समीकरण (Equation)
समता के चिन्ह (=) के द्वारा निर्मित वह सम्बन्ध जो की अज्ञात राशि के निश्चित मानों के लिए सत्य उतरता है, समीकरण कहलाता है|
रैखिक समीकरण (Linear Equation)
एक एसी समीकरण जिसमे चर राशि की अधिकतम घात एक हो रैखिक समीकरण कहलाती है|
उदाहरण:
ax + b = 0
द्विघात समीकरण (Quadratic Equation)
एक एसी समीकरण जिसमे चर राशि की अधिकतम घात 2 हो द्विघात समीकरण कहलाती है|
उदाहरण:
Ax² + bx + c = 0
समीकरण के मूल
अज्ञात राशि की वे मूल जो उस समीकरण को संतुष्ट करते है| समीकरण के मूल कहलाते है|
मूलों के सिद्धान्त:
(i) किसी समीकरण की जितनी घात होती है, उतने ही मूल होते है| यदि मूलों की संख्या घात से अधिक है, तो वह समीकरण सर्वसमिका कहलाती है|
(ii) एक बहुघातीय समीकरण के मूल परिमेय, अपरिमेय अथवा अधिकल्पित (काल्पनिक) हो सकते है|
(iii) काल्पनिक अथवा समिश्र मूल सदा जोड़े में होते है, अर्थात यदि किसी समीकरण का एक मूल 3+2i है तो 3-2i भी उसका एक मूल होगा|
(iv) अपरिमेय मूल भी सदा जोड़े में होते है, अर्थात यदि किसी समीकरण का एक मूल 4+√2 है, तो 4-√2 भी उसका एक मूल होगा|
(v) किसी समीकरण के मूल ज्ञात करने के लिए उसके गुणनखंड कीजिए| प्रत्येक एक घातीय गुणनखंड एक मूल होगा|
(vi) यदि ax²+bx²+c+0 के मूल α व β है तो मूलों का योग α + β = -b/a तथा मूलों का गुणनफल α.β = c/a होगा|
(vii) यदि किसी द्विघात समीकरण के मूल दिए हुए है, तो वह समीकरण x² - (मूलों का योग x + मूलों का गुणनफल) = 0 होगा|
(viii) समीकरण ax² + bx² + c = 0 के मूल
वास्तविक तथा असमान होते है, यदि b² - 4ac > 0
वास्तविक तथा बराबर होते है यदि b² - 4ac = 0
काल्पनिक तथा असमान होते है, यदि b² - 4ac < 0
(ix) b² - 4ac > 0 होने पर,
यदि b² - 4ac = पूर्ण वर्ग हो तो मूल वास्तविक, असमान तथा परिमेय होते है|
यदि b² - 4ac ≠ पूर्ण वर्ग हो तो मूल वास्तविक, असमान तथा अपरिमेय होते है|
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