नदी का पानी
🔶 पुराने समय की बात है किसी नगर में एक भोला
नाम का व्यक्ति रहता था। भोला दिन भर खेतों में काम करता और खेत में उगाये अन्न से
ही उसके परिवार का गुजारा चलता था। भोला ने बचपन से ही गरीबी का सामना किया था। उसके
माता पिता बेहद ही गरीब थे।
🔷 अब बच्चे बड़े हो गये, स्कूल
जाने लगे, उनकी फ़ीस का खर्चा और ऊपर से महंगाई। भोला अकसर
सोचता कि जीवन कितना कठिन है। एक समस्या खत्म नहीं होती तो दूसरी शुरू हो जाती है।
पूरा जीवन इन समस्याओं को हल करने में ही निकलता जा रहा है।
🔶 ऐसे ही एक दिन भोला एक साधु के पास पहुंचा, और
उन्हें सारी परेशानी बताई – कि कैसे मैं अपनी जिंदगी की कठिनाइयों का सामना करूँ?
एक परेशानी खत्म होती है तो दूसरी शुरू हो जाती है।
🔷 साधु महाराज हंसकर बोले- तुम मेरे साथ चलो
मैं तुम्हारी परेशानी का हल बताता हूँ, साधु भोला को लेकर एक नदी
के किनारे पहुंचे और बोले – मैं नदी के दूसरी पार जाकर तुमको परेशानी का हल
बताऊंगा। यह कहकर साधु नदी के किनारे खड़े हो गए।
🔶 नदी के किनारे खड़े - खड़े
जब बहुत देर हो गयी, भोला बड़ा आश्चर्यचकित होकर बोला –
महाराज हमें तो नदी पार करनी है तो हम इतनी देर से किनारे पर क्यों खड़े हैं। साधु
महाराज – बेटा मैं इस नदी के पानी के सूखने का इंतजार कर रहा हूँ, जब ये सूख जायेगा फिर आराम से नदी पार कर लेंगे।
🔷 भोला को साधु की बातें मूर्खता पूर्ण लगीं, वो
बोला – महाराज नदी का पानी कैसे सूख सकता है आप कैसी मूर्खता पूर्ण बातें कर रहे
हैं।
🔶 साधु हंसकर बोले – बेटा यही तो मैं तुमको
समझाना चाह रहा हूँ, ये जीवन एक नदी है और समस्या पानी की तरह
हैं। जब तुमको पता है कि नदी का पानी नहीं सूखेगा, तो तुमको
खुद प्रयास करके नदी को पार करना होगा। वैसे ही जीवन में समस्याएं तो चलती रहेंगी,
तुमको अपने प्रयासों से इन परेशानियों से पार पाना है। अगर किनारे
बैठ कर नदी का पानी सूखने का इंतजार करोगे तो जीवन भर कुछ नहीं पा सकोगे। पानी तो
बहता रहेगा, समस्या तो आती रहेंगी लेकिन आपको नदी की धार को
चीरते हुए आगे जाना होगा, हर समस्या को धराशायी करना होगा।
तभी जीवन में आगे बढ़ सकोगे।
🔷 भोला की समझ में सारी बातें आ चुकी थीं।
🔶 मित्रों हमारी जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही होता
है, हम हमेशा सोचते हैं कि ये परेशानी खत्म हो जाये तब जीवन सुखी होगा,
कभी वो परेशानी सुलझ जाये तब जीवन सुखी होगा। लेकिन ये समस्या ही
नदी का पानी है, नदी तो बहती रहेगी तुमको पार जाना है धारा
चीर कर आगे बढ़ते जाइये।
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