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Eloquence, सुवचनानि, Hindi English, Sanskrit

  सुवचनानि 



अतिपरिचयादवज्ञा ।

ज्यादा घनिष्टता अपमान का कारण बनता हैं।

Too much intimacy leads to humiliation.

अतिलोभो विनाशाय ।

अत्यधिक लोभ विनाश का कारण है।

Excessive greed is the cause of destruction.

अतितृष्णा न कर्तव्या ।

अत्यधिक तृष्णा लोभ से जीम्मेदारी की अवपालना होती है।

Excessive craving, greed leads to non-fulfillment of responsibility.

अति सर्वत्र वर्जयेत् ।

किसी भी कार्य में हमें अति को करने से बचना चाहिए, अन्यथा विनाश संभव है। 

In any work we should avoid doing excessive, otherwise destruction is possible.

अधिकस्याधिकं फलम् ।

किसी कार्य की सफलता का कारण अत्यधिक पुरुषार्थ है।

The reason for the success of a task is extreme manliness.

अनतिक्रमणीया हि नियतिः ।

अनिति पूर्ण कर्म ही हमारी दुर्गति का कारण है।

Unrighteous actions are the cause of our misfortune.

अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्नाः ।

जल्दी कार्य शैतान कार्य होता है, इसलिए हमें किसी कार्य में बहुत अधिक व्यग्रता नहीं दिखाना चाहिए।

Acting quickly is the work of the devil, so we should not be too preoccupied with any work.

अलभ्यो लाभः ।

दुर्लभ वस्तु को भी हम अपने प्रयत्न से प्राप्त करने में सफल होते हैं।

We are also successful in getting rare items with our own efforts.

अव्यापारेषु व्यापारः ।

व्यवसाय मे जरूरी नही है, कि आप बहुत अधिक इमानदार हों, 

अहिंसा परमो धर्मः ।

किसी भी प्राणी को कष्ट ना देना ही अहिंसा रूपी धर्म कहा गया है।

The religion of non-violence is called non-violence.

अभद्रं भद्रं वा विधिलिखितमुन्मूलयति कः ।

भाग्य में जो पुण्य या पाप लिखा है, उसे कोई भी बदल नही सकता है।

No one can change the virtue or sin that is written in fate.

आपके कर्म का फल कोई भी बदल नही सकता है, वहीं आपकी नीयत बन जाती है।

No one can change the fruit of your karma, whereas your intention becomes.

अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः ।

इस संसार में धन आपका सबसे बड़ा भार  वहन करने वाला भाई के समान माना गया है।

Money in this world is considered like a brother who bears your biggest burden.

आकृतिर्बकस्य दृष्टिस्तु काकस्य ।

कौवा और कोयल अपने स्वभाव से संसार में प्रसिद्ध होते है, कौआ की दृष्टि मल पर होती है, इसलिए उसे निकृष्ट प्राणी माना जाता है, यद्यपि कोयल भी देखने में काली कौए के समान होती है, लेकिन वह मिठे फल खाती है, और मिठा गीत गाती है। ऐसे ही कुछ मानव भी गुण से संसार में अपनी प्रतिष्ठा को प्राप्त करते हैं। 

The crow and the cuckoo are famous in the world by their nature, the crow's eyes are on the stool, so it is considered a bad creature, although the cuckoo is also like a black crow in appearance, but it eats sweet fruits, and sweet songs sings. Similarly, some human beings also get their prestige in the world by virtue.

आये दुःखं  व्यये दुःखं धिगर्थाः कष्टसंश्रयाः ।

दुःखो का प्राप्त होना, दुःखों को देना दोनों ही कार्य इस मानव के लिए अपयश को लाने वाला होता है।

To receive sorrows, to give to sorrows, both the acts bring failure for this human being.

इक्षुः मधुरोऽपि  समूलं न भक्ष्यः ।

बहुत अधिक प्रिय और मिठी स्वादिष्ट वस्तु का पूर्ण उपभोग करना हानी कारक ही सिद्ध होता है।

Full consumption of too much of a favorite and sweet delicacy proves to be a harm factor.

इतः कूपः ततस्तटी ।

जैसे गहरा कुआं अपनी तलहटी में पानी का संग्रह करता है, उसी प्रकार से मानव की आत्मा ही सद्गुण के संग्रह का बड़ा श्रोत है। 

Just as a deep well collects water at its bottom, in the same way the human soul is the great source of accumulation of virtue.

इतो भ्रष्टस्ततो भ्रष्टः ।

क्षुद्र निक्रिष्ट कार्य को बार बार करने मानव चेतना पुरी तरह से नष्ट और भ्रस्ट हो जाती है।

The human consciousness gets completely destroyed and corrupted by doing petty bad deeds again and again.

ईश्वरेच्छा बलीयसी ।

मानव लाख पुरुषार्थ और प्रयत्न क्यों ना करे ईश्वर के न्याय व्यवस्था के द्वारा उसको उसका फल अवश्य ही मिलता है।

Why man should not make lakhs of effort and efforts, he definitely gets its fruits through the justice system of God.

उत्पद्यन्ते विलीयन्ते दरिद्राणां मनोरथाः ।

पुरुषार्थ हिन दरीद्र मनुष्य इच्छाए तो बहुत करते हैं, लेकिन बिना उपयुक्त पुरुषार्थ के किए उनकी इच्छा का अन्त उनके हृदय में हो जाती है।

Poor people do a lot of desire for effort, but without making suitable effort, their desire ends in their heart.

उत्सवप्रियाः खलु मनुष्याः ।

जिस मनुष्य का मन अत्यधिक भोग बिलाश और सुख में लगा रहता हा, वह मनुष्य स्वयं ही स्वयं के हत्यारे के समान होता है।

The man whose mind is engaged in excessive indulgence, greed and pleasure, that man himself is like a murderer of his own.

कण्टकेनैव कण्टकमुद्धरेत् ।

कांटा से ही कांटा को निकाला जाता है, निकृष्ट आदत को भी श्रेष्ठ आदत से बदलना संभव है।

The thorn is removed from the thorn itself, it is possible to replace even a bad habit with a good habit.

कर्तव्यो महदाश्रयः ।

मानव के कर्म और कर्तव्य ही उसके जीवन के लिए महान ज्ञानाश्रय है।

Man's actions and duties are the great source of knowledge for his life.

कवयः किं न पश्यन्ति ?

क्रान्तिदर्शी आत्मज्ञानी कवि के लिए कुछ भी गुप्त नहीं होता है।

Nothing is a secret for a revolutionary enlightened poet.

काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम् ।

बुद्धिमानों का जीवन कविता और शास्त्र के आनंद में समय गुजरता है।

The life of the wise is spent in the enjoyment of poetry and scripture.

कालाय तस्मै नमः ।

समय बड़ा बलवान है, समय ही शक्ति और धन का प्रमुख श्रोत है, इसलिए इस काल रूप समय को (मृत्यु के गर्भ से आने वाले का )सभी बुद्धिजीवी नमन करते हैं।

Time is very powerful, time is the main source of power and wealth, so all intellectuals salute this time come form womb of death..

किमिव हि मधुराणां मण्डनं नाकृतीनाम् ।

कुरुप वस्तुओं को संसार में सिद्ध करने या उनका महिमा मंडित करने से क्या फायदा होने वाला है।

What is the use of proving or glorifying ugly things in the world?

किमिव हि दुष्करमकरुणानाम् ।

दुष्ट और निच स्वभाव मनुष्य के लिए किसी प्राणी के ऊपर करुणा और दया को प्रकट करना बहुत अधिक कठिन कार्य होता है।

It is a very difficult task for the evil and low natured human being to show compassion and mercy to any creature.

किं मिष्टमन्नं खरसूकराणाम् ?

गधो और शुअरों की प्रकृति के मनुष्य के लिए मिठाई क्या वस्तु होती है।

What is a sweet thing for a man of the nature of donkeys and pigs?

क्षमया किं न सिद्ध्यति ।

क्षमा के द्वारा संसार में ऐसा कौन सा कार्य है जो सिद्ध नहीं होता अर्थात असंभव है।

What work is there in the world through forgiveness which is not proved, that is, impossible.

क्लेशः फलेन हि पुनर्नवतां विधत्ते ।

क्लेश पिड़ा और दुःख परीणाम स्वरूप नये रूप में फिर प्रकट होते हैं।

Grief, pain and sorrow reappear in a new form as a result.

गतं न शोच्यम् ।

अतीत को पछतावा नहीं होना चाहिए।

The past should not be regretted.

गतानुगतिको लोकः  न कश्चित् पारमार्थिकः ।

अतीत का अनुसरण करने वाली दुनिया पारलौकिक नहीं है।

The world that follows the past is not transcendental.

गहना कर्मणो गतिः ।

कर्मों की गति गुढ़ और गहन है।

The pace of actions is subtle and intense.

गुणाः सर्वत्र पूज्यन्ते ।

सद्गुणों की प्रतिष्ठा और सम्मान सभी जगह सभी समय में होता है।

Virtues are respected and reverence everywhere at all times.

चक्रवत्परिवर्तन्ते दुःखानि च सुखानि च ।

संसार में चक्रवर्ती सम्राट और राजा के समान लोगों के जीवन में सुख और दुःख क्रमशः आते रहते हैं, इनसे कोई भी मानव मुक्त नहीं है।

Happiness and sorrow keep on coming in the life of people like Chakravarti emperor and king in the world, no human is free from them.

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ।

अपनी मातृभुमी स्वर्ग के समान सुख को देने वाली ही।

She is the one who gives happiness like her motherland heaven.

जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः ।

घड़ा धीरे-धीरे पानी की बूंदों से भर जाता है।

The pitcher is slowly filled with water droplets.

जीवो जीवस्य जीवनम् ।

जीव ही जीव के जीवन को बढ़ाने वाला है। 

living things is the one who prolongs the life of the living being.

त्रुटितः सम्बन्धः प्रशान्तः कलहः ।

मनुष्य के कर्मों की त्रुटियां के कारण ही अथाह दुःख पीड़ा और कलह मानव हृदय में अपना स्थाई निवास बना लेते हैं। 

It is because of the errors of human actions that unfathomable pain and discord make their permanent residence in the human heart.

त्रैलोक्ये दीपकः धर्मः ।

मानव जीवन में धर्म सत्य की मर्यादा ही तीनो लोकों में ज्ञान के प्रकाश को फैलाने में समर्थ तत्व है।

In human life, the limit of Dharma, Truth is the only element capable of spreading the light of knowledge in all the three worlds.

दुर्लभं भारते जन्म  मानुष्यं तत्र दुर्लभम् ।

भारत में पैदा होना दुर्लभ है, और यहां इंसान होना दुर्लभ है।

It is rare to be born in India, and it is rare to be human there.

दूरतः पर्वताः रम्याः ।

दूर की वस्तु सुवावनी लगती हैं।

Distant objects seem pleasant.

द्रव्येण सर्वे वशाः ।

इस भौतिक जगत में धन के अधिकार में सब कुछ है।

In this material world everything is in possession of money.

धर्मो मित्रं मृतस्य ।

इस मृत्युलोक संसार में धर्म ही मानव का श्रेष्ठ मित्र अथवा सहभागी है।

In this world of death, religion is the best friend or partner of man.

धीराः हि तरन्ति आपदम् ।

धैर्यवान मनुष्य ही इस संसार में हर प्रकार की मुसिबतों से स्वयं को मुक्त करने में सफल होते हैं।

Only patient human beings are successful in freeing themselves from all kinds of troubles in this world.

नास्ति सत्यसमो धर्मः ।

इस संसार में मानव के लिए सत्य के समान कोई दूसरा धर्म पालने योग्य नहीं है, क्योंकि सत्य को ही स्वर्ग का मार्ग कहा गया है।

In this world, there is no other religion like truth for human beings to follow, because truth is said to be the way to heaven.

न कूपखननं युक्तं प्रदीप्ते वह्निना गृहे ।

घर में आग लगने पर कुआं खोदना उचित नहीं है।

It is not advisable to dig a well in case of fire in the house

न भूतो न भविष्यति ॥

आपका वर्तमान ना अतित से तुलना करने योग्य है, ना ही भविष्य से क्योंकि वर्तमान ही आपका अपना स्वयं का है।

Your present is neither comparable to the past nor the future because the present is your own.

नमः शिवाय ।

भगवान शिव को नमन करते हैं, क्योंकि वहीं तृकालज्ञ हैं, वहीं कल्याणकारण हैं, वहीं सर्वदुःख हर्ता हैं।

We bow to Lord Shiva, because there are Trikaljna, there are welfare causes, and there are all sorrows remover.

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ।

ज्ञान के समान पवित्र करने वाली मानव चेतना का लिए दूसरी कोई विद्या नहीं है।

There is no other discipline for human consciousness that purifies like knowledge.

न शान्तेः परमं सुखम् ।

शान्ति के समान इस संसारमें कई दूसरा सुख मानव चेतना के लिए नहीं है।

Like peace, there is no other happiness in this world for human consciousness.

निगूढेऽपि कुक्कुटे  उदेत्येव अरुणः ।

मुर्गा के ना बोलने पर भी सूर्य उदय होता है, अर्थात जरूरी नहीं है, की मान्यता के अनुसार सार्भौमिक सत्य परिवर्तित हो जाए, आपको स्वयं सार्वभौमिक सत्य के अनुकुल होना होगा।

Even if the cock does not speak, the sun rises, that is, not necessarily, according to the belief that the universal truth changes, you have to adapt to the universal truth yourself.

निर्वाणदीपे किमु तैलदानम् ।

आत्मज्ञान अथवा ब्रह्मज्ञान के लिए संसारी जानकारियों का कोई मतलब नहीं हैं, अर्थात आत्मा का ज्ञान अथवा ब्रह्मज्ञान का श्रोत स्वयं आपकी चेतना ही है।

There is no meaning of worldly information for self-knowledge or Brahmagyan, that is, your consciousness itself is the source of knowledge of soul or knowledge of Brahman.

निरस्तपादपे देशे  एरण्डोऽपि द्रुमायते ।

जिस जगह पेड़ नहीं होते वहां अरंडी के पेड़ को ही महानता प्राप्त होती है।

जहां पेड़ ना रुख वहां अरंडी के पेड़ को महान पेड़ लोग समझते हैं। 

Where there are no trees, the castor tree attains greatness. or Where there is no tree, people consider the castor tree to be a great tree.

निःस्पृहस्य तृणं जगत् ।

इच्छाहिन मनुष्यो के लिए संसार घास के समान तुच्छ वस्तु है।

For men without desire, the world is as trivial as grass.

न निश्चितार्थात् विरमन्ति धीराः ।

दृढ़ निश्चयी एक निश्चित उद्देश्य से हार नहीं मानते।

The determined do not give up on a definite purpose.

निर्धनस्य कुतः सुखम् ।

निर्धन दरीद्र के लिए संसार में कहीं कोई सुख नहीं मिलता है।

There is no happiness anywhere in the world for the poor.

नीचैर्गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण ।

संसार में राजा भीखारी बन जाते हैं, और भीखारी राजाबन जाता है, यह किसी चक्र के समान समयान्तराल के साथ बदलते रहते हैं, इसलिए यहां कुछ भी शास्वत नहीं है, सिवाय आत्मज्ञान के। 

In the world, kings become beggars, and beggars become kings, they change like a cycle with time-lapse, so nothing is eternal here except self-knowledge.

परदुःखं शीतलम् ।

दूसरों को दुख में देख कर मुर्ख सदा आनंदित होते हैं।

Fools are always happy to see others in pain.

परोपकाराथमिदं शरीरम् ।

यह मानव शरीर परोपकार अर्थात दुसरों को दुःख से दूर करने के लिए ही मिली है।

This human body has been found only for charity, that is, to remove others from sorrow.

परोपदेशे पाण्डित्यम् ।

पंडित और विद्वान वहीं श्रेष्ठ माने जाते हैं, जो दूसरो को अपने उपदेस से संसार सागर से पार करने में समर्थ होते हैं।

Pandits and scholars are considered to be the best only, who are able to cross others from the ocean of the world by their preaching.

परोपकारः पुण्याय ।

परोपकार दूसरों के कल्याण से बढ़ कर इस संसार में कोई दूसरा पुण्य नहीं हैं।

There is no other virtue in this world greater than the welfare of others.

परोपकाराय सतां विभूतयः ।

सदाचारियों की महिमा दूसरों के लाभ के लिए होती है।

The virtuous are glorified for the benefit of others.

पुनः पुनरपि प्रक्षाल्य कज्जलं न श्वेतायते ।

बार-बार धोने के बाद कज्जला सफेद नहीं होता है।

Kajjala does not turn white after repeated washing.

पिण्डे पिण्डे मतिर्भिन्ना ।

यहां संसार में हर मानव की समझ दूसरे मानव से भिन्न होती है, अर्थात समान समझ वाले लोगों का मिलना यहां संसार में दूर्लभ है।

Here in the world the understanding of every human is different from that of other human beings, that is, meeting people with similar understanding is rare here in the world.

प्रज्ज्वालितो ज्ञानमयः प्रदीपः ।

आत्मज्ञान के दिपक को प्रकाशित करीए यहीं मनुष्य होने का गौरव है।

Illuminate the lamp of self-knowledge, here is the pride of being a human being.

प्रथमग्रासे मक्षिकापातः ।

मच्छर किसी काटते ही मारा जाता है, अर्थात कमजोर शक्तिशाली से शत्रुता करने निश्चित रूप से मारा जाता ही है। भाग्य प्रबल होने के कारण कभी कबी वह बच जाता है, यह अपवाद के रूप में ही देखा जाता है।

Mosquito is killed as soon as it bites, that is, it is definitely killed for enmity with the weak and powerful. Sometimes he gets saved due to the prevailing luck, it is seen as an exception.

पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि  जलमन्नं सुभाषितम् ।

पृथ्वी पर तीन रत्न हैं जल, भोजन और अच्छी कहावतें।

The three gems on earth are water, food and good sayings.

बधिरात् मन्दकर्णः श्रेयान् ।

मंदबुद्धि वाला व्यक्ति बहरे व्यक्ति से बेहतर होता है।

A retarded person is better than a deaf person.

बहुजनहिताय बहुजनसुखाय ।

मानव को वहीं कार्य करना श्रेष्ठ हैं जो सबके सुख और सब के कल्याण का कारण हो।

It is best for a human to do work only which is the reason for everyone's happiness and everyone's welfare.

बहुरत्न वसुन्धरा ।

पृथ्वी पर अकुत संपदा है, और यह उद्योगीयों को ही प्राप्त होती है। सकल पदारथ हैं, दग माही करम हिन नर पावत नाहीं।

There is immense wealth on earth, and it is available only to the industrialists. 

बालानां रोदनं बलम् ।

शक्तिशाली को उससे बड़े शक्तिशाली मनुष्यों के द्वारा दमन किया जाता है।

The powerful are oppressed by more powerful men than him.

बुद्धिः कर्मानुसारिणी ।

सभी मनुष्यों की बुद्धि उनके कर्मों के आधार पर ही विकसित होती है। 

The intelligence of all human beings develops on the basis of their actions.

बुद्धिर्यस्य बलं तस्य ।

शरीर से अधिक शक्ति बुद्धि में होती है, इसलिए शेर हाथी को मारने में सफल होता है, क्योंकि शेर हाथी से अधिक बुद्धिमान होता है।

The intellect has more power than the body, so the lion is successful in killing the elephant, because the lion is more intelligent than the elephant.

भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवाः ।

हे ईश्वर हम सब अपने कानों से कल्यणकारक बाणी को सुनने में ही समर्थ हों।

O God, may we all be able to hear the words of welfare with our ears.

भवन्ति भवितव्यानां द्वाराणि सर्वत्र ।

रास्ता कही पर बंद नहीं होता है, एक रास्ता बंद होने से पहले ही दूसरा रास्ता खोल दिया जाता है,  अथवा जो आने जाने वाले हैं उनके लिए हर जगह द्वार हैं।

The way is not closed at anywhere, one way is opened before another is closed, or there are gates everywhere for those who come and go.

भिन्नरुचिर्हि लोकः ।

इस संसार में हर शब्द का अर्थ लोग अपने मन माफिक निकाल लेते हैं।

In this world, people find out the meaning of every word according to their own minds.

मधु तिष्ठति जिह्वाग्रे  हृदये तु हलाहलम् ।

मुंह में राम बगल में छुरी अथवा, जीह्वा से मधु झरती है, और हृदय में विश भरा होता है, ऐसे मनुष्यों से यह भुमी सुसज्जित की गई है।

This land is equipped with men whose mouth is full of Ram, whose side is a knife, or whose tongue sheds honey, and whose heart is full of poison.

मनः पूतं समाचरेत् ।

मनोरथानामगतिर्न विद्यते ।

मरणं प्रकृतिः शरीरिणाम् ।

महाजनो येन गतः स पन्थाः ।

मार्गारब्धाः सर्वयत्नाः फलन्ति ।

मातृदेवो भव ।

पितृदेवो भव ।

आचार्यदेवो भव ।

अतिथिदेवो भव ।

मूढः परप्रत्ययनेयबुद्धिः ।

मृदुर्हि परिभूयते ।

मौनं सर्वार्थसाधनम् ।

यथा बीजं तथा अङ्कुरः ।

यथा राजा तथा प्रजा ।

यद् वा तद् वा भविष्यति ।

यद् वा तद् वा वदति ।

याचको याचक्ं दृष्ट्वा श्वानवत् गुर्गुरायते ।

यादृशं वपते बीजं तादृशं लभते फलम् ।

यः क्रियावान् स पण्डितः ।

युद्धस्य कथा रम्या ।

येन केन प्रकारेण प्रसिद्धः पुरुषो भवेत् ।

योजकस्तत्र दुर्लभः ।

राजा कालस्य कारणम् ।

वन्दे मातरम् ।

वक्ता दशसहस्रेषु ।

वचने का दरिद्रता ?

विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।

विद्याधनं सर्वधनप्रधानम् ।

विनाशकाले विपरितबुद्धिः ।

शठं प्रति शाठ्यम् ।

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ।

शीलं परं भूषणम् ।

शुभास्ते पन्थानः ।

शुभं भवतु ।

सत्यमेव जयते न अनृतम् ।

सत्यं कण्ठस्य भूषणम् ।

सुखमुपदिश्यते परस्य ।

संहतिः कार्यसाधिका ।

स्वभावो दुरतिक्रमः ।


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