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जगत् के प्रभु हैं कल्याणकारी जो भी काम किया तेरा नाम लिया ज़िदगी तेरे ही बल पे सारी ।।

1214  English version is at the end
             हे वज्रवाले ❗
                   वैदिक भजन १२१४ वां
                         राग भैरवी
     गायन समय चारों प्रहर विशेषत: प्रातः
                         ताल अध्धा
                   👇 वैदिक मन्त्र👇
न घेमन्यत् आपपन वज्रिन्नपसो नविष्टौ। 
तवेदु स्तम्भ चिकेत।।ऋ•८.२.१७अथ॰१०.१८.२सा१.२.३
                    👇 वैदिक भजन 👇       
जगत् के प्रभु हैं कल्याणकारी 
जो भी काम किया तेरा नाम लिया 
ज़िदगी तेरे ही बल पे सारी ।।
जगत्.......... 
हर एक कार्य का मंगलाचरण करूं 
झुक- झुक कर तेरी वन्दना करूं 
हे वज्रवाले !तू देखे-भाले 
पापों को वज्र से मारता तू ही ।।
जग......... 
विघ्न अनिष्टों का करता तू वर्जन 
हे वज्रधारी! करूं मैं समर्पण 
करता हूं वन्दना छोड़ प्रवंचना 
देता है तू प्रेरणायें सही ।।
जगत् ............. 
सत्य विजय तेरा वज्र प्रताप है 
जहां है सफलता आश्रय विराट है 
करता है जो भी शुभ कार्य हरदम 
देता है धन- माल प्रभावशाली ।।
जगत्......... 
                           भाग २ 
जगत के प्रभु हैं कल्याणकारी 
जो भी काम किया तेरा नाम लिया 
ज़िन्दगी तेरे ही बल पे सारी ।।
जगत्........
दीन - धनी सब तू ही बनाये 
छोटे-बड़े सब तुझको ही ध्यायें 
आश्रय तेरा हो जीविका चलती    
अन्यों  का आश्रय ना मैं लूं कभी।।
जगत्......
धन, जन, मान पे करूं ना खुशामद 
एहसान दूजों का देगा ना आनन्द 
दामन तेरा ही थामना चाहूं 
निष्कामी तू है मंगलकारी 
जगत्.........
           16.7.2024।    820 p.m.
                      शब्दार्थ:-
मंगलाचरण= शुभ कार्य करने से पहले मंगल कामना करते हुए श्लोक पढ़ना
अनिष्ट= अहित' अमंगल
वज्रवाले= रुद्र परमेश्वर
वर्जन= छोड़ना, त्यागना
प्रवंचना= धोखेबाजी, ठगी
खुशामद= चापलूसी
                        👇 उपदेश👇
हे जगत् के ईश्वर ! परम मंगलकारी ! मैं जो भी कोई नया कार्य शुरू करता हूं, नया यज्ञकर्म--नया शुभ कर्म प्रारम्भ करता हूं तो वह सब तेरा ही नाम लेकर ,तेरे ही भरोसे, तेरे ही बल पर शुरू करता हूं। अपने हर एक कार्य का मंगलाचरण में तेरे ही आगे झुक कर तेरी ही मानसिक वन्दना करके करता हूं। हे वज्रवाले ! मैं तेरे सिवाय किसी भी अन्य के आगे झुक कर मंगल नहीं मना सकता, क्योंकि पाप से निवृत करने वाला वज़्र तो तेरे ही हाथ में है-- अनिष्टों, अमंगलों और विघ्नों का वास्तव में वर्जन करने वाला वज्र तेरे ही हाथ में है। तो हे वज्रधारिन्! मैं किसी अन्य की स्तुति करके क्या कर पाऊंगा। जो कार्य सचमुच एकमात्र तुम्हारे ही आश्रय से किए जाते हैं और जो मनुष्य सचमुच अपना कर्म सर्वथा तुझे अर्पण करते हैं तो वहां पराजय, असफलता या असिद्धि नाम की कोई वस्तु रह ही नहीं जाती। पर बात कईयों को ज़रा विचित्र- सी लगेगी, किन्तु है सर्वथा सत्य। सचमुच तब सब मंगल- ही- मंगल हो जाता है। यह सब तेरे वज्र का प्रताप है। जो लोग केवल तेरा ही आश्रय लेकर कार्य शुरू करते हैं, सर्वथा त्वदर्पित होते हैं,उनके पास निरन्तर जागता हुआ तेरा वज्र उनकी रक्षा करता है, अतः है मंगलकारी वज्रिन! इस संसार में तू ही एकमात्र स्तुति करने योग्य है। मैं तो तेरी ही स्तुति करना जानता हूं। यदि मैं किसी धनाढ्य पुरुष की स्तुति करूं तो शायद वह मुझे मेरे कार्य के लिए धन दे देगा; किसी प्रभावशाली पुरुष की विनती करूं तो शायद मेरे लिए उसका प्रभाव बाद सहायक हो जाएगा, परन्तु हे जगत के ईश्वर ! मैं जानता हूं कि यह सब तभी होगा जबकि तेरी ऐसा इच्छा होगी। संसार के सब प्राणी, सब अमीर गरीब, छोटे- बड़े सब तेरे ही बनाए हुए पुतले हैं। संसार के बड़े- से- बड़े पुरुष भी तेरे ही आश्रय पर तेरी ही इच्छा पर जीवित हैं; तो मैं उन पुरुषों का आश्रय लेकर क्या करूंगा? जब तुझे अभीष्ट होता है कि किसी कार्य में धन-जन बुद्धि आदि की सहायता मिले तो वह कहीं-न-कहीं कहीं से मिलती ही है। बल्कि हम देखते हैं कि धन-जन मान आदि पाने के लिए जिन पुरुषों का हम भरोसा करते हैं निरर्थक खुशामद करते हैं,वहां से हमें कुछ भी नहीं मिलता किन्तु किसी दूसरी आनाशातीत जगह से वैसी सब सहायता मिल जाती है, अतः मैं तो अपने कार्यों के प्रारम्भ में किसी भी अन्य का भरोसा नहीं करता मैं तो केवल तेरा ही पल्ला पकड़ना जानता हूं,मैं तो तेरी ही स्तुति करना जानता हूं।
🕉👏द्वितीय श्रृंखला का २०८ वां वैदिक भजन 
और अब तक का १२१४ वां वैदिक भजन 🙏🌹
🙏सभी श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएं🙏🌹
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1214 
0 thunderbolt ❗
                   vaidik bhajan 1214 th
                         raag bhairavee
     Singing time :-
all the time (specially morning) 
                         taal adhdha
                   👇 vaidik mantra👇
na ghemanyat aapapan vajrinnapaso navishtau. 
tavedu stomam chiket..
Rig•8.2.17Ath.10.18.2
Saam1.2.3
    👇 vaidik bhajan 👇       
jagat ke prabhu hain kalyaanakaaree 
jo bhee kaam kiyaa teraa naam liyaa 
zindagee tere hee bal pe saaree ..
jagat.......... 
har ek karya kaa mangalaacharan karoon 
jhuk- jhuk kar teree vandanaa karoon 
he vajravaale ! too dekhe-bhaale 
paapon ko vajra se maarataa too hee ..
jag......... 
vighna anishton kaa karataa too varjan 
he vajradhaarin! karoon main samarpan 
karataa hoon vandanaa chhod pravanchanaa 
detaa hai too preranaayen sahee ..
jagat ............. 
satya vijay teraa vajra- prataap hai 
jahaan hai saphalatas aashray viraat hai 
karataa hai jo bhee shubhkaarya haradam 
detaa hai dhan- maal prabhaavashaalee ..
jagat......... 
                           bhaag 2 
jagat ke prabhu hain kalyaanakaaree 
jo bhee kaam kiyaa teraa naam liyaa 
zindagee tere hee bal pe saaree ..
jagat........
deen - dhanee sab too hee banaaye 
chhote-bade sab tujhako hee dhyaayen 
aashray teraa ho jeevikaa chalatee    
anyon  kaa aashray naa main loon kabhee..
jagat......
dhan, jan, maan pe karoon na khushaamad 
ehasaan doojon ka degaa na aanand 
daaman tera hee thaamanaa chaahoon 
nishkaamee too hai mangalakaaree 
jagat.........

16.7.2024. 820 p.m.

👇Meaning of words:-👇

Mangalacharan = reciting a shloka while wishing good luck before doing any auspicious work

Anisht = Harmful, inauspicious

Vajravale = Lord Rudra

Varjan = Leave, forsake

Pravchan = Cheating, fraud

Chhushamd = Flattery

👇 meaning of Vedic Bhajans 👇       
 The Lord of the world is the welfare
 Whatever I did, I took your name 
 Zidgi tere hi bal pe sari.
 The world. 
 Let me praise every single action 
 I bow down and worship you 
 O thunderbolt!You see-spear 
 You kill sins with thunderbolt.
 The world. 
 You avoid obstacles and evils 
 O Vajradhar!  I do surrender 
 I do worship leave deception 
 Gives you the right inspirations.
 The world 
 True victory is your thunderbolt glory 
 Where is success shelter is huge 
 does whatever good work always 
 gives wealth- goods impressive.
 The world. 
                            Part 2 
 The Lord of the world is the welfare 
 Whatever I did, I took your name 
 Zindagi tere hi bal pe sari.
 The world.
 You make all the poor and rich 
 Let all, small and great, meditate on you 
 Shelter yours be the livelihood moving    
 I will never take refuge in others.
 The world.
 I do not flatter myself with wealth, people, and honor 
 The kindness of others will not give joy 
 I want to hold your feet 
 Selfless you are auspicious 
 The world.
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  O Vajra-holder ❗

👇 Sermon👇
O God of the world! Most auspicious! Whatever new work I start, new Yagya-karma, new auspicious work, I start it by taking your name, trusting in you, on your strength. I bow before you in the auspicious beginning of every work and mentally worship you. O Vajra-holder! I cannot bow before anyone else except you and celebrate auspiciousness, because the Vajra that removes sins is in your hand only-- the Vajra that actually prevents evils, misfortunes and obstacles is in your hand only. So O Vajra-holder! What can I achieve by praising anyone else. The works that are really done with your support only and the people who really dedicate their work completely to you, then there is no such thing as defeat, failure or failure.  But this may seem a little strange to many, but it is absolutely true. In fact, everything becomes auspicious then. All this is the power of your thunderbolt. Those who start work by taking shelter of you only, are completely proud of their nature, your thunderbolt always remains awake near them and protects them, so, O auspicious Vajrini! You are the only one in this world who deserves to be praised. I know how to praise you only. If I praise a rich man, then perhaps he will give me money for my work; if I request an influential man, then perhaps his influence will be helpful to me, but O God of the world! I know that all this will happen only when you wish so. All the creatures of the world, all the rich and poor, small and big, all are puppets made by you. Even the greatest men of the world are alive on your shelter and your wish; then what will I do by taking shelter of those men?  Whenever you desire assistance in the form of money, people, intelligence etc. in some work, you get it from somewhere or the other.
Rather we see that the people whom we trust to get wealth, respect etc., we flatter them uselessly, we do not get anything from them but we get all such help from some other unknown place, hence I do not trust anyone else at the beginning of my work, I only know how to hold your hand, I only know how to praise you.
🕉👏208th Vedic Bhajan of the second series
And 1214th Vedic Bhajan till now🙏🌹
🙏Hearty wishes to all the listeners🙏🌹

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