👉 स्वार्थ-त्याग द्वारा सुधार
🔷 काकेशश के प्रान्त में दो भाई रहते थे।
बड़ा भाई ईश्वर भक्त और शुद्ध आचरण था। उसने अपना कर्तव्य जान कर यह निश्चय किया
कि शिक्षा द्वारा छोटे भाई का जीवन एक आदर्श जीवन बनाये, परन्तु
छोटा भाई उसके विचारों से बिलकुल ही विपरीत था। स्कूल से कह भाग आता था और पतंग,
जुआ वालों की टोली में अपना समय गंवाता था।
🔶 बड़े भाई ने उसको अन्य और कई कामों में लगाया, पर
स्वयं व्यर्थ गया। धीरे-धीरे वह शराबी, जुआरी और चोर बन गया
और आधी-2 रात शराब के नशे में चूर वह घर आता था, बड़ा भाई
उसको खूब समझाता था। यहाँ तक रो-रो कर प्रार्थना भी करता था कि भाई तू मेरा और
अपना जीवन क्यों नष्ट कर रहा है, लेकिन सब समझाना व्यर्थ
जाता था,
🔷 एक दिन रात को छोटा भाई दीवार लाँघ कर घर के
भीतर आया,
उसने बड़े भाई को सोते से जगाया। बड़े भाई ने देखा कि छोटे भाई के
सब कपड़े हाथ पाँव खून से तर है। और वह बहुत घबराया हुआ है, कारण
पूछा, छोटे भाई ने कहा मुझे कहीं छिपा दे मुझसे एक खून हो
गया है पुलिस मेरा पीछा कर रही है।
🔶 कुछ क्षण चुप रह कर बड़ा भाई बोला, यहाँ
कहाँ छिपोगे? अच्छा इधर आओ-हाथ मुंह धोओ और खून के सब कपड़े
उतार दो और तो यह मेरे साफ कपड़े पहन लो-बड़े भाई ने छोटे भाई के खून से तर सब
कपड़े खुद पहन लिए और छोटे भाई को एक अलमारी में बन्द कर लिया और घर का दरवाजा खोल
दिया, पुलिस अन्दर आ गई-बड़े भाई के कपड़े खून में रंगे देख
कर पुलिस ने उसे खूनी ठहराया और गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
🔷 सुबह को मजिस्ट्रेट के सामने उसे पेश किया
गया,
जज ने पूछा-”तुमने खून किया? उसने उत्तर दिया
हजुर इस जुर्म की सजा मुझे भोगनी ही पड़ेगी। इसके अलावा मैं और कुछ नहीं कहना
चाहता। मजदूर होकर मजिस्ट्रेट ने उसे फाँसी की सजा का हुक्म दिया। फाँसी पर लटकने
से पहिले बड़े भाई ने छोटे भाई को एक पत्र लिखने की स्वीकृति माँगी साथ-साथ यह भी
प्रार्थना की कि उसके भाई के सिवाय और कोई पत्र को बीच में न खोले, यह सब स्वीकार कर लिया गया- तत्पश्चात बड़े भाई ने भगवान को स्मरण करके
छोटे भाई के लिए अपना जीवन निछावर कर दिया।
🔶 चपरासी लिफाफा लेकर नगर में पहुँचा और छोटे
भाई ने लिफाफा खोलकर पढ़ा। लिखा था-प्यारे भाई! कल सुबह फाँसी होगी, मैं
बड़ी ख़ुशी और प्रेम से तुम्हारे लिए स्वार्थ त्याग कर रहा हूँ क्योंकि मुझे पूर्ण
आशा है की तुम मेरे पीछे ऐसा पवित्र जीवन व्यतीत करोगे की जिससे बड़ो की और हमारी
इज्जत होगी और मेरे प्रेम को स्वीकार करते हुए अपने सब दोषों को छोड़कर पवित्र
जीवन व्यतीत करोगे।
🔷 पत्र पढ़कर छोटा भाई पृथ्वी पर बड़े से गिर
पड़ा और फूट-2 कर रोने लगा ओर अपने को धिक्कारते हुए बोला, हाथ
अफसोस! मेरे लिए भाई ने अपनी जान दी- उसी क्षण से उसके जीवन में अद्भुत परिवर्तन
होना शुरू हो गया और शनैः शनैः अन्त में वह एक महान् व्यक्ति प्रसिद्ध हुआ।
🔶 इस प्रकार देव पुरुष हमें सुधार का मार्ग सिखाकर
ऐसे लोकों को चले जाते वह जहाँ सदैव आनन्द ही रहता है।
0 Comments
If you have any Misunderstanding Please let me know