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यजुर्वेद अध्याय 24 हिन्दी व्याख्या



॥ वेद ॥>॥ यजुर्वेद ॥>॥ अध्याय २४ ॥

अश्वस्तूपरो गोमृगस्ते प्राजापत्याः कृष्णग्रीव ऽ आग्नेयो रराटे पुरस्तात्सारस्वती  मेष्यधस्ताद्धन्वोराश्विनावधोरामौ बाह्वोः सौमापौष्णः श्यामो नाभ्यासौर्ययामौ  श्वेतश्च कृष्णश्च पार्श्वयोस्त्वाष्ट्रौ लोमशसक्यौ सक्थ्योर्वायव्यः श्वेतः पुच्छ इन्द्राय  स्वपस्याय वेहद्वैष्णवो वामनः.. (१)

घोड़ा, नीलगाय तथा वृषभ प्रजापति देव से संबंधित हैं. काली गरदन वाला अज अग्नि से संबंधित है. सम्मुख स्थित मेष सरस्वती देवी से संबंधित है. नीचे स्थित धन अश्विनी देव से संबंधित है. काली नाभि वाला अश्व सोम और पूषा देव से संबंधित है. काले और सफेद पार्श्व भाग वाले सूर्य और यम देव से संबंधित हैं. अधिक लोम वाले त्वष्टा देव से संबंधित हैं, सफेद पूंछ वाले वायु देव से संबंधित हैं. गर्भ से द्वेष करने वाले इंद्र देव से संबंधित हैं. वामन (ठिगना) पशु विष्णु देव से संबंधित हैं. (१)

रोहितो धूम्ररोहितः कर्कन्धुरोहितस्ते सौम्या बभ्रुररुणबभ्रुः शुकबभ्रुस्ते वारुणाः  शितिरन्ध्रोन्यतः शितिरन्ध्रः समन्तशितिरन्ध्रस्ते सावित्राः शितिबाहुरन्यतः  शितिबाहुः समन्तशितिबाहुस्ते बार्हस्पत्याः पृषती क्षुद्रपृषती स्थूलपृषती ता  मैत्रावरुण्यः.. (२)

लाल, धुएं जैसे लाल, पके फल जैसे लाल पशु सोम से संबंधित हैं. भूरा लाल, भूरा शुक्र जैसा हरा रंग वरुण देव से संबंधित है. कहीं कहीं सफेद छेद वाले और एक ओर सफेद छेद वाले पशु सविता देव से संबंधित हैं. कहीँकहीँ सफेद बाहु वाले पूरी तरह सफेद बाहु वाले पशु बृहस्पति देव से संबंधित हैं. छोटे चकत्ते वाले व बड़े चकत्ते वाले मित्र देव और वरुण देव से संबंधित हैं. (२)

शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालस्त ऽ आश्विनाः श्येतः श्येताक्षोरुणस्ते रुद्राय  पशुपतये कर्णा यामा अवलिप्ता रौद्रा नभोरूपाः पार्जन्या:.. (३)

एकदम शुद्ध बालों वाले, संपूर्ण शुद्ध बालों वाले, मणि के समान बालों वाले, शुद्ध बालों वाले अश्विनीकुमारों से संबंधित हैं. सफेद रंग, सफेद आंख, लाल रंग वाले पशु रुद्र देव के लिए और पशुपति के लिए हैं. सफेद कान वाले यम के लिए रौद्र स्वभाव वाले रुद्र देव के लिए हैं. नभ रूप वाले पर्जन्य देव से संबंधित हैं. (३)

पृश्निस्तिरश्चीनपृश्निरूर्ध्वपृश्निस्ते मारुताः फल्गूर्लोहितोर्णी पलक्षी ताः सारस्वत्यः  प्लीहाकर्णः शुण्ठाकर्णोध्यालोहकर्णस्ते त्वाष्ट्राः कृष्णग्रीवः  शितिकक्षोजिसक्थस्तऽ ऐन्द्राग्नाः कृष्णाञ्जिरल्पाञ्जिर्महाञ्जिस्त ऽ उषस्या:..  (४)

विचित्र रंग वाले तिरछी रेखा वाले और विचित्र बिंदु वाले मरुद्गण से संबंधित हैं. हलकीफुलकी लाल सफेद ऊन वाली (भेड़ें ) सरस्वती देवी से संबंधित हैं. प्लीहा ( के रोगी) कान वाले छोटे तथा लाल रंग के कान वाले त्वष्टा देव से संबंधित हैं. काली गरदन वाले, सफेद कांख वाले, लाल जांघों वाले इंद्र देव से संबंधित हैं. अग्नि देव से संबंधित हैं. काले, छोटे एवं बड़े धब्बे वाले पशु उषा देवी से संबंधित हैं. ( ४ )

शिल्पा वैश्वदेव्यो रोहिण्यस्त्रयवयो वाचेविज्ञाता अदित्यै सरूपा धात्रे वत्सतर्यो  देवानां पत्नीभ्यः.. (५)

विश्व देवी के पशु चितकबरे (विचित्र ) रंग के हैं. आदित्य देव के अस्त्र अवयव वाणी अज्ञात व सुरूप हैं. धारक देव हेतु हैं. देवताओं की पत्नियों के लिए ये बछियाँ हैं. (५)

कृष्णग्रीवा ऽ आग्नेयाः शितिभ्रवो वसूना रोहिता रुद्राणाश्वेता ऽ अवरोकिण ऽ  आदित्यानां नभोरूपाः पार्जन्या:.. (६)

काली गरदन वाले पशु अग्नि, सफेद भौंहों वाले पशु वसुदेव व लाल रंग वाले पशु रुद्रदेव से संबंधित हैं. सफेद रंग वाले पशु आदित्य देव व नभ जैसे रूप वाले पशु पर्जन्य (बादल) से संबंधित हैं. (६)

उन्नत ऽ ऋषभो वामनस्त ऽ ऐन्द्रावैष्णवा उन्नतः शितिबाहुः शितिपृष्ठस्त ऽ ऐन्द्रा  बार्हस्पत्याः शुकरूपा वाजिनाः कल्माषा ऽ आग्निमारुताः श्यामाः पौष्णाः.. (७)

ऊंचे, नाटे, शक्तिमान पशु इंद्र देव और विष्णु, उन्नत, सफेद बाहु व सफेद पीठ वाले पशु इंद्र देव और बृहस्पति देव तथा शुक जैसे रूप वाले पशु वाजी देव से संबंधित हैं. चितकबरे पशु अग्नि और मरुद् देव से संबंधित हैं. श्याम रंग वाले पूषा देव से संबंधित हैं. (७)

एता ऽ ऐन्द्राग्ना द्विरूपाऽ अग्नीषोमीया वामनाऽअनड्वाह ऽ आग्नावैष्णवा वशा  मैत्रावरुण्योन्यतऽ एन्यो मैत्र्यः.. (८)

दो रूप वाले पशु इंद्र देव और अग्नि से संबंधित हैं. दो रूप वाले पशु सोम और अग्नि व छोटे रूप वाले पशु विष्णु और अग्नि से संबंधित हैं. बांझ पशु मित्र देव और वरुण देव से व अन्य पशु मित्र देव से संबंधित हैं. (८)

कृष्णग्रीवा आग्नेया बभ्रवः सौम्याः श्वेता वायव्या ऽ अविज्ञाता ऽ अदित्यै सरूपा  धात्रे वत्सतर्यो देवानां पत्नीभ्यः.. (९)

काली गरदन वाले अग्नि, भूरे रंग वाले सोम, सफेद रंग वाले वायु से संबंधित हैं. अज्ञात रंग वाले आदित्य देव से संबंधित हैं. सुंदर रंग वाले धाता देव से संबंधित हैं. बछियां देव पत्नियों से संबंधित हैं. (९)

कृष्णा भौमा धूम्रा ऽ आन्तरिक्षा बृहन्तो दिव्याः शबला वैद्युताः सिध्मास्तारकाः..  (१०)

काले रंग के पशु भूमि के लिए, धुएं जैसे अंतरिक्ष हेतु विशाल पशु स्वर्ग के लिए, बहुरंगी विद्युत् हेतु और कुष्ठी पशु तारकों के लिए हैं. (१०)

धूम्रान्वसन्तायालभते श्वेतान्ग्रीष्माय कृष्णान्वर्षाभ्योरुणाञ्छरदे पृषतो हेमन्ताय  पिशङ्गाञ्छशिराय.. (११)

धुएं जैसे रंग के पशु वसंत, सफेद जैसे रंग के पशु ग्रीष्म ऋतु व काले जैसे रंग के पशु वर्षा ऋतु के लिए हैं. गुलाब जैसे रंग के पशु शरद ऋतु के लिए, चितकबरे रंग के पशु हेमंत ऋतु व काले, पीले रंग के पशु शिशिर ऋतु के लिए हैं. ( ११ )

त्र्यवयो गायत्र्यै पञ्चावयस्त्रिष्टुभे दित्यवाहो जगत्यै त्रिवत्सा ऽ अनष्टुभे तुर्यवाह  उष्णिहे.. (१२)

डेढ़ वर्ष के गायत्री हेतु, ढाई वर्ष के त्रिष्टुप् के लिए, तीन वर्ष के अनुष्टुप् हेतु, साढ़े तीन वर्ष के उष्णिक् छंद के लिए हैं. ( १२)

पष्ठवाहो विराज ऽ उक्षाणो बृहत्या ऽ ऋषभाः ककुभेनड्वाहः पङ्क्त्यै  धेनवोतिच्छन्दसे.. (१३)

पीछे से भार ढोने वाले विराज छंद के लिए हैं. वीर्य सिंचक बृहती छंद के लिए हैं. बलवान ककुप् छंद के लिए हैं. गाड़ी खींचने वाले पंक्ति छंद के लिए दूध देने वाले अतिच्छंद के लिए हैं. (१३)

कृष्णग्रीवा आग्नेया बभ्रवः सौम्या ऽ उपध्वस्ताः सावित्रा वत्सतर्यः सारस्वत्यः  श्यामाः पौष्णाः पृश्नयो मारुता बहुरूपा वैश्वदेवा वशा द्यावापृथिवीया:.. (१४)

काली गरदन वाले अग्नि व भूरे सोम से संबंधित हैं. मिश्रित रंग वाले सविता देव व छोटी बछियां सरस्वती देवी से संबंधित हैं. काले रंग के पूषा देव से संबंधित हैं. चितकबरे मरुद्गण से संबंधित हैं. बहुरूप वाले विश्व से संबंधित हैं. वंध्या गाएं स्वर्गलोक व पृथ्वीलोक से संबंधित हैं. (१४)

उक्ताः सञ्चराऽ एता ऽ ऐन्द्राग्नाः कृष्णा वारुणाः पृश्नयो मारुताः कायास्तूपरा:..  (१५) 

कहे गए संचरणशील पशु इंद्र देव और अग्नि के लिए हैं. काले रंग के पशु वरुण देव के लिए चितकबरे रंग के पशु मरुद्गण के लिए व सींगरहित पशु प्रजापति के लिए हैं. (१५)

अग्नयेनीकवते प्रथमजानालभते मरुद्भ्यः सान्तपनेभ्यः सवात्यान्मरुद्भ्यो  गृहमेधिभ्यो बष्किहान्मरुद्भ्यः क्रीडिभ्य: स सृष्टान्मरुद्भ्यः स्वतवद्भयोनुसृष्टान्..  (१६)

पहले जन्मे पशु सेनापति जैसे अग्नि के लिए हैं. उत्तम तप करने वाले मरुद्गणों के लिए वायु जैसे गतिमान पशु हैं. गृहमेध मरुद्गणों के लिए चिरप्रसूत पशु हैं. क्रीड़ाकारी मरुद्गणों के लिए अच्छे गुणी पशु हैं. स्वप्रेरित मरुद्गणों के लिए साथ रहने वाले पशु हैं. (१६)

उक्ताः सञ्चरा ऽ एता ऽ ऐन्द्राग्नाः प्राश्रृंगा माहेन्द्रा बहुरूपा वैश्वकर्मणाः.. (१७)

ऊपर कहे गए संचरणशील पशु इंद्र देव एवं अग्नि के लिए हैं. प्रकृष्ट (श्रेष्ठ) सींग वाले पशु महेंद्र देव आदि के लिए हैं. बहुत से रंगों वाले विश्वकर्मा देव के लिए हैं. (१७)

धूम्रा बभ्रुनीकाशाः पितॄणा सोमवतां बभ्रवो धूम्रनीकाशाः पितॄणां बर्हिषदां  कृष्णा बभ्रुनीकाशाः पितॄणामग्निष्वात्तानां कृष्णाः पृषन्तस्त्रैयम्बका... (१८)

धुएं जैसे भूरे रंग के पशु पितरों के लिए हैं. धुएं और नेवले जैसे भूरे रंग के सोम गुणों वाले पशु पितरों के लिए हैं. काले और भूरे रंग के कुश के आसन पर बैठे पशु पितरों के लिए हैं. अग्नि विद्या में निपुण पशु पितरों के लिए हैं. काले रंग के चकत्तेदार पशु पितरों के लिए हैं. (१८ )

उक्ताः सञ्चरा ऽ एताः शुनासीरीयाः श्वेता वायव्याः श्वेताः सौर्याः .. (१९)

उपर्युक्त पशुओं के साथ ही संचरणशील पशु शुनासीर के लिए हैं. सफेद रंग के पशु वायु देव के लिए हैं. सफेद आभा वाले पशु सविता देव के लिए हैं. (१९)

वसन्ताय कपिञ्जलानालभते ग्रीष्माय कलविङ्कान्वर्षाभ्यस्तित्तिरीञ्छरदे  वर्त्तिका हेमन्ताय ककराञ्छिशिराय विककरान्.. (२०)

वसंत ऋतु के लिए चातक, गरमी के लिए चटक व वर्षा के लिए तीतर का निर्धारण किया गया है. लवा शरद ऋतु, ककर व शिशिर ऋतु हेतु विककर पक्षियों का निर्धारण किया गया है. ( २० )

समुद्राय शिशुमारानालभते पर्जन्याय मण्डूकानद्भ्यो मत्स्यान्मित्राय  कुलीपयान्वरुणाय नाक्रान्..(२१)

समुद्र हेतु अपने ही बच्चों को मारने वाले पक्षी का निर्धारण किया गया है. बादल हेतु मंडूक का निर्धारण किया गया है. जलों के लिए मत्स्य, मित्र देव हेतु कुलीपय तथा वरुण देव के लिए नाक्र नामक पशु का निर्धारण किया गया है. (२१)

सोमाय हं सानालभते वायवे बलाका ऽ इन्द्राग्निभ्यां क्रुञ्चान्मित्राय मद्गून्वरुणाय  चक्रवाकान्.. (२२)

सोम के लिए हंस पक्षी, वायु के लिए बगली. इंद्र देव और अग्नि के लिए सारस, मित्र देव के लिए क्रौंच तथा वरुण देव हेतु चकवे का विधान किया गया है. (२२)

अग्नये कुटरूनालभते वनस्पतिभ्य ऽ उलूकानग्नीषोमाभ्यां चाषानश्विभ्यां  मयूरान्मित्रावरुणाभ्यां कपोतान्.. (२३)

अग्नि के लिए मुरगे व वनस्पतिदेव के लिए उल्लू व अग्नि और सोम हेतु नीलकंठ पक्षी का विधान मिलता है. अश्विनी देवों के लिए मोर व वरुण देव के लिए कबूतर पक्षी का विधान मिलता है. (२३)

सोमाय लबानालभते त्वष्ट्रे कौलीकान्गोषादीर्देवानां पत्नीभ्यः कुलीका  देवजामिभ्योग्नये गृहपतये पारुष्णान्.. (२४)

सोम के लिए लबा, त्वष्टा के लिए बया व देव पत्नियों के लिए गोष आदि तल पक्षी का विधान मिलता है. देवताओं की बहनों के लिए कुलीक व गृहपति हेतु पारुष्ण का विधान मिलता है. (२४)

अह्ने पारावतानालभते रात्र्यै सीचापूरहोरात्रयोः सन्धिभ्यो जतूर्मासेभ्यो  दात्यौहान्त्संवत्सराय महतः सुपर्णान्.. (२५)

दिन के लिए कबूतर और रात्रि के लिए सीचापू का विधान मिलता है. दिन तथा रात की संधि हेतु चमगादड़, मास हेतु कौए व वर्ष हेतु अच्छे पंख वाले (गरुड़) का विधान मिलता है. (२५)

भूम्या आखूनालभतेन्तरिक्षाय पाङ्क्त्रान्दिवे कशान्दिग्भ्यो  नकुलान्बभ्रुकानवान्तरदिशाभ्यः.. (२६)

भूमि के लिए चूहों व अंतरिक्ष के लिए पांत में उड़ने वालों का विधान मिलता है. स्वर्ग के लिए कश व दिशाओं के लिए भूरे रंग के जंतु का विधान मिलता है. (२६) 

वसुभ्यऽ ऋश्यानालभते रुद्रेभ्यो रुरूनादित्येभ्यो न्यङ्कन्विश्वेभ्यो देवेभ्यः  पृषतान्त्साध्येभ्यः कुलुङ्गान्.. (२७)

वसुओं के लिए ऋष्य नामक हिरण व रुद्रगणों के लिए रुरु नामक हिरण का विधान मिलता है. आदित्य के लिए न्यंकु नामक हिरण का विधान मिलता है, विश्वों के लिए चकत्तेदार हिरण व साध्य के लिए कुलुंग हिरण का विधान मिलता है. (२७) 

ईशानाय परस्वत ऽ आलभते मित्राय गौरान्वरुणाय महिषान्बृहस्पतये  गवयांस्त्वष्ट्रऽ उष्ट्रान्.. (२८)

ईशान देव हेतु परस्वत मृग, मित्र देव हेतु गौर मृग व वरुण देव हेतु भैंसों का विधान किया गया है. बृहस्पति देव हेतु गायों का और त्वष्टा देव हेतु ऊंटों का विधान किया गया है. ( २८ )

प्रजापतये पुरुषान्हस्तिन ऽ आलभते वाचे प्लुषीँश्चक्षुषे मशकाञ्छ्रोत्राय भृङ्गाः..  (२९)

प्रजापति हेतु हाथियों वाक् देव हेतु प्लुषी, चक्षु देव हेतु मच्छर व कानों हेतु भंवरों का विधान किया गया है. (२९)

प्रजापतये च वायवे च गोमृगो वरुणायारण्यो मेषो यमाय कृष्णो मनुष्यराजाय  मर्कट: शार्दूलाय रोहिदृषभाय गवयी क्षिप्रश्येनाय वर्तिका नीलङ्गो: कृमि:  समुद्राय शिशुमारो हिमवते हस्ती.. (३०)

प्रजापति तथा वायु देव हेतु गोमृग, वरुण देव हेतु जंगली मेष, यम हेतु कृष्ण मेष, मनुष्यराज हेतु मर्कट, सिंहराज हेतु लाल मृग, ऋषभ हेतु गाय का विधान किया गया है. बाज हेतु बटेर, नीलांग हेतु कृमि, समुद्र हेतु शिशुमार व हिमवान हेतु हाथी का विधान किया गया है. (३०)

मयुः प्राजापत्य उलो हलिक्ष्णो वृषद शस्ते धात्रे दिशां कङ्को धुङ्क्षाग्नेयी  कलविङ्को लोहिताहि : पुष्करसादस्ते त्वाष्ट्रा वाचे क्रुञ्चः.. (३१)

प्रजापति के लिए किन्नर (गायनवादन में कुशल ) उल को नियोजित करने की कृपा करें. खास तौर का शेर और बिलाव धाता देव हेतु नियोजित करने की कृपा करें. दिशा हेतु कंक को नियोजित करने की कृपा करें. आग्नेय दिशा हेतु धुंक्षा नियोजित करें. चिड़ा, लाल सांप और कमलभक्षी पक्षी त्वष्टा देव हेतु नियोजित करें. वाक् हेतु क्रौंच पक्षी को नियोजित करने की कृपा करें. (३१)

सोमाय कुलुङ्ग ऽ आरण्योजो नकुलः शका ते पौष्णाः क्रोष्टा मायोरिन्द्रस्य  गौरमृगः पिद्वो न्यङ्कुः कक्कटस्ते ऽनुमत्यै प्रतिश्रुत्कायै चक्रवाकः.. (३२)

सोम के लिए कुरंग पशु, पूषा देव के लिए जंगली मेष, नेवला तथा मधुमक्खी हैं. वायु के लिए शृगाल, इंद्र के लिए गौरमृग, अनुमति के लिए न्यंकु व प्रतिश्रुत्क देव के लिए चकवा पक्षी है. (३२)

सौरी बलाका शार्गः सृजयः शयाण्डकस्ते मैत्राः सरस्वत्यै शारिः पुरुषवाक्  श्वाविद्भौमी शार्दूलो वृकः पृदाकुस्ते मन्यवे सरस्वते शुकः पुरुषवाक्.. (३३)

सूर्य के लिए बगुला पक्षी है. मित्र देव के लिए चातक, सृजय व शयांडक हैं. सरस्वती देवी के लिए मैना, पृथ्वी देवी के लिए सेही पक्षी व मन्यु देव के लिए सिंह, भेड़िया, सांप हैं. समुद्र के लिए मनुष्यवाची तोता पक्षी है. (३३)

सुपर्णः पार्जन्य ऽ आतिर्वाहसो दर्विदा ते वायवे बृहस्पतये वाचस्पतये  पैङ्गराजोलज ऽ आन्तरिक्षः प्लवो मद्गुर्मत्स्यस्ते नदीपतये द्यावापृथिवीयः कूर्म  ... (३४)

पर्जन्य देव (बादल) के लिए गरुड़ पक्षी, वायु के लिए आती, वाहस तथा काष्ठ कुट्ट हैं. वाणीपति बृहस्पति देव के लिए पैंगराज तथा काष्ठ कुट्ट हैं. अंतरिक्ष के लिए अलज है. नदी देव के लिए मत्स्य वाहस तथा काष्ठ कुट्ट हैं. स्वर्गलोक एवं पृथ्वीलोक के लिए कच्छप (कछुआ ) है. (३४)

पुरुषमृगश्चन्द्रमसो गोधा कालका दार्वाघाटस्ते वनस्पतीनां कृकवाकुः सावित्रो ह  सो वातस्य नाक्रो मकरः कुलीपयस्तेकूपारस्य ह्रियै शल्यक:.. (३५)

चंद्र देव हेतु नर हिरण, वनस्पति देव हेतु गोह कालका तथा कठफोड़ा, सविता देव हेतु ताम्रचूर, वायु हेतु व समुद्र देव हेतु नक्र, मगरमच्छ एवं कुलीपय जलचर निर्धारित किया गया है. ह्री देव हेतु सेही को निर्धारित किया गया है. (३५)

यो मण्डूको मूषिका तित्तिरिस्ते सर्पाणां लोपाश आश्विनः कृष्णो रात्र्या ऋक्षो तू:  सुषिलीका तऽ इतरजनानां जहका वैष्णवी .. ( ३६ )

अह्न हेतु हरिणी, सर्प हेतु मेढक, चुहिया तथा तीतर का विधान है. अश्विनीकुमार हेतु लोपाश, रात्रि देवी हेतु कृष्ण मृग व अन्य देवगणों हेतु रीछ, जतू और सुषिलीका का विधान है. विष्णु हेतु जहका निर्धारित है. ( ३६ )

अन्यवापोर्धमासानामृश्यो मयूरः सुपर्णस्ते गन्धर्वाणामपामुद्रो मासां कश्यपो  रोहित्कुण्डूणाची गोलत्तिका तेप्सरसां मृत्यवेसित:.. (३७)

अर्द्धमास हेतु अन्यवाय (कोयल ), जलों के लिए ऋष्यमृग और मोर, गंधर्वों के लिए सुपर्ण, जलों के लिए केकड़े, महीनों के लिए कछुए का विधान किया गया है. अप्सराओं के लिए रोहित, कुंडणाची व गोलत्तिका का विधान है. मृत्यु के लिए काले हिरण का विधान किया गया है. ( ३७ )

वर्षाद्दूर्ऋतूनामाखुः कशो मान्थालस्ते पितॄणां बलायाजगरो वसूनां कपिञ्जलः  कपोत ऽ उलूकः शशस्ते निर्ऋत्यै वरुणायारण्यो मेषः .. (३८)

वर्षा को बुलाने वालों के लिए ऋतु, पितरों के लिए चूहे, छछूंदर तथा छिपकली, बलदेव के लिए अजगर, वसुओं के लिए कपिंजल व निर्ऋति देव के लिए कबूतर, उल्लू और खरगोश का विधान है. वरुण के लिए जंगली मेष का विधान किया गया है. (३८)

श्वित्र आदित्यानामुष्ट्रो घृणीवान्वार्धीनसस्ते मत्या ऽ अरण्याय सृमरो रुरू रौद्रः  क्वयिः कुटरुर्दात्यौहस्ते वाजिनां कामाय पिक:.. (३९)

आदित्यगणों के लिए विचित्र पशु, मति देवी के लिए ऊंट, चील और बकरे, अरण्य देव के लिए गाय, रुद्र देव के लिए रुरु मृग व वाजि देव के लिए क्वयि, कौए और मुरगे का विधान किया गया है. काम देव के लिए कोयल का विधान है. ( ३९ ) 

खड्गो वैश्वदेवः श्वा कृष्णः कर्णो गर्दभस्तरक्षुस्ते रक्षसामिन्द्राय सूकरः सिं हो  मारुतः कृकलासः पिप्पका शकुनिस्ते शरव्यायै विश्वेषां देवानां पृषत:.. (४०)

वैश्वे देव के लिए गैंडे, राक्षसों के लिए कुत्ते, गधे और शेर, इंद्र देव के लिए सुअर व मरु देव के लिए सिंह का विधान किया गया है. शरव्य देवी हेतु गिरगिट, पपीहा और शकुनि तथा सभी देवों हेतु पृषत मृग का विधान है. (४०)


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