल में मनुष्य को दुश्मनों से बचकर रहना पड़ता है|
मनुष्य अपने दुश्मनों से तब तक नहीं बच सकता जब तक मनुष्य के मित्र उसके साथ नहीं है|
मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र “विचार (thoughts)” है, और उसका सबसे बड़ा दुश्मन भी विचार (Thoughts) ही है|
मनुष्य के मित्रों को सकारात्मक विचार (Positive Thoughts) कहते है और मनुष्य के दुश्मनों को नकारात्मक विचार (Negative Thoughts) कहा जाता है|
मनुष्य दिन में 60, 000 से 90, 000 विचारों (Thoughts) के साथ रहता है|
यानि हर पल मनुष्य एक नए दोस्त (Positive Thought) या दुश्मन (Negative Thought) का सामना करता है|
मनुष्य का जीवन विचारों के चयन (Selection of Thoughts) का एक खेल है|
इस खेल में मनुष्य को यह पहचानना होता है कि कौनसा विचार उसका दुश्मन है और कौनसा उसका दोस्त, और फिर मनुष्य को अपने दोस्त को चुनना होता है|
हर एक दोस्त (One Positive Thought) अपने साथ कई अन्य दोस्तों (Positive Thoughts) को लाता है और हर एक दुश्मन (One Negative Thought) अपने साथ अनेक दुश्मनों (Negative Thoughts) को लाता है|
इस खेल का मूल मंत्र यही है कि मनुष्य जब निरंतर दुश्मनों (Negative Thoughts) को चुनता है तो उसे इसकी आदत पड़ जाती है और अगर वह निरंतर दोस्तों (Positive Thoughts) को चुनता है, तो उसे इसकी आदत पड़ जाती है|
जब भी मनुष्य कोई गलती करता है और कुछ दुश्मनों को चुन लेता है तो वह दुश्मन, मनुष्य को भ्रमित कर देते है और फिर मनुष्य का स्वंय पर काबू नहीं रहता और फिर मनुष्य निरंतर अपने दुश्मनों को चुनता रहता है|
मनुष्य के पास जब ज्यादा मित्र रहते है और उसके दुश्मनों की संख्या कम रहती है तो मनुष्य निरंतर, इस खेल को जीतता जाता है| मनुष्य जब जीतता है तो वह अच्छे कार्य करने लगता है और सफलता उसके कदम चूमती है, सभी उसकी तारीफ करते है और वह खुश रहता है|
लेकिन जब मनुष्य के दुश्मन, मनुष्य के मित्रो से मजबूत हो जाते है, तो मनुष्य हर पल इस खेल को हारता जाता है और निराश एंव क्रोधित रहने लगता है|
मनुष्य को विचारों के चयन में बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि मनुष्य के दुश्मन, मनुष्य को ललचाते है और मनुष्य को लगता है कि वही उसके दोस्त है|
जो लोग इस खेल को खेलना सीख जाते है वे सफल हो जाते है और जो लोग इस खेल को समझ नहीं पाते वे बर्बाद हो जाते है|
इस खेल में ज्यादातर लोगों कि समस्या यह नहीं है कि वे अपने दोंस्तों और दुश्मनों को पहचानते नहीं बल्कि समस्या यह है कि वे दुश्मनों को पहचानते हुए भी उन्हें चुन लेते है|
ईश्वर (या सकारात्मक शक्तियाँ), मनुष्य को समय-समय पर कई तरीकों से यह समझाते रहते है कि इस खेल को कैसे खेलना है लेकिन यह खेल मनुष्य को ही खेलना पड़ता है| जब मनुष्य इसमें हारता रहता है और यह भूल जाता है कि इस खेल को कैसे खेलना है तो ईश्वर फिर उसे बताते है कि इस खेल को कैसे खेलना है | यही है जीवन
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