प्रिय
क्षेत्र वासीयों एवं देश वासीयों
बड़ी खुशी का यह क्षण है, आप सब को मैं मनोज पाण्डेय ग्राम भैदपुर पोस्ट
नदीनी जिला मिर्जापुर ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना
के लिए आप सभी से सहयोग की अपील करता हूं। हमारे क्षेत्र मिर्जापुर के छनवर में
वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आप
सभी से दान में जमीन और धन की जरूरत है, हमारे क्षेत्र में कोई विश्वविद्यालय अभी तक नहीं है, मैं चाहता हूं की यहां पर एक वैदिक
विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए, जैसा की स्वामी दयानंद के शिष्य स्वामी श्रद्धानंद ने कागंड़ी हरिद्वार में
किया है, जैसा मालविय
जी ने वनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की है, जैसा की आप सभी को विदित है, की यह विश्वविद्यालय जनमानस के सहयोग से ही बना है। पहले राजा
हुआ करते थे जिन्होंने यह पुण्य कार्य करने के भारी मात्रा में सहयोग किया तन से
धन से और मन से ऐसा आप सभी को भी करना होगा। सबसे पहले आपके मन में यह संकल्प होना
चाहिए की हमारे क्षेत्र में हमारे राज्य में हमारे देश में ऐसा विश्वविद्यालय बने, मैंने इस बेड़ा अपने कंधे पर उठा रखा है, आप सभी की कृपा से हमने इस कार्य का श्री गणेश
कर दिया है, अब आप लोगों
को आगे आकर इस कार्य को आगे बढ़ाना है।
यह कार्य मानव जाती की रक्षा के लिए है, जिससे उनका हर प्रकार से विकास हो, जैसा की महानगरों में देश विदेश में हमारे
युवा और युवती पढ़ने के लिए जाते है, क्योंकि हमारे क्षेत्र में ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है, जिसके कारण सभी के लिए उच्च शिक्षा को प्राप्त
करना बहुत कठिन कार्य हो चुका है, इसको आसान करने के लिए हम सब एका साथ एक विचार एक सिद्धांत और एक मन से इस
कार्य को इसकी पूर्णता तक ले जाने के लिए संघर्ष करना होगा, हमारा देश आजाद तो हो चुका है, लेकिन हमारे देश में कहने को कुछ भी अपना नहीं
है. सारी शिक्षा जो हम सब भारी शुल्क देकर ग्रहण कर रहें हैं या अपने बच्चों को
करा रहें हैं, वह सब
विदेशी शासकों द्वारा हम सब के उपर लादी गई है. और हम सब उसी को कोल्हू के बैल की
तरह से ढोए जा रहें हैं। वैदिक शिक्षा मानव मात्र के कल्याण के लिए है। या यूं
कहें की यह संपूर्ण प्राणी मात्र के कल्याण के लिए है।
यह कार्य त्याग तपस्या और योग से ही संभव है, आज यह शिक्षा कुछ गिने चुने पण्डित पुरोहितों
तक सीमित हो गई, जबकि यह
शिक्षा संपूर्ण मानव के लिए है, उसमें कोई उंच नीच अमीर गरीब बीना किसी भेद भाव के लिए सबको मिलनी चाहिए, आज के आर्थिक युग और प्रचार के युग में सब कुछ
बिक रहा है, शिक्षा के
नाम पर आज सब कुछ बिक रहा है, आज के युग में जिसको ज्ञान का लेबल लगा कर कचड़ा को बेचा जा रहा हैं, वह मानव को ज्ञानी ध्यानी योगी एक सच्चा मानव
बनाने के स्थान पर उसको पशु बना रही है, और यह मनुष्य ऐसे पशु के रूप में विकसित हो रहा है, जो अपनी ही जाती अर्थात मनुष्य मानवता और धर्म
को ही समाप्त करने के लिए व्यग्र हो चुका है। यह अपने संहार में ही रस लेने लगा है, इसको कोई देवी देवता बचाने के लिए कभी नहीं
आने वाले हैं, इसको अपनी
रक्षा के लिए स्वयं आगे आना होगा। और जो कुरूप दुष्ट शक्तियां हैं, उनसे लोहा लेना होगा। हमें मनुष्य को पूर्ण
मनुष्य बनने का अवसर प्रदान करना होगा। और यह अवसर आपको अपने ज्ञान और बुद्धि के
विकास से मिलेगा।
हमारे समाज में लोगों को मानसिक रूप से अपंग
बनाया जा रहा है, झूठी मान
मर्यादा और सम्मान के चक्कर में पड़ कर हम सब अपनी जड़ों को काट रहें हैं, क्या ऐसा संभव है की हम जिस पेड़ के नीचे अपना
डेरा बनाया उसकी जड़ों को काट कर हम किसी प्रकार से स्वयं को सुरक्षित कर सकते है, क्योंकि हमारा आश्रय हमारी आत्मा है और वह एक
वृक्ष के समान है, आज हर
प्रकार से ऐसी व्यवस्था हमारे समाज में जो नेता है, धर्माधिकारी है, समाज के ठेकेदार हैं, उन्होंने कर दिया है, जिससे किसी भी प्रकार से मानव का आत्मिक विकास कभी संभव ना हो।
इस लिए उन्होंने मोटी दीवार खड़ी कर दी है, यह दीवार अज्ञान की है, अज्ञान का ऐसा पाठ पढ़ाया जा रहा है, जिसके कारण आज का मनुष्य अपने अस्तित्व को
नकारने में स्वयं को महारत हासिल करने में लगा है। स्वयं का अस्तित्व क्या है, इसको बारे में हम हमारे महान पुरुषों से ज्ञात
होता है, हमारे
महापुरुष तो इस भूमि पर रहें नहीं लेकिन उनके द्वारा संग्रहित जो ज्ञान विज्ञान और
ब्रह्मज्ञान है उसको लोगों तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा है। जिस प्रकार से मिट्टी
में जल है, उसी प्रकार
से इस पंच तत्व की शरीर में एक आत्मा रहती है, और इसकी शिक्षा हमें हमारे वेद पुराण दर्शन उपनिषद महाभारत गीता
रामायण इत्यादि ग्रंथों को पढ़ने से मिलती है, इसके लिए ब्रह्मचर्य व्रत को धारण करना पड़ता सत्य के मार्ग का
प्रसस्थ करना पड़ता है, मृत्यु संसार का सत्य है, आत्मा का सत्य अमरता है, और यह अमरता मानव सिर्फ अपने ज्ञान के विकास से ही प्राप्त कर सकता है।
और
ज्ञान के विकास के लिए हम सब को पहले अंधकार अज्ञान पाखंड और झूठ को समझना होगा, यदि आप इसको समझ गए तो ज्ञान का प्रकाश संभव
है, जिस प्रकार से बादल
के हटने से सूर्य का प्रकाश स्वमेव धरातल पर उदित हो जाता है, उसी प्रकार से मानव हृदय मन में जो अज्ञान को प्लवित
करने वाले विचार अपनी जड़े जमा लिया है, उसको काटना नहीं हैं यद्यपि उसको उसकी जड़ से समूल निर्मूल करना
होगा, और ऐसा करने के लिए
हमें जो शुद्ध विचार हमारे वेदों के मंत्रों में है, उसको हम सबको अपने हृदय में स्थापित करना होगा। यही पहला और
अंतिम मार्ग हमारे ऋषियों ने हमें बताया है। बाते तो बहुत कुछ कहनी है, लेकिन सारी बातें ऐसे नहीं कही जा सकती है, उसके लिए हमें कुछ प्रयोग करना होगा। और यह एक
प्रयोग ही होगा ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान वैदिक विश्वविद्यालय मनुष्य को पूर्ण
रूप से मनुष्य बनाने के लिए एक प्रयोग शाला की तरह से है, और यह प्रयोगशाला आपको आपके क्षेत्र में स्थापित
करनी है. मैंने तो कर दिया है इसको और सुदृढ़ बनाने के लिए यथा शक्ति जो भी आप कर
सकते हैं उसको करें। सकारात्मक विचार रखें जिससे आप सभी का सर्वांगीण़ विकास संभव
हो, यह कार्य दैवी
शक्ति के द्वारा संचालित किया जा रहा है, मैं तो मात्र उसका संदेशवाहक हूं, मेरा कार्य सिर्फ इतना है की यह संदेश आप सभी तक पहुंचाना है, मेरा कार्य मैं कर रहा हूं अपना कार्य आप करे
और बाकी कार्य वह हम सब का पिता जो हम सबके हृदय में विद्यमान परमेश्वर है वह
करेगा।
यह तुच्छ पत्र आपको किसी प्रकार से मिलता है
तो आप इसको अपने तक सीमित ना रखीए लोगों तक इस विचार को फैलाए जिससे आपका बड़ा
योगदान होगा।
मनोज
पाण्डेय अध्यक्ष
ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान वैदिक विश्व विद्यालय
Dear residents and
countrymen
This is a moment of great happiness, I
appeal to all of you for cooperation for the establishment of Manoj Pandey Village
Bhaidpur Post Nadini District Mirzapur gyan vigyan Brahmagyan Vedic University.
We need donated land and money from all of you to establish a Vedic University
in Chhanwar, Mirzapur in our area. There is no university in our area yet, I
want a Vedic University to be established here, as Swami Dayanand's disciple
Swami Shraddhanand has done in Kagandi Haridwar, as Malviya ji has established
Vanaras Hindu University, as you all know that this university was built only
with the cooperation of the public. Earlier there used to be kings who
contributed a lot with their body, money and mind to do this noble work, you
all will also have to do the same. First of all, you should have this
resolution in your mind that such a university should be established in our
region, our state, our country, I have taken this raft on my shoulders, with
the grace of all of you, we have made Shri Ganesh of this work, now you People
have to come forward and take this work forward.
This work is for the protection of the
human race, so that they can develop in every way, as our young men and women
go to study in metropolitan cities and abroad, because there is no such
university in our area, due to which there is no such university for all.
Achieving higher education has become a very difficult task, to make it easier,
we all will have to fight together with one idea, one principle and one mind to
take this task to its completion, our country has become independent. but there
is nothing of our own to say in our country. All the education that we are
receiving by paying huge fees or are imparting to our children has been imposed
on us by foreign rulers. And we all are carrying it like bulls in a crusher.
Vedic education is for the welfare of mankind. Or we can say that it is for the
welfare of the entire living being.
This work is possible only through
renunciation, penance and yoga, today this education has become limited to a
few selected learned priests, whereas this education is for the entire human
being, it should be available to everyone without any discrimination of high,
low or rich, poor. In the era of economic and publicity, everything is being
sold, today everything is being sold in the name of education, in today's era,
what is being sold as garbage by labeling it as knowledge, is not a true human
being, a knowledgeable person, a meditator, a yogi. Instead of making him a
human being, she is turning him into an animal, and this man is developing into
such an animal, which is anxious to destroy his own species, i.e. man, humanity
and religion. It has started taking interest in its own destruction, no gods
and goddesses are ever going to come to save it, it will have to come forward
itself to protect itself. And those ugly evil forces will have to be fought. We
have to provide man the opportunity to become a complete human being. And you
will get this opportunity by developing your knowledge and intelligence.
In our society, people are being made
mentally handicapped, by falling prey to false dignity and respect; we all are
cutting our roots. Is it possible to cut the roots of the tree under which we
made our camp? We can somehow protect ourselves by doing this, because our
shelter is our soul and it is like a tree, today in every way such arrangements
have been made by the leaders, religious authorities and contractors of the
society. Due to which spiritual development of human being is never possible in
any way. That is why they have erected a thick wall, this wall is of ignorance,
such a lesson of ignorance is being taught, due to which today's man is trying
to master himself in denying his existence. We come to know about our own
existence from our great men, our great men may not be on this earth but the
knowledge, science and theological knowledge collected by them is not being
allowed to reach the people. Just as there is water in the soil, in the same
way there is a soul in the body of these five elements, and we get its
education by reading the scriptures like Vedas, Puranas, Darshan, Upanishads,
Mahabharata, Geeta, Ramayana etc. For this, we have to observe the vow of
celibacy. The path of truth has to be paved, death is the truth of the world,
the truth of the soul is immortality, and this immortality can be achieved by
man only by the development of his knowledge.
And for the development of knowledge, we
all have to first understand darkness, ignorance, hypocrisy and lies, if you
understand this then the light of knowledge is possible, just as the sun's
light automatically rises on the ground after the clouds move away, in the same
way In this way, the thoughts that have taken root in the human heart due to
ignorance do not have to be cut off, although they have to be completely
uprooted from their roots, and to do this, we have to use the pure thoughts
that are present in the mantras of our Vedas. We all have to establish this in
our hearts. This is the first and last path our sages have told us. There is a
lot to be said, but not all things can be said like this, for that we will have
to do some experiments. And this will be an experiment only. Gyan Vigyan Brahmagyan
Vedic University is like a laboratory to make man a complete human being, and
you have to establish this laboratory in your area. I have done it. And do
whatever you can to strengthen yourself. Have positive thoughts so that
all-round development of all of you is possible, this work is being conducted
by divine power, I am just its messenger, my work is only to convey this
message to all of you, I am doing my work. You do your work and the rest will
be done by the Father of us all who is the God present in the heart of all of
us.
If you somehow receive this insignificant
letter, then do not keep it limited to yourself, spread this idea to people,
which will make a big contribution to you.
Manoj Pandey
President
Gyan Vigyan Brahmagyan Vedic
University
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