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हे भूमि माता !! हम पुत्र हैं तेरे

English version is at the end

🙏 *आज का वैदिक भजन* 🙏 1215
*ओ३म् उ॑प॒स्थास्ते॑ अनमी॒वा अ॑य॒क्ष्मा अ॒स्मभ्यं॑ सन्तु पृथिवि॒ प्रसू॑ताः।*
*दी॒र्घं न॒ आयुः॑ प्रति॒बुध्य॑माना व॒यं तुभ्यं॑ बलि॒हृतः॑ स्याम ॥*
अथर्ववेद 12/1/62

हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 

हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 
गोद में हमको बिठाना 
बिठाना 
इस पार्थिव देह में 
है तेरे रजकरण 
मातृसुख देना दिलाना
दिलाना
हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 

उपयोगी भोग्य पदार्थ तू देती 
आश्रय स्थान भी तेरा 
पुष्टि पदार्थ और दुग्धामृत का 
पान कराती घनेरा 
अन्न, फल, जल, औषधि,
धन, विद्या, सुख रक्षा 
कर्तव्य तेरा सुहाना
सुहाना
हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 
गोद में हमको बिठाना 
बिठाना 

भोग्य पदार्थों की पुष्टि को लेकर 
देह को उन्नत कराते 
दीर्घायु को  भोगते भोगते 
मन-आत्मा शुद्ध बनाते  
प्रतिबुध्यमान आत्म जागृति से 
कर्म उत्तम है कमाना
कमाना
हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 

तेरे मातृत्व उपचारों को हम 
भूले से भी ना भुलाएँ  
जागृत हों कर्तव्यों को निभाकर 
धरतीपुत्र बन कहलायें 
राष्ट्र के कर को - निज कर से देकर 
हितकर राष्ट्र है बनाना
बनाना
हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 
गोद में हमको बिठाना 
बिठाना 

किस काम के प्राण, 
धन, आयु, पुष्टि 
जो ना तव सेवा में लाएँ  
दूध का कर्ज़ चुकाने की क्षमता 
हंस-हंस के भेंट चढ़ायें
वरना धिक्कार है 
धन, ज्ञान, जीवन को 
माता तेरा ऋण है चुकाना
चुकाना
हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 
गोद में हमको बिठाना 
बिठाना 
इस पार्थिव देह में 
है तेरे रजकरण 
मातृसुख देना दिलाना
दिलाना
हे भूमि माता !! 
हम पुत्र हैं तेरे 

*रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ललित मोहन साहनी जी – मुम्बई*
*रचना दिनाँक :--*    ९.१२.२०२१      ९.१२ रात्रि

*राग :- बिहाग*
गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर,  ताल दादरा ६ मात्रा

*शीर्षक :- हे भूमिमात:!* भजन ७९७ वां
*तर्ज :- चन्दा की नगरी से आ आजा

*प्रस्तुत भजन से सम्बन्धित पूज्य श्री ललित साहनी जी का सन्देश :-- 👇👇*
हे भूमिमात:!

हे भूमिमात:! हम तेरे पुत्र है, तुझ से उत्पन्न हुए है। यह पार्थिव देह हमें तेरे रज:कणों से मिली है। हे मात:! हमें अपनी गोद में बिठाओ। तेरी आनन्दमयी गोद में बैठकर हम सम्पूर्ण मातृसुख को प्राप्त करें, तेरे दुग्धामृत का पान भी करें। तू हमें केवल सुखमय आश्रय स्थानों को ही नहीं प्रदान करती, अपितु अपने उन संस्थानों में तू हमें हमारे उपयोगी भोग्य पदार्थों को भी देती है। तेरी ऐसी गोद में हमारा आश्रय पाना, हमारे लिए रोग रहित, निरन्तर, निर्बाध पुष्टि (उन्नति) का देने वाला हो। हे विस्तृत मातृभूमे! तेरे आश्रम में रहते हुए हमें जो तेरे अन्य फल औषध जलवायु धन, पशु, मान, रक्षा, विद्या सुख आदि मिलते हैं वह हमें ऐसे शुभ और उचित रूप में मिलते रहें कि यह हमारे रोगों भयों और दु:खों को हटाकर हमारी स्वास्थ्यकर पुष्टि को ही करते जाएं, हमारी शारीरिक मानसिक और आत्मिक उन्नति साधते जाएं। यह तेरा सब भोग्य पदार्थ रूपी पुष्टि कारक दूध हे मात:! तेरे हम बच्चों के लिए ही है--हम बच्चों की रोग- भय रहित पुष्टि के लिए ही है। हमारी शारीरिक उन्नति ऐसी अक्षुण्ण हो कि हम पूर्ण दीर्घायु को भोगें। हमारी मानसिक व आत्मिक उन्नति भी ऐसी अक्षुण्ण हो कि हम क्रमशः 'प्रतिबुध्यमान'होते जाएं, उत्तर उत्तर अधिक ज्ञान और बोध से (आत्मिक जागृति से) युक्त होते जाएं। एवं, हम अबोध बालकों का जो जो ज्ञान बढ़ेगा, हम सब प्रकार के ज्ञानों में उत्पन्न होंगे, त्यों-त्यों, हे मात:! हम तेरे अपने पर किए गए अपापरूप कार्यों को भी--तेरे मातृत्व को भी--अधिक अनुभव करने लगेंगे तथा तेरे प्रति अपने कर्तव्यों के लिए भी जागृत हो जाएंगे, अतः तब हम राष्ट्र कर के इस तुच्छ धन की बलि, किसी भय से नहीं किन्तु 'प्रतिबुध्यमान'होते हुए, जानते हुए, समझते हुए--प्रेम से तुम्हारे प्रति दिया करेंगे। केवल यह तुच्छ, साधारण, नित्य प्रति की भली ही नहीं, किन्तु हे मात:! हमने तेरे प्रति कर्तव्य का बोध ऐसा जागृत हो जाएगी हम तेरे लिए सब कुछ बलिदान करने को श्रद्धा उद्यत रहें। तुझसे मिला हुआ यह शरीर, यह आयु, यह प्राण, यह पुष्टि, यह धन, यह सब कुछ और किस काम के लिए है? यदि यह तेरी वस्तुएं आवश्यकता पड़ने पर तेरे लिए समर्पित ना हो सकें--तेरे दूध को चुकाने का समय आने पर भी यदि हम इन्हें भेंट चढ़ाने से हिचकें--तो ऐसे धर्म ज्ञान और जीवन को धिक्कार है। इन बातों में वस्तुओं का भूमि पर रहना व्यर्थ है! नहीं, हम सर्वस्व तुझ पर बलि चढ़ा देने को सदा उदित रहेंगे।
🕉👏ईश भक्ति भजन 
भगवान ग्रुप द्वारा🙏🌹
वैदिक श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएं❗🌹🙏

🙏 Toda'ys vaidik bhajan* 🙏 1215

Vaidik mantra👇

om u॑pa॒sthaste॑ anami॒va au॑ya॒kshma au॒smabhyam॑ santu pruthivi॒ prasu॑tah।*
*di॒rgham na॒ aayuh॑ prati॒budhya॑mana va॒yam tubhyam॑ bali॒hrutah॑ syam ॥*
atharvaved 12/1/62

*Composer and Voice :- Pujya Shri Lalit Mohan Sahni Ji – Mumbai*
 *Creation Date :--* 9.12.2021 9.12 pm

 *Raag :- Bihag*
 Singing time Second phase of the night, Rhythm Dadra 6 beats

 *Title :- O Mother of the Earth:!* Psalm 797th
 *tune:- Chandaa Ki Nagari Se Aa Aajaa


Vaidik bhajan👇

hae bhumi maataa !! 
ham putra hain tere 

hae bhumi maataa !! 
ham putra hain tere 
god men hamako bithaanaa 
bithaanaa 
is parthiv deh men 
hai tere rajakan 
matrisukh denaa dilaanaa
dilanaa
hae bhumi mataa !! 
ham putra hain tere 

upayogi bhogya padarth tu deti 
aashraya sthaan bhi teraa 
pushti padarth aur dugdhaamrit kaa 
paan karaati ghaneraa 
anna, phal, jal, aushadhi,
dhan, vidhyaa, sukh rakhshaa 
kartavya teraa suhanaa
suhanaa
hae bhumi maataa !! 
ham putra han tere 
god men hamako bithaanaa 
bithaanaa 

bhogya padarthon ki pushti ko lekar 
deh ko unnat karate 
dirghaayu ko  bhogate bhogate 
man-aatmaa shuddha banaate  
pratibudhyaman aatma jagruti se 
karm uttam hai kamaanaa
kamaanaa
hae bhumi mata !! 
ham putra hain tere 

tere matrutva upkaaron ko ham 
bhule se bhi naa bhulaayen  
jagrit hon kartavyon ko nibhaakar 
dharatiputra ban kahalayen 
rashtra ke kar ko - nij kar se dekar 
hitakar rashtra hai banaanaa
banaanaa
hae bhumi maataa !! 
ham putra hain tere 
god men hamako bithaanaa 
bithaanaa 

kis kaam ke praan, 
dhan, aayu, pushti 
jo na tav seva men laayen  
dudh ka karja chukaane ki kshamataa 
hans-hans ke bhent chadhaayen
varanaa dhikkaar hai 
dhan, gyaan, jivan ko 
mataa teraa rin hai chukaanaa
chukaanaa
hae bhumi maataa !! 
ham putra hain tere 
god men hamako bithaanaa 
bithanaa 
is parthiv deh men 
hai tere rajakan 
matrusukh denaa dilaanaa
dilaanaa
hae bhumi maataa !! 
ham putra hain tere


Meaning of vaidk bhajan👇
O Mother Earth!!  We are your sons 

O Mother Earth!! 

 We are your sons

Please make us sit in your lap

In this earthly body

We are your celestial bodies

Give us motherly bliss

O Mother Earth!!  We are your sons

You give us useful food items

You are also our shelter

You provide us with nutritious food and milk

You provide us with food, fruits, water, medicine,

wealth, knowledge, happiness and protection

Your duty is beautiful

Oh Mother Earth!!

We are your sons

in your lap  Make us sit

Make us sit

By nourishing us with edible things

Improve our body

Enjoying longevity

Purify our mind and soul

With a wise self-awakening

Work is the best, earn

Earn

Oh Mother Earth!!

We are your sons

We will never forget your maternal care

Even by mistake  Wake up and fulfill your duties

Become a son of the soil

Pay the nation's taxes with your own taxes

Building a beneficial nation

Oh Mother Earth!!

 We are your sons

Please make us sit in your lap

What is the use of life,

wealth, age, strength

If we do not bring it to your service

The ability to repay the debt of milk

We should offer it with a smile

Otherwise shame on

Wealth, knowledge, life

We are indebted to you mother  Pay back
Pay back
O Mother Earth!!
We are your sons
Please make us sit in your lap
In this earthly body
Your blessings are there
Give us motherly happiness
O Mother Earth!!
We are your sons👦

*Swadhyay-Message of Pujya Shri Lalit Sahni Ji related to the presented Bhajan :-- 👇👇*
 O Mother of the Earth!

 O Mother of the Earth!  We are your children, born of you.  This earthly body we have received from your dust particles.  Hey, Mother:!  Put us in your lap.  Sitting in your blissful lap, may we attain complete motherly happiness and drink your milk nectar.  You not only provide us with pleasant shelters, but in those institutions of yours you also give us our useful enjoyments.  May our refuge in such a lap of Yours be a source of disease-free, constant, uninterrupted confirmation (advancement) for us.  O vast motherland!  May the other fruits, medicines, climate, wealth, animals, honor, protection, knowledge, happiness, etc. that we get while living in your ashram continue to be given to us in such auspicious and proper form that it removes our diseases, fears and sufferings  Keep doing the same, our physical, mental and spiritual advancement.  This is your all-enjoyable nourishing milk, O Mother!  Thy is for us children only--we children are only for disease- fearless affirmation.  May our physical advancement be so intact that we enjoy full longevity.  Our mental and spiritual advancement should also be so intact that we gradually become 'awakened', gradually becoming endowed with more knowledge and understanding (spiritual awakening).  And, as the knowledge of us ignorant children increases, we will arise in all kinds of knowledge, so, O Mother!  We will also begin to feel more of your sinless acts upon ourselves--your motherhood--and awaken to our duties to you, so then we will sacrifice this paltry wealth of nation taxes, with no fear  But 'awakening', knowing, understanding--will give to you with love.  Not only is this insignificant, ordinary, everyday good, but O Mother!  We have awakened such a sense of duty to you that we are ready to sacrifice everything for you.  What else is this body, this life, this life, this confirmation, this wealth, everything you have got for? 
If these Thy things cannot be devoted to Thee when need arises--even if we hesitate to offer them when the time comes to pay for Thy milk--then woe to such religious knowledge and life.  It is pointless for things to stay on the ground in these things!  No, we will always be ready to sacrifice everything to you.
 🕉👏Ish Bhakti Bhajan 
 By God Group🙏🌹
 Best wishes to Vedic listeners❗🌹🙏

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