🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🕉️🙏नमस्ते जी
दिनांक - - १२ अप्रैल २०२५ ईस्वी
दिन - - शनिवार
🌕 तिथि -- पूर्णिमा (२९:५१ तक तत्पश्चात प्रतिपदा )
🪐 नक्षत्र - - हस्त (१८:०८ तक तत्पश्चात चित्रा )
पक्ष - - शुक्ल
मास - - चैत्र
ऋतु - - बसंत
सूर्य - - उत्तरायण
🌞 सूर्योदय - - प्रातः ५:५९ पर दिल्ली में
🌞 सूर्यास्त - - सायं १८:४५ पर
🌕 चन्द्रोदय -- १८:१८ पर
🌕 चन्द्रास्त - - २९:५१ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२६
कलयुगाब्द - - ५१२६
विक्रम संवत् - -२०८२
शक संवत् - - १९४७
दयानंदाब्द - - २०१
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🚩‼️ ओ३म्‼️🚩
🔥क्या ईश्वर पाप क्षमा करता है ?
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१.आत्मना विहितं दुःख आत्मना विहितं सुखम् | गर्भशय्यामुपादाय भुज्यते पौर्वदेहिकम् ||
अर्थ :- दुःख अपने ही किए हुए कर्मों का फल है और सुख भी अपने ही पूर्व कृत कर्मो का परिणाम है ।जीव माता के गर्भ में आते ही पूर्व जन्म में किए कर्मों का फल भोगने लगता है
२.यथा धेनु सहस्त्रेषु वत्सो विदन्ति मातरम् |
तथा पूर्वकृतं कर्म कर्तारमनुगच्छति ||
अर्थ :-जैसे बछड़ा हजारों गायों के बीच में अपनी माँ को पहचान कर उसे पा लेता है , ठीक इसी प्रकार किया हुआ कर्म भी अपने कर्ता के पास पहुँच जाता है ||
३.श्री रामचन्द्र जी कहते हैं कि हमने इच्छानुसार पहले जन्मों में बार बार बहुत सारे पाप कर्म किए हैं ,आज उन्हीं का फल मिल रहा है । इसी कारण हमारे ऊपर दुःख के ऊपर दुःख पड़ रहे हैं ।राज्य का नाश होना ,पिताजी का मरना ,माता जी का व समस्त परिवार का छूटना यह सब बातें जब याद आती हैं तो मुझे दुःख के सागर में डुबो देती हैं ||
४.अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम् | नाभुक्तं क्षीयते कर्म कल्पकोटिशतैरपि ||
अर्थ :-अच्छा या बुरा कर्मफल अवश्य ही भोगना पड़ता है,चाहे जितना भी समय हो जाए बिना भोगे कर्म की समाप्ति नहीं होती।
कितना भी जप, तप, तीर्थ ,धूप ,अगरबती, व्रत , उपवास आदि कर लो पाप कर्मों का फल भुगतना ही पडता है । शुभ अशुभ मिश्रित व निष्काम कर्मों का अपना अपना फल है ।
यज्ञ योग जैसे निष्काम कर्म ही बन्धनों से छुडा कर मोक्ष दिलाने वाले हैं।
शुभ कर्म व निष्काम कर्म-- यज्ञ , योग , वेद पढो , वेद पढाओ ! स्वर्ग पाना है ,मोक्ष पाना है और पापों से बचना है तो यही एक मात्र उपाय है।
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🚩‼️ आज का वेद मंत्र ‼️🚩
🌷 ओ३म् अहानि शं भवन्तु न: शं रात्री: प्रतिधीयताम् ।शं न इन्द्राग्नी भवतामवोभि: शं न इन्द्रावरूणा रातहव्या। शं न इन्द्रापूषणा वाजसातौ शमिन्द्रासोमा सुविताय शं यो:।(यजुर्वेद ३६|११)
💐 अर्थ :- हे ईश्वर ! दिन हमें सुखकारी हो, रातें शान्ति देने वाली हों, विद्युत् वा अग्नि रक्षक सामग्री सहित सुखकारक हो, विद्युत् व जल के ग्रहण करने योग्य सुख हमें शान्ति दायक हो, विद्युत् और पृथ्वी हमारे लिए अन्नो के सेवनार्थ सुखदायी हों तथा विद्युत् और उत्तम् औषधियां रोगनाशक एवं भय निवर्तक हों, ऐसी कृपा करो ।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्री ब्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वते मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे
कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- षड्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२६ ) सृष्ट्यब्दे】【 द्वयशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८२) वैक्रमाब्दे 】 【 एकाधिकद्विशतीतमे ( २०१) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे, रवि- उत्तरायणे , बसन्त -ऋतौ, चैत्र - मासे, शुक्ल - पक्षे, पूर्णिमायां तिथौ, हस्त - नक्षत्रे, शनिवासरे , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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